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Friday, 22 November, 2024
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चार धाम यात्रा के पहले महीने में अब तक 125 तीर्थयात्रियों की मौत, उत्तराखंड सरकार हुई अलर्ट

दो साल के कोविड प्रतिबंधों के बाद उत्तराखंड सरकार ने इस साल चार धाम यात्रा को एक बार फिर से बड़े स्तर पर शुरू किया है. अब तक मरने वाले तीर्थयात्रियों में से 75 लोग 60 साल से ज्यादा की उम्र के थे.

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देहरादून: उत्तराखंड में चल रही चार धाम यात्रा में शुरुआती 30 दिनों के भीतर कम से कम 125 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है. राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, कोविड से पहले की तीर्थयात्रा (मई-अक्टूबर) में पूरे छह महीने के दौरान औसतन लगभग 100 मौतें दर्ज की गईं थीं.

आकड़ों में आए इस खतरनाक उछाल ने राज्य सरकार को अलर्ट कर दिया है. राज्य कोविड इतिहास वाले वरिष्ठ नागरिकों को चार हिंदू तीर्थस्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की मुश्किल यात्रा शुरू करने से पहले पूरी सावधानी बरतने के लिए कह रहा है.

यात्रा दो सालों 2020 और 2021 कोविड संबंधित प्रतिबंधों के बाद इस साल बड़े पैमाने पर फिर से शुरू की गई.

राज्य के पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा समय में इन चार धाम तीर्थ स्थलों पर रोजाना औसतन 55,000-58000 लोग शिरकत कर रहे हैं. यह संख्या पिछले कुछ सालों में दर्ज की गई तीर्थयात्रियों की संख्या की तुलना में लगभग 15,000 ज्यादा है.

भीड़ को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो कैबिनेट मंत्रियों धन सिंह रावत और सुबोध उनियाल को यात्रा व्यवस्था की निगरानी करने का जिम्मा सौंपा है.

राज्य के स्वास्थ्य और पुलिस विभागों के आंकड़े बताते हैं कि इस साल चार धाम तीर्थयात्रा के दौरान अब तक जिन 125 लोगों की मौत हुई है, उनमें से 75 लोग 60 साल से ज्यादा की उम्र के थे.

उनके मुताबिक, ज्यादातर मौतें कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुईं है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हो सकता है कि यह कोविड के बाद के प्रभावों का असर हो.

इसे ध्यान में रखते हुए उन्होंने जिन बुजुर्ग तीर्थयात्रियों को पहले कोविड हो चुका है उनसे अपनी मेडिकल हिस्ट्री विभाग के साथ साझा करने और अतिरिक्त सावधानी बरतने का आग्रह किया है. तीर्थयात्रा के दौरान बहुत ऊंचाई पर पहुंचने पर ऑक्सीजन का स्तर तेजी से गिरता है और अक्सर सांस लेने में तकलीफ होती है.

पुलिस और सरकारी आंकड़ों का अनुमान है कि इस साल 90 मौतें यमुनोत्री और केदारनाथ में हुई हैं. इन्हें चार तीर्थस्थलों में सबसे खतरनाक इलाकों में शुमार किया जाता है. बद्रीनाथ में 26 लोगों की मौत हुई, जबकि गंगोत्री में नौ तीर्थयात्रियों की मौत दर्ज की गई है.

मरने वाले तीर्थयात्रियों में 90 पुरुष और 35 महिलाएं थीं.

स्वास्थ्य और पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि महामारी की चपेट में आने से पहले तीर्थयात्रा के दौरान चार धाम तीर्थ स्थलों पर हर महीने औसतन 15 से 17 मौतें दर्ज की जाती थीं.

राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने दिप्रिंट को बताया, ‘निश्चित तौर पर कोविड के बाद देशभर के लोगों की सेहत पर असर पड़ा है. सरकार ने यह सत्यापित नहीं किया है कि मौतों के लिए कोविड का प्रभाव किस हद तक जिम्मेदार है. लेकिन कोविड ने लोगों की इम्यूनिटी को कम करने के अलावा उनकी ऑक्सीजन लेने की क्षमता को काफी हद तक प्रभावित किया है.’

उन्होंने कहा, ‘सभी चार धाम समुद्र तल से 10,000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर हैं. कमजोर फेफड़े वाले लोगों को हिमालय के इन ऊंचाई वाली जगहों पर चलना मुश्किल हो जाता है. तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ और उच्च हिमालय की मौसमी परिस्थितियों से सामना करने का अभ्यास न होना भी इन बढ़ती मौतों के लिए जिम्मेदार है.’

महाराज ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी स्वास्थ्य दिशानिर्देशों को तीर्थयात्री ‘अनदेखा’ कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम देश भर के लोगों से पूरी जांच और डॉक्टरों से उचित परामर्श के बाद ही तीर्थ यात्रा पर आने का अनुरोध कर रहेे हैं’. उन्होंने बताया कि तीर्थयात्रियों को अपने आपको मौसम की स्थिति के अनुकूल बनाने के लिए रास्ते में ब्रेक लेना चाहिए.


