नई दिल्ली: लोकप्रिय पंजाबी अदाकार दीप सिद्धू ने, जिनकी किसान प्रदर्शनों में शिरकत को लेकर बवाल मचा हुआ है, दिप्रिंट से कहा है कि वो आंदोलन का हिस्सा हैं, चूंकि वो इस मुद्दे से निजी रूप से जुड़े हैं.
स्काइप पर दिए एक इंटरव्यू में, 36 वर्षीय एक्टर ने दिप्रिंट से कहा, ‘मैं एक किसान परिवार में पैदा हुआ. पंजाब में मेरी ज़मीन है’. उन्होंने आगे कहा, ‘हम यहां की ज़मीन और लोगों से गहराई से जुड़े हुए हैं. हां, मैं 10 साल मुम्बई में रहा हूं. लेकिन किसानों के साथ मेरा जुड़ाव वहां की ज़मीन और वहां के लोगों की वजह से है’.
एक्टर ने उन आरोपों से भी सहमत नहीं थे कि पंजाबी आदाकार और कलाकार विरोध प्रदर्शन से ध्यान भटका रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘इस बात में कोई दम नहीं है कि मैं अपने स्टार होने के चक्कर में, इन प्रदर्शनों का इस्तेमाल कर रहा हूं’. उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे नहीं पता था कि आधी रात में एक पुलिस अधिकारी के साथ हुई मेरी बातचीत वायरल हो जाएगी. लेकिन अब ऐसी ही कल्चर है, क्योंकि सोशल मीडिया एक बहुत मज़बूत प्लेटफॉर्म बन गया है’.
सिद्धू ने ये भी कहा कि उन्होंने कभी अपने स्टार होने का, किसी ध्येय के लिए इस्तेमाल नहीं किया है. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने तय किया कि मैं कला के क्षेत्र में जाउंगा, और एक एक्टर बनूंगा, तो मैं मुम्बई में किसी ऑडीशन में नहीं गया’. उन्होंने आगे कहा, ‘उसकी बजाय मैं पंजाब आया और अपना प्रोडक्शन हाउस बना लिया. यहां पर स्टार बनने के लिए, मैंने मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री के अपने संपर्कों का इस्तेमाल नहीं किया और न ही उसका इस्तेमाल मैंने इन प्रदर्शनों में किया है’.
सिद्धू पंजाब में एक लोकप्रिय एक्टर हैं और उन्होंने पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर, 2015 में रमता जोगी फिल्म के साथ शुरू किया, जिसके बाद उन्होंने कई अन्य फिल्मों में काम किया, जिनमें 2018 की पॉपुलर फिल्म जोरा दस नंबरिया शामिल है. सितंबर के अंत में उन्होंने किसानों के साथ मिलकर तीनों कृषि क़ानूनों के खिलाफ प्रचार शुरू कर दिया.
लेकिन, राष्ट्रीय स्तर पर वो इन प्रदर्शनों के दौरान सुर्ख़ियों में आए जब हरियाणा के एक पुलिस अधिकारी के साथ हुई उनकी बातचीत का विडियो वायरल हो गया. लेकिन सोशल मीडिया पर उसे जमकर ट्रोल किया गया, चूंकि उन्हें ग़लती से एक अंग्रेज़ी बोलता हुआ किसान बताया गया था.
एक्टर के मुताबिक़, इस ट्रोलिंग से ज़ाहिर होता है कि किसानों को लेकर इस देश में लोगों की सोच कितनी रूढ़िवादी है.
सिद्धू ने दिप्रिंट से कहा, ‘देखिए ज़रा, हमारा आधुनिक समाज कितना अनजान है. हमारे देश में विविधता है और आधुनिक समाज को समझना चाहिए कि उच्च शिक्षा पर केवल उनका एकाधिकार नहीं है, और ऐसा नहीं है कि केवल उच्च वर्ग ही कॉलेज और यूनिवर्सिटी जा सकता है’. उन्होंने आगे कहा, ‘किसान पृष्ठभूमि का व्यक्ति भी उन यूनिवर्सिटियों में जा सकता है. हमें रूढ़िवादिता का शिकार नहीं बनना चाहिए’.
