scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशहाउडी मोदी के दोस्ताना माहौल के बाद अब भारत-अमेरिका को व्यापार रिश्ते सुधारने पर ध्यान देना है

हाउडी मोदी के दोस्ताना माहौल के बाद अब भारत-अमेरिका को व्यापार रिश्ते सुधारने पर ध्यान देना है

अमेरिका-भारत संबंधों में व्यापार एक मुश्किल बिंदु बना हुआ है, विशेष रूप से इस समय जब ट्रंप दुनियाभर के देशों के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे को पाटने में लगे हुए हैं.

Text Size:

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अच्छा दोस्ताना और रिश्तों के प्रदर्शन को लेकर थी, यह रविवार को हाउडी मोदी कार्यक्रम में देखने को मिला. अब मोदी की यात्रा के आने वाले पांच दिन कठिन बातचीत और व्यापार के बारे में होगी.

जब मोदी और ट्रंप संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में मंगलवार को मिलेंगे तो वे द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने वाले कुछ विवादास्पद मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करेंगे.

दिप्रिंट को सूत्र से जानकारी मिली है कि बैठक के दौरान दोनों नेता एक छोटे से व्यापार समझौते को शुरू कर सकते हैं, हालांकि, अमेरिका कश्मीर का मुद्दा भी उठा सकता है क्योंकि कश्मीर में 50 दिनों से संचार को बंद रखा गया है.

मोदी के साथ ट्रंप की बैठक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने के एक दिन बाद होगी. इमरान खान ने रविवार को यूएस के लिए उड़ान भरी थी. ह्यूस्टन में मेगा शो के बाद मोदी न्यूयॉर्क पहुंचे, जहां उन्होंने और ट्रम्प ने 50,000 से अधिक भारतीय और अमेरिकी जनता को संबोधित किया.


यह भी पढ़ेंः अमेरिकी निवेशकों को भारत की तरफ खींचने की मोदी की तैयारी, नए आर्थिक गठजोड़ की उम्मीदें


अमेरिका के लिए एक पैकेज

अमेरिका-भारत संबंधों में व्यापार एक मुश्किल बिंदु बना हुआ है, विशेष रूप से इस समय जब ट्रंप दुनियाभर के देशों के साथ अमेरिका के व्यापार घाटे को पाटने में लगे हुए हैं.

ट्रंप का मानना है कि घरेलू अमेरिकी उद्योग भी परेशानी का सामना कर रहे हैं क्योंकि भारत और चीन जैसे देश पर्याप्त अमेरिकी सामान खरीदने के बजाय अपने निर्यात को बढ़ावा दे रहे हैं.

राष्ट्रपति ट्रंप की चिंताओं को दूर करने के संदर्भ में बीजिंग के साथ व्यापार में कोई बढ़ोत्तरी न होने के कारण, वाशिंगटन अब नई दिल्ली की ओर देख रहा है.

पीएम की सप्ताह भर की यात्रा के दौरान पैकेज सामने आएगा, इससे अमेरिका के कृषि उत्पादों और मोबाइल फोन सहित सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उत्पादों की बाजार तक अधिक पहुंच होने की उम्मीद है.

भारत भी अमेरिकी चिकित्सा उपकरणों के आयात पर कुछ छूट दे सकता है.

हालांकि, अमेरिका से अपेक्षा की जाती है कि वह क्रमशः स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों के आयात पर 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क हटाए, जो उसने पिछले दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा आधार पर साल 1962 के अमेरिकी व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के तहत लगाया था.

अमेरिका ने कुछ भारतीय उत्पादों पर वरीयता को लेकर सामान्यीकृत प्रणाली (जीएसपी) कार्यक्रम के तहत दिए गए व्यापार लाभों को भी बहाल कर सकता है, जिससे अमेरिका को 6 बिलियन डॉलर के भारतीय शिपमेंट का लाभ मिलेगा. भारत को इस साल की शुरुआत में जीएसपी से हटा दिया गया था.

गैर-लाभकारी संगठन यूएस-इंडिया स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप फोरम के अध्यक्ष और सीईओ मुकेश अघी ने कहा, ‘हमारे संबंधों में इस वृद्धि को देखना अविश्वसनीय है और हम दोनों नेताओं की सराहना करते हैं जिन्होंने इस यात्रा को बहुत ही ठोस रूप से शुरू किया है.

