नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को यहां आश्वस्त किया कि केंद्र आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और अगर सर्वोच्च न्यायालय विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए आरक्षण तंत्र में बदलाव को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका को खारिज कर देता है तो सरकार अध्यादेश लाएगी. लोकसभा में समाजवादी पार्टी(सपा), राष्ट्रीय जनता दल(राजद) और अन्य विपक्षी पार्टियों ने प्रश्नकाल में इस बाबत पूर्ववर्ती प्रणाली को फिर से लाए जाने की मांग की, जिसके बाद जावड़ेकर ने यह बयान दिया.
इन दलों का कहना है कि नई प्रणाली उच्च शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जाति(एससी), अनुसूचित जनजाति(एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) को आरक्षण से वंचित करती है.
जावड़ेकर ने कहा, ’13 सूत्री रोस्टर को लागू नहीं किया जाएगा. सरकार समीक्षा याचिका दाखिल करेगी और अगर जरूरत पड़ी तो अध्यादेश लाएगी.’
सपा के धर्मेद्र यादव ने इससे पहले सरकार पर उच्च शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण लागू नहीं करने के आरोप लगाए और मांग की कि केंद्र को एससी, एसटी और ओबीसी के हितों को देखते हुए विधेयक लाना चाहिए.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने बीते मार्च शिक्षकों के पदों में एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित सीटों का निर्णय प्रत्येक विभाग को एक आधार इकाई मान कर करने की घोषणा की थी.