नई दिल्ली: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन अगले महीने भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि होंगे. यह दोनों देशों के बीच पिछले कुछ सालों में हुई गहरी साझेदारी की दिशा में एक और बड़ा कदम माना जा रहा है.
सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति को निमंत्रण भेज दिया गया है और औपचारिक स्वीकृति मिलने के बाद इसकी घोषणा की जाएगी.
यह तब हुआ है जब गणतंत्र दिवस परेड में क्वाड नेताओं को शामिल करने की पूर्व योजना शेड्यूलिंग मुद्दों के कारण विफल हो गई.
क्वाड में चार देश ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका हैं.
गणतंत्र दिवस के आसपास क्वाड लीडर्स का शिखर सम्मेलन आयोजित करने का विचार था क्योंकि भारत अगले साल मेजबान देश बनेगा.
26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बनने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को निमंत्रण भेजा गया था. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज़ को निमंत्रण नहीं भेजा गया क्योंकि देश 26 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया भी अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है.
सूत्रों ने कहा कि भले ही भारत में अमेरिकी राजदूत ने सितंबर में घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाइडेन को आमंत्रित किया था, हालांकि इसे औपचारिक रूप से स्वीकार किया जाना बाकी था, लेकिन शेड्यूलिंग मुद्दे थे.
इसके चलते क्वाड शिखर सम्मेलन भी स्थगित हो गया है.
सूत्रों ने कहा कि बाइडेन का ध्यान अगले साल फिर से चुने जाने पर केंद्रित है.
यह भी पढ़ें: निलंबित सांसदों को लेकर गुस्सा क्यों नहीं दिख रहा? भारतीय वोट तो देते हैं पर संस्थानों की रक्षा नहीं करते
भारत-फ्रांस संबंध
भारत-फ्रांस संबंधों पर बोलते हुए, सूत्रों ने कहा कि फ्रांस सालों से भारत का एक विश्वसनीय भागीदार बना हुआ है.
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद 2016 के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि थे.
दिलचस्प बात यह है कि मोदी इस साल बैस्टिल डे (फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस) समारोह और परेड में मुख्य अतिथि थे.
दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस ने इस सप्ताह अपने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए 26 राफेल समुद्री लड़ाकू जेट खरीदने की भारतीय नौसेना की योजना के लिए बोलियां लगाई थीं.
फ्रांसीसियों ने तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद के लिए भी बोली लगाई हैं, जिनका निर्माण उसकी फर्म नेवल ग्रुप की मदद से भारत में किया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि फ्रांस एक ऐसा पश्चिमी देश था जिसने दूसरों के विपरीत, पोखरण में हुए दूसरे परमाणु परीक्षण के बाद भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था.
भारत और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक मंचों पर भी घनिष्ठ साझेदारी देखी है. फ्रांस मौन रूप से भारत का समर्थन करता रहा है और यहां तक कि भारत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को कोई हथियार नहीं बेचने पर भी सहमत हो गया है.
(संपादनः ऋषभ राज)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ें: संसद सुरक्षा चूक मामले में फेसबुक पेज ‘भगत सिंह फैंस’ के सदस्य को दिल्ली पुलिस ने UP से हिरासत में लिया