उन्होंने कहा, ‘हम न्यूयॉर्क में द्विपक्षीय बैठक से कुछ ठोस नतीजों की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहां दोनों नेता हमारे व्यापार संबंधों पर चर्चा करेंगे, जो कि पिछले दशक में आगे ही बढ़ी है.


यह भी पढ़ेंः अबकी बार ट्रंप सरकार, मोदी जानते हैं भारत में जीत के लिए प्रवासी भारतीयों का दिल जीतना जरूरी


मुद्दों को हल किया जाना है

अमेरिका और भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में व्यापार से जुड़े विवादों की एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिनका दोनों नेताओं के मिलने के बाद एक सौहार्दपूर्ण अंत दिखाई दे रहा है.

इसके अलावा, भारत ने ट्रम्प प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई के जवाब में इस साल जून में 28 अमेरिकी सामानों पर शुल्क भी बढ़ाया था.

दोनों पक्षों ने पिछले साल वार्षिक यूएस-इंडिया ट्रेड पॉलिसी फोरम संवाद भी नहीं किया था, जिसके अब तक कोई संकेत नहीं है कि यह इस वर्ष भी आयोजित किया जाएगा.

हाउडी, मोदी! में रविवार को अपने भाषण के दौरान, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रम्प को एक ‘कड़ा वार्ताकार’ कहा और दोनों देशों के बीच संभावित व्यापार सौदे की क्षमता की ओर इशारा करते हुए उनकी ‘सौदा’ करने की ‘कला’ की तारीफ की.

एशिया कार्यक्रम के उप निदेशक माइकल कुगलमन और साउथ एशिया मामलों के वाशिंगटन स्थित थिंकटैंक विलसन सेंटर के वरिष्ठ सहयोगी ने कहा, ‘हमें (हाउडी मोदी!) को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं देखना चाहिए जिसका लगातार चुनौतियों का सामना कर रहे हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर प्रभाव पड़े.’

ओबामा प्रशासन में दक्षिण एशिया के लिए राज्य के उप सहायक सचिव एलिसा आयरेस के अनुसार, इस आयोजन से दोनों पक्षों को कुछ खास फायदा नहीं हुआ है.

न्यूयॉर्क स्थित थिंकटैंक काउंसिल में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया विदेश संबंधों के लिए वरिष्ठ साथी आयरेस ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि हमें इस सप्ताह तक प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है (यदि सभी पर) यह देखने के लिए कि क्या बहु-चर्चित संभावित व्यापार सौदा वास्तव में किसी निष्कर्ष पर पहुंच जाएगा.’


यह भी पढ़ेंः आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की जरूरत, ट्रंप भारत के साथ: पीएम मोदी


द्विपक्षीय बातचीत में पाकिस्तान की होगी चर्चा

इस बीच सूत्रों का कहना है कि कश्मीर के मामले और सीमा पार से फैलाये जा रहे आतंकवाद पर ट्रंप और मोदी की द्विपक्षीय बातचीत में चर्चा होगी, यानि चर्चा पाकिस्तान की भूमिका पर होगी.

कुगलमन ने कहा कि ‘भारत अमेरिका संबंधों में अब भी थोड़ी दिक्कत अमेरिका के पाकिस्तान से बढ़ते सहयोग को लेकर है. ट्रंप ने जितनी भी भूरि-भूरि तारीफ मोदी की हो, वो अब मोदी के धुर विरोधी से मिलने वाले हैं.’

राष्ट्रपति ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि वो भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मसले पर ‘मध्यस्थता’ करने को तैयार है पर मोदी ने भारत का पक्ष एक बार फिर रखा है कि वो किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्त्ता इस द्विपक्षी मुद्दे पर नहीं चाहता.

माना जा रहा है कि मोदी इस बात को एक बार फिर ज़ोर से कहेंगे और अमेरिका कश्मीर में लगातार चल रही बंदिशों पर सवाल पूछेगा. साथ ही वाशिंगटन दोनो पक्षों से कश्मीर मामले पर तनाव न बढ़ाने को कहेगा.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments