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Sunday, 22 December, 2024
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दिल्ली HC ने केंद्र की अग्निपथ योजना को बरकरार रखा, चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज किया

दिल्ली के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, यह योजना राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए, यह सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है कि सशस्त्र बल बेहतर काम करें.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच को खारिज कर दिया और इंडियन डिफेन्स सर्विस में पिछली भर्ती योजना की तरह ही भर्ती जारी रखने को कहा.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद भी शामिल थे, ने सोमवार को केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को सही ठहराया और कहा कि अदालत को उक्त योजना में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला.

दिल्ली के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘यह योजना राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए, यह सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है कि सशस्त्र बल बेहतर काम करें.’

पीठ ने 15 दिसंबर, 2022 को विभिन्न याचिकाकर्ताओं और केंद्र सरकार की ओर से दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.

किसी के साथ कोई पक्षपात

सुनवाई के दौरान, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने केंद्र सरकार की तरफ से अदालत को कहा कि ’10 लाख से अधिक उम्मीदवारों को आयु में छूट का लाभ दिया गया है. अग्निपथ योजना रक्षा कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में एक प्रमुख प्रतिमान बदलाव है. हम हलफनामे में सब कुछ नहीं डाल सकते लेकिन हम कह सकते हैं कि हमने इस मामले में नेक काम किया.’

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि पिछली भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले उम्मीदवारों में से किसी के साथ कोई पक्षपात नहीं किया गया है.

केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि ‘सशस्त्र बलों’ में भर्ती एक पूरी तरह से अलग एवं महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के रखरखाव से संबंधित है.

इसमें आगे कहा गया कि ‘नई अग्नि पथ योजना के माध्यम से भर्ती करने का केंद्र सरकार का निर्णय, राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से सरकार द्वारा लिया गया एक नीतिगत निर्णय है.’


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मनमाना और अनुचित निर्णय 

योजना को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए और तर्क दिया कि सरकार द्वारा किया गया निर्णय मनमाना और अनुचित है. निर्णय के पीछे कोई वास्तविक कारण नहीं है.

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि चुने गए उम्मीदवारों को ढाई साल तक प्रतीक्षा करने के लिए मजबूर किया गया था.

एएसजी भाटी ने विवाद का जवाब दिया और कहा कि चयन नियुक्ति का अधिकार नहीं देता है. एएसजी ने दलील दी कि कोविड की वजह से प्रक्रिया में देरी हुई.

मुख्य न्यायाधीश ने एएसजी से पूछा कि ‘जिन लोगों ने परीक्षा पास की थी वे इंतजार कर रहे है. आपने प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं की? आप इसका क्या जवाब देंगे?’

एएसजी ने कहा कि जून 2021 में उच्चतम स्तर पर फैसला लिया गया था. यह स्पष्ट था कि अग्निपथ योजना एक आदर्श बदलाव है. जून 2021 के बाद हम भर्ती के तरीके में एक बड़ा बदलाव लाना चाहते थे.

वेतन में असमानता

बहस के दौरान अधिवक्ता अंकुर चिब्बर, जो कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, ने तर्क दिया कि वेतन में असमानता नहीं हो सकती. बल में प्रवेश स्तर सिपाही है. एक अग्निवीर को एक सिपाही से कम वेतन मिलता है. समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए.

उन्होंने एक और मुद्दा उठाया कि एक अग्निवीर को 4 साल की सेवा के बाद चुने जाने पर नए सिरे से शामिल होना होगा. उनके पिछले 4 साल के अनुभव को नहीं गिना जाएगा.

इस संबंध में एक जनहित याचिका में अग्निपथ योजना के लिए केंद्र की अधिसूचना को यह कहते हुए रद्द करने की भी मांग की गई है कि यह योजना ‘अवैध और असंवैधानिक’ है.

इससे पहले खंडपीठ ने अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि यदि याचिकाकर्ताओं को मामले में सफलता मिलती है तो उन्हें मिलेगी. हम कोई स्थगन या अंतरिम आदेश पारित नहीं करेंगे और मामले की अंतिम सुनवाई करेंगे.

देशव्यापी विरोध

इस योजना को चुनौती देने वाली एक याचिका में कहा गया है कि इस योजना की घोषणा से बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और कई अन्य राज्यों में देशव्यापी विरोध हुए है.

इससे पहले खंडपीठ ने अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा था कि यदि याचिकाकर्ताओं को मामले में सफलता मिलती है तो उन्हें मिलेगी. हम कोई स्थगन या अंतरिम आदेश पारित नहीं करेंगे और मामले की अंतिम सुनवाई करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई, 2022 को अग्निपथ योजना से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि अन्य विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली इसी तरह की अन्य याचिकाओं के संबंध में, संबंधित उच्च न्यायालयों को या तो याचिकाकर्ताओं को यह विकल्प देना चाहिए कि या तो वे अपनी याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर लें या अपनी याचिकाओं को उनके पास लंबित रखें.

शीर्ष अदालत ने भी दिल्ली हाई कोर्ट से इस मामले को उठाने और इसे शीघ्रता से निपटाने का अनुरोध किया था. दिल्ली, केरल, पंजाब और हरियाणा, पटना और उत्तराखंड के हाई कोर्ट भी इन योजनाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे हैं.


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