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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशबहराइच में सांप्रदायिक झड़प के बाद आरोपियों के घर के बाहर लगे अतिक्रमण हटाने के नोटिस

बहराइच में सांप्रदायिक झड़प के बाद आरोपियों के घर के बाहर लगे अतिक्रमण हटाने के नोटिस

विजयादशमी जुलूस के दौरान मुस्लिमों के एक ग्रुप द्वारा कथित तौर पर एक हिंदू व्यक्ति की हत्या किए जाने के बाद हिंसा भड़क गई. इसके बाद आरोपी अब्दुल हमीद के पड़ोस में स्थित 23 घरों को नोटिस दिए गए हैं.

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बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच में महसी के महाराजगंज ब्लॉक के निवासी 40 वर्षीय मून जायसवाल ने कुछ महीने पहले राहत की सांस ली थी, जब स्थानीय अधिकारियों ने सड़क किनारे स्थित उनके घर को ‘वैध’ घोषित कर दिया था.

लेकिन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की ओर से इलाके के करीब 23 परिवारों को नोटिस भेजकर रविवार तक अपने-अपने आवासीय ढांचों की वैधता साबित करने को कहा गया है, जिससे वे चिंतित हैं. जायसवाल का चार सदस्यीय परिवार भी उनमें से एक है.

निवासियों ने आरोप लगाया है कि 17 अक्टूबर की तारीख वाले नोटिस उनके घरों पर शुक्रवार शाम को चिपकाए गए, जो कि एक दिन देरी से था. शनिवार को, उनमें से कई ने माना कि ‘बुलडोजर कार्रवाई’ होने वाली थी, जिसके बाद कई व्यवसायियों ने सड़क किनारे अपनी दुकानें खाली करना शुरू कर दिया.

पीडब्ल्यूडी के नोटिस पिछले रविवार को विजयादशमी जुलूस में टकराव के दौरान मुस्लिम पुरुषों के एक समूह द्वारा कथित तौर पर गोली मारकर हत्या करने के एक सप्ताह से भी कम समय बाद चिपकाए गए थे, जिसके बाद बहराइच में सांप्रदायिक झड़पें हुईं.

मिश्रा की हत्या के मामले में आरोपी के तौर पर नाम आने के बाद महाराजगंज ब्लॉक के निवासी अब्दुल हमीद को उसके दो बेटों मोहम्मद सरफराज और मोहम्मद फहीम के साथ गिरफ्तार किया गया है. मिश्रा की हत्या कथित तौर पर हमीद के घर पर की गई थी.

एफआईआर में हमीद, उसके दो बेटों और तीन अन्य मुस्लिम लोगों की पहचान मिश्रा के बड़े भाई हरिमिलन ने की है.

बहराइच जिला पुलिस ने अब तक हरदी पुलिस स्टेशन में दर्ज कुल 10 एफआईआर में करीब 88 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें मिश्रा की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए पांच लोग भी शामिल हैं.

The PWD notice pasted on accused Abdul Hameed's house, where Ram Gopal Mishra was allegedly killed | Mayank Kumar | ThePrint
आरोपी अब्दुल हमीद के घर पर पीडब्ल्यूडी का नोटिस चिपकाया गया, जहां कथित तौर पर राम गोपाल मिश्रा की हत्या की गई थी | मयंक कुमार | दिप्रिंट

जायसवाल, जिनका घर हमीद के घर के बाईं ओर से तीसरा है, ने सवाल उठाया कि हमीद के घर के पूर्व में स्थित घरों को पीडब्ल्यूडी से कोई नोटिस क्यों नहीं मिला, जबकि पश्चिम में स्थित घरों को अलर्ट पर रखा गया है.

दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा, “क्या हम ही सड़क की जमीन पर हैं? अगर यह अतिक्रमण है और सरकारी जमीन से इन संरचनाओं को हटाने के बारे में है, तो क्या हमने अकेले ने ही अतिक्रमण कर रखा है?”

दिप्रिंट ने कई घरों पर नोटिस देखे हैं, जिनमें मालिकों से रविवार तक सक्षम अधिकारियों से अनुमति लेकर अपनी संपत्ति की वैधता साबित करने या उन्हें साइट से हटाने के लिए कहा गया है. नोटिस में आगे कहा गया है कि ऐसा न करने पर अधिकारी उन बिल्डिंग्स को ढहा देंगे, जिसका खर्च संपत्ति मालिकों पर ही लगाया जाएगा. निवासियों द्वारा किए गए मोटे अनुमान के अनुसार, लगभग 23 संपत्ति मालिकों को नोटिस मिले हैं. इनमें से चार हिंदू परिवार हैं, जिनमें जायसवाल और उनके दो भाई शामिल हैं.

