अयोध्या : ‘जब अयोध्या में ही बेहतर रोजगार मिलेगा भइया तो खाड़ी देशों का रुख क्यों करेंगे.’ दुबई में टैक्सी चलाने वाले अयोध्या के जावेद को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपने गृह जिले में ही रोजगार की एक नई उम्मीद दिखी है. वह बताते हैं कि पिछले 5 साल से दुबई में टैक्सी चलाने का कारण ज्यादा पैसे कमाकर घर भेजना था. जावेद की ही तरह अयोध्या जिले के कई मुस्लिम युवक खाड़ी देशों में पैसा कमाने जाते हैं.
अयोध्या विवाद पर आए फैसले ने अब उन्हें उम्मीद दे दी है कि अब अयोध्या पर्यटन का हब बन सकता है. ऐसे में रोजगार के नए अवसर भी आएंगे जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है. अयोध्या में धर्मकांटा इलाके में रहने वालेे जावेद बताते हैं कि ग्रेजुएशन तक पढ़ाई करने के बाद भी उन्हें अयोध्या में कोई रोजगार का बेहतर ऑप्शन नहीं मिला इसी कारण वह दुबई चले गए. वहां वह ड्राइविंग करते हैं लेकिन ठीक ठाक पैसा कमा लेते हैं और अपने घर वालों को भी भेजते हैं. छुट्टियों में घर आए जावेद ने बताया कि जावेद अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं और इसे यहां के बेरोजगार युवाओं में एक नई उम्मीद देखते हैं.
आखिकार एक ‘मुद्दा’ तो खत्म हुआ
जावेद की ही तरह फर्नीचर का काम करने वाले उनके दोस्त अल्ताफ अंसारी का भी कहना है कि इस फैसले से एक बड़े ‘मुद्दे’ की समाप्ति हुई है और अब दूसरे अहम मुद्दों पर फोकस बढ़ने की उम्मीद है जिसमें रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है. अयोध्या में कई मुस्लिम परिवार भगवान के फोटो फ्रेम व खड़ाऊं बेचने का काम करते हैं लेकिन इनके घर के अधिकतर बच्चे पैसा कमाने के लिए अयोध्या से बाहर का रुख कर लेते हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि युवाओं का पलायन रुकेगा.
साथ मिलकर बिजनेस करने की करेंगे कोशिश
धर्माकांटा के रहने वाले शहज़ाद आलम ने बताया कि मंदिर निर्माण की घोषणा के बाद वह अपने कुछ हिंदू दोस्तों के साथ बिजनेस शुरू करने की भी प्लानिंग कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पड़ोस में रहने वाले विजय और राहुल के साथ मिलकर व्यापार शुरू करने की प्लानिंग थी लेकिन इस फैसले को लेकर बनाए जा रहे माहौल से पहले डर था जो अब दूर हो गया है. उन्हें अब उम्मीद है कि अयोध्या पर्यटन का सबसे बड़ा हब बनेगा जिसका लाभ उनके बिजनेस को भी मिलेगा.
बाबू बाजार के पास खड़ाऊं बनाकर बेचने का काम करने वाले मुन्ना खान बताते हैं कि वह तो कई साल से इस व्यवसाय से जुड़े हैं लेकिन उनके लड़के दूसरे शहर में नौकरी करते हैं. उनका कहना है कि फैसला भले ही राम मंदिर के पक्ष में आया हो लेकिन वह इसका सम्मान करते हैं. उन्हें इस बात की खुशी है कि कम से कम एक ‘मुद्दा’ तो खत्म हुआ. अब पर्यटन को यहां अधिक बढ़ावा दिया जाएगा जिससे उनका व्यवसाय भी चलेगा और उनके लड़कों को अयोध्या में ही कहीं नौकरी मिल जाएगी.
श्रंगार हाट के पास भगवान की तस्वीरों की दुकान लगाने वाले महबूब अली भी फैसले का स्वागत करते हुए वह कहते हैं कि मंदिर बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उनकी बनाई तस्वीरों की बिक्री भी काफी होगी और अयोध्या का विकास होगा. इससे हिंदू-मुस्लिम दोनों तरफ के लोग खुशहाल रहेंगे. महबूब बताते हैं कि भगवान के फोटो प्रेम, कपड़े, साज-सजावट समेत तमाम ऐसे व्यवसाय भी हैं जिससे मुस्लिम भी जुड़े हैं.
‘न कोई बड़ी फैक्ट्री, न बड़ा अस्पताल’
श्रंगार हाट के ही रहने वाले समीर खान ने बताया विकास के पैमाने पर उस अयोध्या की तस्वीर कितनी बदरंग है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोज़गार के नाम पर अयोध्या में किसी भी बड़े उद्योग या कारखाने की शुरुआत नहीं हुई जिस से इस शहर का युवा रोज़गार पा सके और अपना भविष्य सुधार सके, जिसके चलते अयोध्या में पढ़ने वाला युवा नौकरी और रोजगार के लिए दूसरे शहरो में जाने के लिए मजबूर है. ऐसे में फैसले के बाद ये उम्मीद तो जगी है कि शायद सभी का कल बेहतर होगा. मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा जैसे तमाम मुद्दे हैं जो चर्चा से गायब हो जाते थे लेकिन अब सरकारों को उन पर ध्यान देना होगा.
युवा मुखर लेकिन खुलकर नहीं बोल मुस्लिम रहे बुजुर्ग व महिलाएं
अयोध्या विवाद पर आए फैसले पर ज्यादातर मुस्लिम युवक मुखर हैं लेकिन कई बुजुर्ग और महिलाएं कैमरे पर बोलने से बच रहे हैं. उनका कहना है कि वह फैसले को स्वीकार रहे हैं लेकिन फिलहाल इससे ज्यादा टिप्पणी नहीं करना चाहते. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी की टिप्पणी आई है. उनका कहना है कि सभी मुस्लिम भाई फैसले का सम्मान करें. कोर्ट के निर्णय को लेकर कोई पुनर्विचार याचिका नहीं डाली जाएगी. सरकार जहां जमीन देगी वहां मस्जिद बना ली जायेगी. वह चाहते हैं अयोध्या अब आगे तरक्की करे.