गुरुग्राम: रोहतक के शिव पंजाबी धर्मशाला में क्रिसमस समारोह के दौरान हिंदुत्ववादी संगठनों के सदस्यों ने हंगामा किया, जहां पूर्व पहलवान खली को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.
समारोह शुरू होने से पहले ही विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के सदस्यों ने कार्यक्रम स्थल पर हंगामा किया और आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम के पीछे छिपा एजेंडा लोगों को ईसाई धर्म की ओर आकर्षित करना है.
प्रदर्शनकारियों ने मंच पर हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया और उपस्थित लोगों को वहां से जाने के लिए मजबूर किया. आखिरकार पुलिस को बुलाया गया, लेकिन आयोजकों को सजावट और भोजन की व्यवस्था छोड़कर कार्यक्रम स्थल से बाहर जाना पड़ा.
खुद को VHP का सदस्य बताने वाले सनी हिंदू ने कहा कि शिव धर्मशाला में समारोह का उद्देश्य क्रिसमस मनाना नहीं था, बल्कि लोगों को इलाज और वित्तीय लाभ के बहाने बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन के लिए राज़ी करना था. उन्होंने कहा, “हर किसी को अपनी आस्था से जुड़े त्योहार मनाने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए सार्वजनिक स्थानों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. अगर वह ऐसे आयोजन करना चाहते हैं, तो उन्हें चर्च में करना चाहिए, शिव धर्मशाला में नहीं.”
एक अन्य हिंदुत्व कार्यकर्ता सुषमा सनातनी ने आयोजकों पर लोगों, खासकर महिलाओं को गुमराह करने का आरोप लगाया, यह दावा करके कि इस समारोह में भाग लेने के बाद उनकी बीमारियां ठीक हो जाएंगी. उन्होंने आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य पैसों के वादे के साथ भोले-भाले व्यक्तियों का धर्म परिवर्तन करके अपने समुदाय का आकार बढ़ाना था.
शिव पंजाबी धर्मशाला के अध्यक्ष मनमोहन आज़ाद ने दिप्रिंट को फोन पर बताया कि समारोह के आयोजक प्रेरित परवीन सिंह ने पहले से पेमेंट देकर कार्यक्रम स्थल को बुक कर लिया था.
उन्होंने कहा, “क्रिसमस मनाने के लिए रोहतक और दूर-दराज के इलाकों से कई लोग आए थे, लेकिन अचानक वीएचपी और बजरंग दल के सदस्य होने का दावा करने वाले कई पुरुष और महिलाएं वहां आ गए और हंगामा करने लगे. बाद में पुलिस भी पहुंची, लेकिन वो उपद्रवियों के साथ मिलीभगत करती दिखी. हिंदुत्व संगठनों के सदस्यों ने मुझसे बहस करना शुरू कर दिया और पूछा कि मैंने भगवान शिव के नाम पर बनी धर्मशाला को दूसरे धर्म के लोगों को किराए पर क्यों दिया.”
आज़ाद ने आगे आरोप लगाया कि अगर धर्मशाला के कर्मचारी बीच-बचाव नहीं करते तो वो उन पर हमला कर देते. उन्होंने पुलिस पर भी आरोप लगाया कि जब उन पर हमला किया जा रहा था, तो वो मूकदर्शक बनी रहीं.
उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में अपने त्योहार मनाना कितना मुश्किल हो गया है, यह देखकर वो हैरान हैं.
उन्होंने कहा, “सरकार क्रिसमस के दिन छुट्टी घोषित करती है. होटलों और स्कूलों में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन यहां ऐसे लोग हैं, जो अक्सर शहर में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के साथ देखे जाते हैं, जो जश्न मनाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.”
आयोजक परवीन सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि समारोह की योजना पहले से ही बना ली गई थी और रोहतक में सभी प्रमुख स्थानों पर पोस्टर और होर्डिंग लगाए गए थे.
सिंह ने आरोप लगाया, “हमारे लोग समारोह के लिए काफी दूर से आए थे और तैयारियां काफी समय से चल रही थीं. हमने पूरे दिन खाने और नाश्ते की व्यवस्था की थी, लेकिन उन्होंने हमारे लोगों को — जिनमें से कई महिलाएं थीं — चेतावनी दी कि अगर वह वहां रुके तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे और उन्हें वहां से जाने के लिए मजबूर किया.”
उन्होंने कहा कि पहलवान खली पहले ही रोहतक पहुंच चुके थे और फिर उन्हें चर्च ले जाया गया, जहां आखिरकार समारोह आयोजित किया गया, लेकिन हिंदुत्व समूहों के लोग वहां भी पहुंच गए और उन्हें समारोह को जल्द ही समाप्त करने की धमकी दी.
उन्होंने कहा, समारोह पर 8.5 लाख रुपये से अधिक खर्च किए गए थे, लेकिन लोगों को धर्मशाला में भोजन या नाश्ता करने की भी अनुमति नहीं थी. “मैंने पुलिस से पूछा — क्या हम एक स्वतंत्र देश में नहीं रहते हैं, जहां हर किसी को अपने धर्म को मानने का अधिकार है? लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.”
जिस इलाके में समारोह आयोजित किया गया था, वह रोहतक के पुरानी सब्जी मंडी पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में आता है. दिप्रिंट से बात करते हुए, स्टेशन हाउस ऑफिसर रविंदर सिंह ने सिंह के आरोपों का खंडन किया और कहा कि पुलिस ने वीएचपी और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद समारोह को रोक दिया था.
एसएचओ ने कहा, “हंगामा शुरू होने के बाद मैं धर्मशाला गया था. मैंने आयोजक से समारोह की अनुमति के बारे में पूछा, लेकिन उनके पास अनुमति नहीं थी. उन्होंने जो अनुमति दी थी, उसमें कार्यक्रम स्थल मेला ग्राउंड बताया गया था. इसलिए, मैंने उनसे कहा कि पुलिस कार्यक्रम की अनुमति नहीं देगी, क्योंकि लोग इसका विरोध कर रहे हैं.”
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