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‘बीजेपी सांसद सन्नी देओल के लिए प्रचार किया, चूंकि वो भाई समान हैं’
सिद्धू पर ये आरोप भी लगाया गया है कि वो नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हो रहे इन प्रदर्शनों में शरीक होकर ढोंग कर रहे हैं, चूंकि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में, बीजेपी सांसद सनी देओल के लिए प्रचार किया था.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मैंने बीजेपी सांसद सनी देओल के लिए प्रचार किया, चूंकि वो मेरे भाई समान हैं. इसका मतलब ये नहीं है कि मैं बीजेपी का प्रचार कर रहा था’. उन्होंने आगे कहा, ‘और न ही इसका ये मतलब है कि मैं उनकी विचारधारा से सहमत हूं, या मैं किसी राजनीतिक दल की हिमायत कर रहा हूं. ये आलोचनाएं हमारी दोहरी मानसिकता का नतीजा हैं, जब हम सच्चाई नहीं जानना चाहते, जो कि बहु-आयामी होती है’.
सिद्धू ने आगे कहा कि अपने व्यक्तिगत विचारों पर फोकस करने की बजाय, वो चाहते हैं कि विरोध कर रहे किसान ही केंद्र में बने रहें.
एक्टर ने कहा, ‘सरकार को किसानों के साथ बैठकर उनसे बात करनी चाहिए और इन क़ानूनों को रद्द कर देना चाहिए’. उन्होंने ये भी कहा, ‘आपने अपने नागरिकों के लिए एक क़ानून बनाया और वो उसे नहीं चाहते, तो आप उसे वापस ले लीजिए. आख़िरकार, आप किसानों की सेवा कर रहे हैं, कॉर्पोरेट्स की नहीं’.
पंजाब और हरियाणा के किसान, उन तीन नए कृषि बिलों का विरोध कर रहे हैं, जिन्हें केंद्र सरकार ने सितंबर में पास किया है.
शुक्रवार सवेरे हज़ारों किसान ‘दिल्ली-चलो’ मार्च के तहत, दिल्ली-हरियाणा सीमा पर पहुंच गए, जहां उनका दिल्ली पुलिस से टकराव हुआ, जिसने उनके ऊपर पानी की बौछारों, और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया.
बाद में उन्हें दिल्ली में दाख़िल होकर, उत्तरी दिल्ली के बाहरी हिस्से में स्थित, बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में एकत्र होने की अनुमति मिल गई. लेकिन, किसानों ने केंद्र सरकार की पेशकश ठुकरा दी है, और शुक्रवार से ही बॉर्डर पर जमे हुए हैं.
‘प्रदर्शन में ख़ालिस्तानी भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं’
सिद्धू ने, जिन्हें दक्षिण पंथी संगठनों ने ख़ालिस्तानी समर्थक क़रार दे दिया है, कहा कि ग़लतफहमियों को दूर करने के लिए ही, वो इस मुद्दे पर बात करने पर मजबूर हुए हैं. उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि प्रदर्शनों में ख़ालिस्तानी भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘इस प्रदर्शन में कोई ख़ालिस्तान की बात नहीं कर रहा है. हां, ये मुद्दा उठा ज़रूर था, और ये पंजाब में उठता रहता है’. उन्होंने आगे कहा, ‘ख़ासकर जब कुछ खालिस्तान समर्थकों ने शंभू बॉर्डर पर नारेबाज़ी की थी. चूंकि मैं उस समय प्रदर्शन के केंद्र में था, इसलिए मुझे उस स्थिति को संभालना पड़ा.
उन्होंने आगे कहा, ‘वास्तविकता ये है कि पंजाब में जब भी कोई विरोध प्रदर्शन होता है, तो साथ ही साथ कुछ और समानांतर भावनाएं भी उभर आती हैं. ये भी ज़मीन से जुड़ाव की वजह से ही है’. उन्होंने ये भी कहा, ‘अगर आप उस संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं, तो इसे समझना मुश्किल है. लेकिन हां, उसे इस किसान प्रदर्शन में नहीं उठाया जाना चाहिए था. इस प्रदर्शन में हम केवल एक मज़बूत संघीय ढांचे की बात कर रहे हैं, जो पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और अन्य राज्यों को भी प्रभावित करता है’.
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