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‘अधिक लोगों की संख्या के बावजूद आंकड़े चिंताजनक’

2019 में चार धाम तीर्थयात्रा में लगभग 32.4 लाख की रिकॉर्ड संख्या देखी गई थी. उस साल दर्ज की गई मरने वाले तीर्थयात्रियों की कुल संख्या 90 के आस-पास थी.

पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में यात्रा के दौरान लगभग 102 तीर्थयात्रियों की जान गई थी, जबकि 2017 में 117 की मृत्यु हुई थी. उस दौरान श्रद्धालुओं की संख्या क्रमशः 26.2 लाख और 21.9 लाख थी.

पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘इस बार मरने वाले तीर्थयात्रियों की दर बहुत ज्यादा है. तीर्थयात्रा के एक महीने से भी कम समय में करीब 125 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि एक महीने पहले यह संख्या करीब 17 थी. मृत्यु दर की यह दर सीजन के अंत में मौतों के एक भयावह आंकड़े के रूप में सामने आ सकती है.’

राज्य पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ शोध अधिकारी एस.एस. सामंत ने बताया कि इस बार लगभग रोजाना 57,000 तीर्थयात्री आ रहे हैं.

सामंत ने दिप्रिंट को बताया, ‘6 मई को पूरी तरह से शुरू होने के बाद से तीर्थयात्रा के लगभग 25 दिनों के भीतर 1,30,000 से ज्यादा श्रद्धालु मंदिरों के दर्शन कर चुके हैं. यह हाल तब है जब हजारों तीर्थयात्री ऋषिकेश और हरिद्वार पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. अगर तीर्थयात्रियों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ती रही तो आंकड़ा 40 लाख को छू सकता है.’


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‘कोविड का प्रभाव हो सकता है लेकिन तीर्थयात्री मेडिकल हिस्ट्री साझा करने को तैयार नहीं’

चार धाम तीर्थ स्थलों पर तैनात मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) ने कहा कि वैसे कोविड का प्रभाव तीर्थयात्रियों की मौत का एकमात्र कारण नहीं हैं. इन मौतों के लिए उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय की समस्याओं जैसी पहले से मौजूद बीमारियां भी एक बड़ी वजह हो सकती हैं.

रुद्रप्रयाग जिले के सीएमओ डॉ एम.के. शुक्ला ने बताया, ‘सभी मौतों के लिए कोविड के प्रभाव को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. मृतक तीर्थयात्रियों के रिश्तेदारों और साथियों में से कुछ ही ने उनकी कोविड और अन्य मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी दी है.’

केदारनाथ में अब तक सबसे ज्यादा मौतें (58) हुई हैं.

डॉ शुक्ला ने कहा, ‘केदारनाथ में अब तक जिन पांच मृतक के संबंधियों ने उनकी मेडिकल डिटेल्स दी हैं, उससे पता चला है कि उन सभी को पहले कोविड हो चुका था. हालांकि, अन्य लोगों पर कोविड के प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे फेफड़ों के काम करने की क्षमता कम होने की संभावना बनी रहती है.’

उत्तरकाशी के सीएमओ डॉ के.एस. चौहान गंगोत्री और यमुनोत्री में स्वास्थ्य सुविधाओं का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास तीर्थयात्रियों की मौतों को उनके कोविड इतिहास के लिए जिम्मेदार ठहराने के लिए चिकित्सा कारण नहीं हैं. लेकिन यह एक आकलन है कि कोविड संक्रमण की वजह से लंबे समय तक बने रहने वाले प्रभाव इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘बड़े अफसोस की बात है कि ज्यादातर तीर्थयात्री अपनी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को छिपा रहे हैं. यहां तक कि मरने वाले तीर्थयात्रियों के संबंधी भी अपने कोविड विवरण साझा नहीं करना चाहते. तीर्थयात्रियों की मृत्यु के वास्तविक कारण के रूप में कोविड को इंगित करना मुश्किल है, लेकिन इसके प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता. लगभग सभी मृतकों को कार्डियक अरेस्ट और सांस लेने में तकलीफ हुई थी.’

चमोली जिले के सीएमओ डॉ एसपी कुरियाल ने कहा कि इस साल चार धाम स्थलों पर तीर्थयात्रियों की संख्या अभूतपूर्व है. इससे पहले कभी इतनी संख्या में लोग नहीं आए हैं.

उन्होंने कहा, ‘यात्रा के दौरान हमेशा से कुछ तीर्थयात्रियों की मृत्यु होती रही है. लेकिन इस बार ये संख्या तेजी से बढ़ी है. यह तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या के अनुपात में है. कोविड के इतिहास और अन्य बीमारियों ने लोगों के संकट को बढ़ा दिया है.’


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‘कार्डियक अरेस्ट के बढ़ते मामले’

कोलकाता के मेडिका सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियक सर्जन डॉ कुणाल सरकार ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को कोविड के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया था, तो जाहिर है उसके फेफड़ों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ा होगा.

