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Saturday, 20 April, 2024
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4 महीने की सख्ती के बाद मोदी सरकार ने इंटरनेशनल वेबिनार पर पाबंदियां हटाईं

शिक्षा मंत्रालय ने पब्लिक फंडेड इंस्टीट्यूशन के मामले में विदेश मंत्रालय की अधिसूचना को ही आगे बढ़ाया था. शिक्षा मंत्रालय अब संस्थानों को संशोधित अधिसूचना भेजेगा.

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नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (एमओई) का कहना है कि वह शिक्षा संस्थानों के बीच विदेश मंत्रालय (एमईए) की एक संशोधित अधिसूचना सर्कुलेट करेगा, जिसमें ‘भारत के आंतरिक मामलों’ से जुड़े विषयों पर होने वाली वेबिनार के संबंध में नवंबर में जारी लिखित निर्देशों को वापस ले लिया गया है.

नवंबर 2020 में विदेश मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें आयोजकों से कहा गया कि वे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा, पूर्वोत्तर राज्य, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख या ऐसे किसी भी अन्य मुद्दे जो स्पष्ट रूप से भारत के आंतरिक मामलों से जुड़ा हों,’ पर केंद्रित किसी भी ऑनलाइन इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के आयोजन से पहले सरकार से मंजूरी लें.’

शिक्षा मंत्रालय ने भी 15 जनवरी को इसी आधार पर शिक्षण संस्थानों और अनुसंधान परिषदों के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी. शिक्षा मंत्रालय के सर्कुलर में कहा गया था, ‘मंत्रालय या विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, केंद्रीय शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक वित्तपोषित विश्वविद्यालयों या फिर भारत सरकार/राज्य/केंद्रशासित प्रदेश के स्वामित्व और नियंत्रण वाले संगठनों को ऐसे किसी आयोजन के साथ-साथ इसमें हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों की सूची पर भी मंत्रालय के प्रशासनिक सचिव की मंजूरी लेनी होगी.’

पब्लिक फंडेड शिक्षण संस्थानों पर लागू नियम

सर्कुलर में कहा गया था, ‘आंतरिक सुरक्षा, सीमा, पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर या स्पष्ट तौर पर भारत के आंतरिक मामलों से जुड़े सभी आयोजनों; विदेशी फंडिंग और संवेदनशील विषयों से जुड़े कार्यक्रमों…’ के लिए विदेश मंत्रालय की अनुमति की जरूरत होगी.

आधिकारिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि, बुधवार को विदेश मंत्रालय ने गृह मंत्रालय के लिए गाइडलाइन जारी की, जिसमें कहा गया कि ‘यात्रा और लोगों के एकत्र होने पर लगी पाबंदियों में ढील—कोविड महामारी के संदर्भ में—के मद्देनजर वह नवंबर 2020 में जारी निर्देश वापस ले रहा है.’

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शिक्षा मंत्रालय की तरफ से इस बाबत दिप्रिंट को दी गई आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा गया है कि वह ‘सभी संस्थानों और अनुसंधान परिषदों को विदेश मंत्रालय का संशोधित दिशा-निर्देश सर्कुलेट करेगा.’

शिक्षा मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय की अधिसूचना खुद ही स्थिति को स्पष्ट करती है, हमें आगे संस्थानों को कुछ बताने की जरूरत ही नहीं है. नवंबर 2020 की अधिसूचना वापस ले ली गई है, इसका सीधा मतलब है कि कोविड पूर्व वाले नियम फिर से लागू हो गए हैं.’

इस बीच, सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि सरकार ने विभिन्न थिंक टैंक और संगठनों को निर्देश दिया है कि वे ‘संवेदनशील विषयों’ पर वेबिनार का आयोजन अमेरिकी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप जूम पर न करें क्योंकि यह चीन स्थित सर्वरों का भी इस्तेमाल करता है.

दिप्रिंट ने इस बाबत अधिक जानकारी के लिए फोन के जरिये विदेश मंत्रालय से संपर्क किया, लेकिन यह खबर प्रकाशित होने के समय तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी.

कोविड-पूर्व वाले नियमों की वापसी

नवंबर 2020 में विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में अन्य बातों के अलावा यह भी स्पष्ट किया गया था कि भारत के आईटी डाटा सिक्योरिटी, निजी डाटा और अन्य ‘संवेदनशील सूचनाओं’ की सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों के तहत इसका ‘पूरी तरह पालन’ करना अनिवार्य होगा.

इसमें कहा गया था कि ‘निगरानी और नियंत्रण सुनिश्चित करने के उद्देश्य’ से ऐसे किसी भी आयोजन के लिए विदेश मंत्रालय की अनुमति लेना जरूरी होगा जो ‘आंतरिक सुरक्षा, सीमा, पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर’ से जुड़ा हो या फिर कोई ‘विदेशी फंडिंग या स्पॉन्सरशिप’ से होने वाला कार्यक्रम हो.

कोविड पूर्व नियमों में वापसी का मतलब है कि ऐसे किसी भी आयोजन, जिसमें अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी शामिल हों या कुछ चुनिंदा क्षेत्रों की यात्राओं की जरूरत हो, के लिए सबसे पहले सिक्योरिटी क्लीयरेंस के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय में पंजीकरण कराना होगा.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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