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Monday, 23 December, 2024
होमदेशप्रशांत भूषण ने माफी मांगने से किया मना, सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में पुनर्विचार के लिए 2-3 दिन का समय दिया

प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से किया मना, सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में पुनर्विचार के लिए 2-3 दिन का समय दिया

प्रशांत भूषण ने अदालत में अपनी दलील देते हुए कहा कि संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किसी भी लोकतंत्र में खुली आलोचना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, 'मेरे किए गए ट्वीट्स मेरे दायित्वों का एक छोटा सा प्रयास भर हैं'.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अटार्नी जनरल वेणुोगोपाल ने भूषण को सजा न देनी की मांग की लेकिन जस्टिस मिश्रा ने इससे इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘हम आपके प्रस्ताव को नहीं मान सकते जब तक वे अपने बयान पर विचार नहीं करते.’

जस्टिस गवई ने कहा, ‘ट्वीट्स ने पूरे संस्थान को प्रभावित किया है न कि कुछ जजों को.’

जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘जब सजा की बात होगी, हम तभी रियायत बरत सकते हैं जब व्यक्ति मांफी मांगे और अपनी गलती स्वीकार करे.’

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरूण मिश्रा की बेंच ने अदालत की अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण को 2-3 दिनों का समय पुनर्विचार करने के लिए दिया है. उन्होंने कहा, ‘इस पर सोचिए, हम अभी फैसला नहीं देना चाहते.’

उन्होंने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि बाद में ये कहा जाए कि समय नहीं दिया गया.’

जस्टिस अरूण मिश्रा ने अटार्नी जनरल से पूछा कि क्या हमें प्रशांत भूषण को 2-3 दिन का समय देना चाहिए? इस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि उन्हें समय देना ठीक रहेगा.

इस पर जस्टिस बीआर गवई ने भूषण से पूछा, ‘क्या आप अपने बयान पर पुर्विचार करेंगे.’ भूषण ने कहा, ‘मैं पुनर्विचार नहीं करना चाहता और समय देने की जहां तक बात है मुझे नहीं लगता कि ये ठीक होगा.’


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सुनवाई टालने की अर्जी अदालत ने की खारिज

प्रशांत भूषण की तरफ से दलील दे रहे वकील दुष्यंत दवे ने अदालत में सजा की सुनवाई टालने की अर्जी दी थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया.

प्रशांत भूषण ने अदालत में अपनी दलील देते हुए कहा कि संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किसी भी लोकतंत्र में खुली आलोचना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘मेरे किए गए ट्वीट्स मेरे दायित्वों का एक छोटा सा प्रयास भर हैं’.

उन्होंने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा, ‘मैंने दया की याचना नहीं की. मैंने दरियादिली दिखाने की अपील नहीं की. अदालत के किसी भी सजा को मैं मंजूर करूंगा’.

उन्होंने कहा, ‘मुझे यह विश्वास करना मुश्किल है कि न्यायालय ने मेरे ट्वीट को ‘भारतीय लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण स्तंभ के आधार को अस्थिर करने का प्रभाव’ के तौर पर देखा है. मैं फिर से दोहरा सकता हूं कि 2 ट्वीट्स मेरे विश्वासों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसकी अभिव्यक्ति की अनुमति किसी भी लोकतंत्र में होनी चाहिए.’

जस्टिस अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने इस मामले पर फैसला सुनाया. इससे पहले 14 अगस्त को अदालत ने भूषण को दोषी पाया था.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज सहित कई वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेताओं ने प्रशांत भूषण का समर्थन किया है.


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संतुलन और संयम मुद्दा: जस्टिस अरूण मिश्रा

जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा कि संतुलन और संयम की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘आप व्यवस्था का हिस्सा हैं. आपने उत्साह में लक्ष्मण रेखा पार की. किसी को भी ऐसा नहीं करना चाहिए. अच्छी चीजों का स्वागत होता है. अच्छे मामलों को दायर करने पर हम सराहना करते हैं.’

मिश्रा ने कहा, ‘मैंने अपने न्यायिक कैरियर में एक भी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना ​​नहीं की है. संतुलन और संयम मुद्दे हैं.’

जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘प्रशांत भूषण द्वारा लड़े गए मामलों की सूचि से हम खुश हैं.’

न्यायालय ने 21 जुलाई को भूषण के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू की थी. अपने एक ट्वीट में भूषण ने सीजेआई बोबडे की हार्ले डेविडसन बाइक पर बैठे फोटो को लेकर टिप्पणी की थी. दूसरे ट्वीट में, उन्होंने सीजेआई और पिछले सीजेआई की आलोचना की थी.

इसी पीठ ने 10 अगस्त को भी 2009 में तहलका पत्रिका को दिए साक्षात्कार के लिए उनके स्पष्टीकरण को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था, जब उन्होंने पूर्व सीजेआई के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. उनके खिलाफ दशकों पुराने अवमानना ​​मामले में आगे बढ़ने का फैसला करते हुए पीठ ने 17 अगस्त से सुनवाई करने का फैसला किया है.


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हार्ले डेविडसन पर बैठे बोबडे़ पर ट्वीट को लेकर माफी मांगी थी

इस महीने की शुरुआत में, भूषण ने सीजेआई बोबडे पर अपने ट्वीट के एक हिस्से के लिए माफी मांगी थी पर उन्होंने बोबडे और पूर्व सीजेआई पर अपने बाकी ट्वीट्स के पक्ष में खड़े थे.

अपने 29 जून के ट्वीट में हार्ले डेविडसन बाइक की सवारी करते हुए सीजेआई बोबडे की तस्वीर पर ट्वीट के लिए माफी मांगते हुए, भूषण ने कहा कि उन्हें यह कहने के लिए पछतावा है कि सीजेआई ने हेलमेट नहीं पहना था क्योंकि उन्होंने ध्यान नहीं दिया कि बाइक खड़ी थी.

‘शुरुआत में मैं स्वीकार करता हूं कि मुझे इसका ध्यान नहीं था कि बाइक एक स्टैंड पर थी और इसलिए हेलमेट पहनने की आवश्यकता नहीं थी. इसलिए मुझे अपने ट्वीट के उस हिस्से पर पछतावा है.’ उन्होंने यह बात अवमानना ​​नोटिस के जवाब में एक दिए गए हलफनामे में कही है.

हालांकि, उनके अन्य ट्वीट की बात करें तो भूषण ने कहा था कि वे पिछले वर्षों में सुप्रीम कोर्ट के तरीके और कार्यप्रणाली के बारे में अच्छी भावना रखते थे.


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