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Saturday, 16 November, 2024
होमदेशमृत सांसद के बेटे ने कहा- प्रशासक पटेल ने MP डेलकर को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी और 25 करोड़ मांगे

मृत सांसद के बेटे ने कहा- प्रशासक पटेल ने MP डेलकर को झूठे केस में फंसाने की धमकी दी और 25 करोड़ मांगे

दादरा व नगर हवेली से 7 बार के सांसद मोहन डेलकर का शव 22 फरवरी को मुंबई के एक होटल के कमरे में लटका पाया गया. 15 पन्नों के उनके सुसाइड नोट में पटेल और अन्य अधिकारियों का नाम लिया गया है.

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मुंबई: मोहन डेलकर, दादरा व नगर हवेली से 7 बार के सांसद, जिनका शव पिछले महीने मुंबई के एक होटल के कमरे में लटका पाया गया, को केंद्र-शासित क्षेत्र के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा ‘परेशान’ किया जा रहा था, कि या तो वो 25 करोड़ रुपए दे दें, अन्यथा उनके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टिविटीज़ एक्ट (पासा) के तहत झूठा केस कर दिया जाएगा. ये इल्ज़ाम डेलकर के बेटे अभिनव डेलकर ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में लगाया है.

डेलकर का शव 22 फरवरी को मरीन ड्राइव पर होटल सी ग्रीन साउथ में एक कमरे में पाया गया था.

मंगलवार को, मुंबई पुलिस ने नो लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाने), 389 (जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना), 506 (आपराधिक धमकी) और अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है.

एफआईआर, जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास है, अभिनव की शिकायत (मूल रूप से मराठी में) के आधार पर दर्ज की गई है, जिसमें दादरा व नगर हवेली प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल, ज़िला मजिस्ट्रेट (डीएम) संदीप सिंह (आईएएस), पूर्व पुलिस अधीक्षक (एसपी) शरद दराड़े (आईपीएस), उप-ज़िला मजिस्ट्रेट अपूर्वा शर्मा (दानिक्स-दिल्ली, अंडमान निकोबार द्वीप समूह सिविल सेवा), सब-डिवीज़नल ऑफिसर मानस्वी जैन (दानिप्स- दिल्ली, अंडमान निकोबार द्वीप समूह पुलिस सेवा), पुलिस इंस्पेक्टर मनोज पटेल, दादरा व नगर हवेली विधि सचिव रोहित यादव, बीजेपी नेता फतेह सिंह वी चौहान और दिलीप पटेल (तलाथी) के नाम लिए गए हैं.

अपनी शिकायत में, अभिनव ने आरोप लगाया कि उनके पिता मोहन डेलकर, जो दोधिया पटेल समुदाय के एक प्रमुख आदिवासी नेता थे और जिन्होंने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर, 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था, ‘एक साल से गंभीर मानसिक तनाव में थे’ और पटेल के आदेशों पर, उन्हें दादरा व नगर हवेली प्रशासन की ओर से परेशान किया जा रहा था.

उन्होंने अपनी शिकायत में कहा, ‘प्रशासन और उनके कई अधिकारी, मेरे पिता के खिलाफ झूठी और बेबुनियाद शिकायतें दर्ज कराते रहते थे. पुलिस भी उन्हें परेशान कर रही थी’.

अभिनव ने ये भी आरोप लगाया कि पटेल यूटी के सिलवासा स्थित एसएसआर कॉलेज को अपने नियंत्रण में लेना चाहते थे, जो डेलकर की मिल्कियत थी और कॉलेज के मामलों को देखने तथा डेलकर को ‘परेशान’ करने के लिए उन्होंने एक प्रशासक नियुक्त कर दिया था.

अभिनव का ये भी आरोप था कि पटेल ने डेलकर को ‘झूठे मामलों’ में जेल में डालने की धमकी भी दी थी.

