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Friday, 19 April, 2024
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ADB रिपोर्ट का दावा- आलू, आम, अमरूद, चना, सरसों से बदल सकती है UP की कृषि अर्थव्यवस्था

ADB रिपोर्ट में कहा गया है कि इन फसलों में ‘ऊंची क्षमता’ है, कि ये किसानों की आमदनी दोगुनी कर सकती हैं, और सार्वजनिक-निजी साझेदारी तथा निवेश के अवसर पैदा कर सकती हैं.

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार सोचती है कि उसका प्रांत देश का अन्न भंडार बन जाए, लेकिन उस लक्ष्य के क़रीब पहुंचने के लिए, उसे प्रमुख फसलों की वैल्यू चेन्स में सुधार करना होगा, ये विचार एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में व्यक्त किए हैं.

कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में यूपी 5.1 प्रतिशत की लक्षित विकास दर कैसे प्राप्त कर सकता है, इस बारे में अपनी सिफारिशें करने के लिए एडीबी ने स्टडी में पांच ‘ऊंचे मूल्य और ऊंची मात्रा’ वाली फसलों का चयन किया- आलू, आम, अमरूद, चना और सरसों.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन फसलों में ‘ऊंची क्षमता’ है, कि ये ‘किसानों की आमदनी दोगुनी कर सकती हैं,’ और सार्वजनिक-निजी साझेदारी तथा निवेश के अवसर पैदा कर सकती हैं. लेकिन इसके रास्ते में अभी कई बाधाएं मौजूद हैं.

‘उत्तर प्रदेश में कृषि मूल्य शृंखलाओं में सुधार’ शीर्षक से इस रिपोर्ट में मूल्य श्रृंखलाओं में अंतराल की शिनाख़्त की गई- फसल कटाई की ख़राब तकनीक से लेकर कोल्ड स्टोरेज के अभाव और बाज़ार के कमज़ोर बुनियादी ढांचे तक- ताकि यूपी सरकार के लिए एक ‘रोडमैप’ तैयार किया जा सके, जो कृषि में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्सान देकर, खाद्य सुरक्षा और समावेशी तथा सतत ग्रामीण विकास सुनिश्चित करना चाहती है.

वैल्यू चेन यानी मूल्य श्रृंखला से तात्पर्य विभिन्न लोगों (जैसे किसान और व्यापारी) और गतिविधियों (जैसे भंडारण, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग) से होता है, जो फसल को खेतों से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचाते हैं.

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रिपोर्ट में उत्पादन, ग्रामीण इनफ्रास्ट्रक्चर, किसानों के लिए क्षमता निर्माण, और मार्केटिंग आदि क्षेत्रों में निवेश के लिए भी सिफारिशें की गई हैं.

एडीबी की स्टडी 2019 में चार महीने की अवधि में की गई, और इसमें फील्ड के दौरे, और निजी क्षेत्र की कृषि व्यवसाय से जुड़ीं क़रीब 115 कंपनियों से परामर्श शामिल था.


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चुनौतियां और अंतराल

रिपोर्ट के अनुसार, चुनी गई फसलों की मूल्य श्रृंखला की चुनौतियों में, (फर्टिलाइज़र्स जैसे) इनपुट का कम इस्तेमाल, छोटे पैमाने का काम, उपज की उचित ग्रेडिंग, छंटाई, और पैकिंग, तथा पुरानी पड़ चुकीं कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं आदि शामिल हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि इस प्रकार की समस्याओं के नतीजे में, बर्बादी और ख़र्च दोनों बढ़ गए.

रिपोर्ट में उन चुनौतियों पर भी रोशनी डाली गई, जो किसानों को पेश आती हैं, जैसे किफायती संस्थागत ऋण की सीमित सुविधाएं, बाज़ार और मूल्यों की वास्तविक समय सूचना का अभाव, और खेली के सही तरीक़ों की जानकारी की कमी.

एडीबी के दक्षिण एशिया विभाग के महानिदेशक केनिची योकोयामा ने रिपोर्ट की भूमिका में लिखा, कि छोटे और सीमांत किसान जो यूपी में 65 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में खेती करते हैं, उन्हें ‘वैल्यु चेन्स तथा बाज़ारों से जुड़ने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है’.

उन्होंने आगे कहा कि उत्पादन प्रणालियों, कृषि व्यवसाय इनफ्रास्ट्रक्चर और बाज़ारों से जुड़ाव को आधुनिक करने का ‘किसानों की आय बढ़ाने और आजीविका का स्तर सुधारने के मामले में बहुत असर पड़ेगा.’


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ADB की सिफारिशें

रिपोर्ट में कहा गया कि कृषि क्षेत्र की इनीशिएटिव बाज़ार-संचालित होनी चाहिए और उन्हें निजी क्षेत्र से क़रीबी भागीदारी के साथ लागू किया जाना चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया कि ‘दख़लअंदाज़ियों की उपयोगिता को लेकर, निजी क्षेत्र से निरंतर फीडबैक मिलते रहना चाहिए.’

एडीबी की सिफारिश है कि यूपी सरकार को बहुत सारे क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए, जिनमें:
(ए) खेती के बेहतर तरीक़े और कटाई के बाद की बेहतर तकनीकें अपनाने में किसानों की सहायता, जिससे कि उत्पादकता और बिकाऊ फालतू माल में सुधार हो सके.
(बी) छोटे किसानों के लिए बुनियादी सुविधाएं स्थापित करना, जिनमें शुष्क भंडारण सुविधाएं, और बहु-फसलीय उपकरण बैंक आदि शामिल हैं.
(सी) व्यवसाय को संभालने के लिए पेशेवर स्टाफ रखने में सहायता और बाज़ार लिंक्स बनाकर किसानों तथा किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओज़) के लिए क्षमता का निर्माण करना.(डी) राज्य के भीतर और बाहर उत्पादकों और निजी क्षेत्र के व्यवसाइयों के बीच, बाज़ार लिंक्स विशेषकर प्रोसेसर्स में सुधार करना.
(ई) बाज़ार आसूचना और मूल्य खोज प्रणालियों को मज़बूत करना, जिससे अलग अलग बाज़ारों में आवक और ग्रेड-विशिष्ट मूल्य निर्धारण की, रियल-टाइम जानकारी मिलती रहे.
(एफ) मियादी कर्ज़ तथा वर्किंग कैपिटल लोन्स को विस्तृत करना, किसान समूहों तथा कृषि उद्यमों के लिए आंशिक लोन गारंटियां देना, जिससे उत्पादकों की कोल्ड-स्टोरेज मालिकों, तथा अन्य औपचारिक स्रोतों पर निर्भरता कम हो सके, और किसानों को सामूहिक उत्पादन और विपणन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
(जी) किसानों तथा उनके समूहों के बीच बहुत सारे वेब और एप-आधारित कृषि बाज़ार सूचना प्रणालियों के प्रयोग को प्रोत्साहन देना.
(एच) शहरी बाज़ारों के निकट रिटेल आउटलेट्स खोलने में किसान उत्पादक संगठनों की सहायता करना.

रिपोर्ट में कहा गया कि एडीबी ‘उत्तर प्रदेश सरकार के साथ नज़दीकी से काम करता रहेगा, ताकि बाज़ार संपर्क और कृषि मूल्य श्रृंखला लिंक्स में सुधार हो सके, और कृषि उत्पादकता तथा खाद्य सुरक्षा में वृद्धि की जा सके.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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