जायसवाल के घर से कुछ मीटर की दूरी पर, 61 वर्षीय मसूद अहमद ने नोटिस और “अपरिहार्य” रूप से ढहाए जाने की कार्रवाई को भेदभावपूर्ण बताया.

उन्होंने पूछा, “अपराध करने वाले आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. इससे क्या उद्देश्य पूरा होगा?”  साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने 2016 में संपत्ति खरीदी थी – जो पीडब्ल्यूडी की जांच के दायरे में आ गई है.

उन्होंने आगे कहा, “पहले 28 फीट के नियम के कारण मेरी दुकान का क्षेत्रफल छोटा कर दिया गया था, लेकिन अब रातों-रात 60 फीट का नियम लागू होने से मैं अपनी दुकान और अपनी आजीविका का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खो दूंगा. यह कुछ और नहीं बल्कि एक व्यक्ति या परिवार द्वारा किए गए अपराध के लिए सामूहिक सजा है.”

Masood Ahmed, 61, is another resident who has been served the anti-encroachment notice | Mayank Kumar | ThePrint
61 वर्षीय मसूद अहमद एक अन्य निवासी हैं जिन्हें अतिक्रमण को हटाने संबंधी नोटिस दिया गया है | मयंक कुमार | दिप्रिंट

उल्लेखनीय है कि 1 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर से अपने अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाते हुए “अनधिकृत” ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी और दंडात्मक उपाय के रूप में राज्य सरकारों द्वारा आपराधिक मामलों में आरोपी व्यक्तियों की संपत्तियों के इस तरह के ध्वस्तीकरण को रोकने के लिए अखिल भारतीय दिशा-निर्देश निर्धारित करने का संकेत दिया था.

पिछले महीने, आपराधिक मामलों में मालिकों के नाम सामने आने के बाद निजी संपत्तियों को गिराने के खिलाफ याचिकाओं की एक श्रृंखला पर सुनवाई करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने 1 अक्टूबर तक बिना अनुमति के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी, जब न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि, पीठ ने सार्वजनिक सड़कों, गलियों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या सार्वजनिक स्थानों जैसे जल निकायों पर निर्मित अनधिकृत संरचनाओं को अपवाद बनाया.

‘इसी जमीन पर पैदा हुआ, 40 साल यहीं रहा’

महाराजगंज में अपने घर के बाहर पान की दुकान चलाने वाले जायसवाल ने आगे आरोप लगाया कि उन्हें और अन्य लोगों को अपने पुश्तैनी जमीन पर बने घर को ढहाने के लिए खुद को तैयार करने के लिए केवल एक दिन मिला. जायसवाल ने शनिवार को दिप्रिंट से कहा, “मैं यहीं पैदा हुआ. यह जमीन मेरे पिता ने खरीदी थी और बाद में इसे तीन भाइयों में बांट दिया गया जो पड़ोसी के तौर पर रहते हैं. अगर यह ढहा दिया गया तो हम कहां जाएंगे? मेरे पास न तो पैसे हैं और न ही कहीं और नए सिरे से जीवन शुरू करने की इच्छा.”

जायसवाल की पत्नी शिवप्यारी परिवार की आर्थिक स्थिति पर चर्चा करते हुए रो पड़ीं. उन्होंने कहा कि उनकी दो बेटियों में से एक की शादी की उम्र करीब है. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “हमने अपनी ज़िंदगी को शांति से जीने के लिए बहुत मेहनत की है. अगर हमारे सिर पर छत ही नहीं है तो हम कहां जाएंगे?”

जायसवाल ने कहा कि हमीद और उनके तीन बेटे सोने के कारोबार से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि हमीद ने अपने पिता से ज़मीन का एक बड़ा टुकड़ा खरीदा था और इसी वजह से वे दशकों से पड़ोसी हैं.

जायसवाल ने बताया कि हमीद का बड़ा बेटा, जो घर छोड़कर नेपाल में बस गया है, सोने का कारोबार भी करता है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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