उन्होंने कहा, ‘कुछ अनुमानों के मुताबिक, आबादी का पांचवां हिस्सा कम से कम एक बार कोविड से संक्रमित हुआ है और इनमें से कुछ मामूली लक्षणों वाले मरीज थे. लेकिन अगर मरीज को कोविड संक्रमण के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया है तो निश्चित रूप से उसके फेफड़ों पर असर पड़ा है, भले ही वे अभी स्वस्थ दिख रहे हों.’

उन्होंने कहा, ‘अपनी यात्रा के दौरान ये लोग अचानक से उच्च ऊंचाई वाले मौसम के संपर्क में आते हैं. आमतौर पर जब आप ऊंचे पहाड़ी इलाकों की तरफ जाते हैं तो आपको अपने शरीर को ऊंचाई पर ढलने के लिए समय देने की जरूरत होती है. लेकिन इन तीर्थयात्राओं के दौरान ऐसा नहीं किया जाता.’

डॉ सरकार के अनुसार, अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कम उपलब्धता की वजह से सांस लेने के लिए फेफड़ों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. उन्होंने बताया कि शरीर कई तरह के शारीरिक बदलाव करके इनसे मुकाबला करने की कोशिश करता है जिस वजह से कई बार इस तरह की हृदय संबंधी घटनाएं हो सकती हैं.

उन्होंने कहा कि तीर्थ यात्रा पर जाने वाले बुजुर्ग लोगों के लिए यह रिस्क ज्यादा है.

सरकार कहते हैं, ‘क्या पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद हैं और लोगों के लिए किस तरह की स्क्रीनिंग की जा रही है? ये कुछ सवाल है जिन्हें उठाना जरूरी है. स्वस्थ दिखने वाला हर व्यक्ति यात्रा के लिए फिट नहीं होता है. इसके अलावा दो साल के कोविड लॉकडाउन के बाद यात्रा करने वाले भक्तों की संख्या भी सामान्य से अधिक है. क्या अधिकारी इतनी बड़ी संख्या के लिए आपातकालीन सुविधाओं के साथ तैयार हैं?’

अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी, वाशिंगटन के शोधकर्ताओं की 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड संक्रमण के इतिहास वाले व्यक्ति, खासकर वे जो अस्पताल में भर्ती हुए और जिनके फेफड़े व दिल पर असर पड़ा था, उनके साथ पहाड़ी यात्राओं के दौरान ऐसी प्रतिकूल घटनाओं के जोखिम की संभावना अधिक है.

देहरादून स्थित वरिष्ठ सरकारी चिकित्सक डॉ. एन.एस. बिष्ट का मानना है कि जिन्हें कोविड हो चुका है, ऐसे लोगों को ऊंचाई वाले इलाकों में यात्रा करने में समस्या हो सकती है, लेकिन इससे उनकी मौत नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा, ‘कोविड इतिहास की वजह से उच्च मृत्यु दर संभव नहीं है. क्योंकि हम अभी भी कोविड के प्रभाव के प्रारंभिक चरण में हैं. इस पर दीर्घकालिक अध्ययन नहीं किया गया है. मेरा मानना है कि मौतों का मुख्य कारण तीर्थयात्रियों का बढ़ना है.’

बिष्ट ने कहा, ‘इस साल पहले की तुलना में बहुत ज्यादा तीर्थयात्री आए हैं. चार धाम के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में बुजुर्ग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. यह भी सच है कि तीर्थयात्रा के दौरान लोग अक्सर अपने स्वास्थ्य की अनदेखी करते हैं. मारे गए ज्यादातर लोग पहले से ही हाई बीपी और डायबिटीज के कारण दिल संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. और इसी के चलते उनकी मौत हुई है. मुझे लगता है कि तीर्थयात्रियों की मौत पर इतना हंगामा किए जाने की कोई जरूरत नहीं है.’


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तीर्थयात्रियों के लिए चार धाम स्थलों पर उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, चार धाम यात्रा के रास्तों में स्थित स्थायी स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा उन्होंने 19 विशेष चिकित्सा राहत पोस्ट (एमआरपी) भी स्थापित किए हैं. यहां 11 फर्स्ट मेडिकल रेस्पोंडेंट (एफएमआर) को तैनात किया गया है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि एमआरपी में लाइफ स्पोर्ट सिस्टम, बड़ी संख्या में स्पेशल एंबुलेंस और हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं.

राज्य स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ शैलजा भट्ट ने कहा, ‘इसके अलावा विशेष रूप से प्रशिक्षित 24 चिकित्सकों और आर्थोपेडिक सर्जनों समेत 133 चिकित्सा अधिकारियों को भी चार धाम मार्गों पर तैनात किया गया है. एमआरपी में लाइफ सपोर्ट सिस्टम मौजूद है.’

उन्होंने बताया कि ‘जिन तीर्थयात्रियों को अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत है, उन्हे डॉक्टरों की सलाह पर डिस्पोजेबल ऑक्सीजन सिलेंडर भी दिए जा रहे हैं.’ वह आगे कहते हैं, ‘गंभीर रूप से बीमार तीर्थयात्रियों को एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया जाता है. हमने चार धाम मार्ग पर लगभग 50 अतिरिक्त एंबुलेंस भी तैनात की हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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