अभिनव ने अपने बयान में कहा, ‘पिछले एक साल से मेरे पिता मानसिक तनाव में थे. प्रफुल्ल पटेल की निगरानी में, प्रशासनिक अधिकारी उन्हें निशाना बनाया करते थे और उन्हें परेशान तथा अपमानित करते थे. ऐसा करने के पीछे कारण ये था कि वो सिलवासा में एसएसआर कॉलेज पर, जिसे मेरे पिता चलाते थे, कब्ज़ा करना चाहते थे और अगले लोकसभा चुनावों के लिए मेरे पिता का राजनीतिक करियर खत्म कर देना चाहते थे’.

अभिनव ने ये भी आरोप लगाया कि तत्कालीन एसपी दराड़े और पुलिस इंस्पेक्टर मनोज पटेल ने उन्हें परेशान करने के लिए ‘एक पुराना केस (137/2003) खोल दिया’ और उन्हें बार-बार पूछताछ के लिए बुलाते थे.

अभिनव ने कहा कि डेलकर के सुसाइड नोट में कहा गया है कि यदि पटेल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई और उन्हें परेशान किया जाना बंद नहीं हुआ, तो उनके पास खुदकुशी करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा.

दिप्रिंट ने व्हाट्सएप मैसेज के ज़रिए, पटेल की प्रतिक्रिया लेनी चाही लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. अगर उनका जवाब आता है तो रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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‘सार्वजनिक रूप से अपमान’

अभिनव ने ये भी आरोप लगाया कि डेलकर को ‘सार्वजनिक कार्यक्रमों में अपमानित’ किया जाता था, स्थानीय प्रशासन ने उनकी बात सुनना बंद कर दी थी और सरकारी कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित भी नहीं किया जाता था.

अभिनव ने ऐसी कई मिसालें दीं, जिनकी वजह से उनके पिता ने ‘अपना जीवन खत्म कर लिया’.

अपनी शिकायत में उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता सांसद थे लेकिन ये लोग उन्हें अपमानित करते थे और उनके साथ बुरा बर्ताव करते थे. उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों में बोलने की इजाज़त नहीं थी और भाषण देने से रोक दिया जाता था’.

अभिनव ने ये भी दावा किया कि आमतौर से स्थानीय सांसद, स्वतंत्रता दिवस समारोह के मौके पर, जो दादरा नगर हवेली में हर साल दो अगस्त को आयोजित किया जाता है, अपने चुनाव क्षेत्र को संबोधित करता है लेकिन 2020 में उनके पिता को भाषण नहीं देने दिया गया और उनकी बजाय ज़िला कलेक्टर रावत को आयोजन का मुख्य अतिथि बना दिया गया.

अपनी शिकायत में उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता को आमतौर पर कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाता था, जहां वो भाषण दिया करते थे. ये परंपरा पिछले 66 वर्षों से चली आ रही है. लेकिन 2020 में कलेक्टर रावत मुख्य अतिथि बन गए और उन्होंने भाषण भी दिया’.

अभिनव ने ये भी कहा कि तीन मौके ऐसे थे, जब प्रशासन ने डेलकर की नहीं सुनी और उच्च अधिकारियों को शिकायत के बाद भी, कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि उनके पिता को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया.

अभिनव ने कहा कि डेलकर ने शिकायतें दर्ज कराईं थीं और 18 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी, 18 दिसंबर 2020 को ही गृह मंत्री अमित शाह, 12 जनवरी 2021 को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला और 13 जनवरी को एक संसदीय पैनल के प्रमुख भूपेंद्र यादव को पत्र लिखे थे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी.

डेलकर ने होटल के कमरे में 15 पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने पटेल और कई अन्य सरकारी अधिकारियों के नाम लिए थे. उन्होंने इन सब पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया था और कहा था कि इन्हीं लोगों ने, उन्हें ये अंतिम कदम उठाने के लिए मजबूर किया.

(संघमित्रा मजूमदार द्वारा संपादित)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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