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Friday, 22 November, 2024
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जेएनयू में हुई हिंसा के पीछे लेफ्ट पार्टियों की योजना, दावा कि हमला 3 जनवरी से शुरू हुए: एबीवीपी

एबीवीपी का दावा है कि वह रात 10 बजे तक कैंपस में अपने नेताओं से संपर्क नहीं कर सके जबकि वामपंथी संगठन ने योगेंद्र यादव और बृंदा करात को तुरंत जमा कर लिया.

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नई दिल्ली: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार शाम को छात्रों और अध्यापकों के साथ हुई मारपीट के एक दिन बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसे लेफ्ट संगठन द्वारा सुनियोजित हमला करार दिया है.

एबीवीपी के संगठन सचिव आशीष चौहान ने दिप्रिंट को बताया कि एबीवीपी ये पूरी तरह से मानता है कि ये लेफ्ट संगठन द्वारा कराई गई सुनियोजित हिंसा है.

संगठन ने दावा किया कि वो अपने कार्यकर्ताओं तक रात के 10 बजे तक नहीं पहुंच पाए जबकि लेफ्ट ने योगेंद्र यादव, बृंदा करात मौके पर भेज दिए. इन नेताओं को कैसे पता चला कि ऐसा कुछ हुआ है और वो इतनी जल्दी कैसे पहुंच गए? जेएनयूएसयू ने पूर्व नेता उमर खालिद कैसे मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर इतनी जल्दी जमा हो गए? ये प्रदर्शन और हमले के बारे में उन्हें जानकारी थी. संगठन के एक सदस्य ने ये बात कही.

कैसे विदेश के कई विश्वविद्यालय जैसे कि प्रिंसटन और हावर्ड में रातोंरात 2-3 बजे हस्ताक्षर अभियान शुरू हो गया.

एबीवीपी के एक एक्टिविस्ट ने कहा, ‘रविवार शाम करीब 4 बजे संगठन की तरफ से 2019 के प्रेसिडेंशिएल कैंडिडेट पर हमला किया गया. उन्होंने कहा कि एबीवीपी एक्टिविस्ट अंदर ही थे और उन्होंने कई छात्रों को अस्पताल भी पहुंचाया.’


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एबीवीपी के पूर्व राष्ट्रीय संगठन सचिव सुनील आंबेकर ने दिप्रिंट को बताया, ‘जेएनयूएसयू चाहता था कि कुछ समय के लिए दाखिले की प्रक्रिया रुक जाए. उन्होंने कहा कि एबीवीपी को दूसरे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से समर्थन हासिल है जो लेफ्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.’

लाठी और डंडों के साथ परिसर में घूमते नकाबपोश लोग सोशल मीडिया पर सामने आए, जैसा कि संकाय सदस्य सुचरिता सेन को देखा जा सकता है जो एक अस्पताल में व्हीलचेयर पर बैठी थी और उनका खून बह रहा था.

यह पूछे जाने पर कि रविवार को हुई हिंसा के साथ एबीवीपी को कैसे जोड़ा जा रहा है, अम्बेकर ने कहा कि एबीवीपी कार्यकर्ता नकाबपोश गुंडों से गंभीर रूप से घायल हो गए. ‘हमारे कार्यकर्ताओं में से कम से कम 15 को भर्ती किया गया है और 25 को लगातार चोटें आई हैं. यहां तक ​​कि जेएनयूएसयू अध्यक्ष को भी नकाबपोश लोगों के साथ देखा जा सकता है. अब फुटेज चेक किए जा रहे हैं और एक पूछताछ भी जारी है. न केवल एबीवीपी के छात्रों बल्कि सामान्य छात्रों को भी पीटा गया थ. सच्चाई सामने आएगी.’

एबीवीपी ने एक बयान में उन स्क्रीनशॉट को भी गिना है जो यह दावा कर रहे हैं कि हमले के पीछे संगठन का हाथ था. ‘नकाबपोश पुरुषों के नकली स्क्रीनशॉट्स को व्यापक रूप से व्हाट्सएप समूहों से प्रसारित किया जा रहा है, जिनमें एबीवीपी संबद्धताएं हैं. इस तरह के दुर्भावनापूर्ण आग्रह वामपंथियों की खुद की हताशा को दिखाता है. इस तरह की कुप्रथा को हर सही-सोच वाले नागरिक द्वारा निंदा की जानी चाहिए.’

‘वो संस्थान को खत्म कर देना चाहते हैं’

आंबेकर ने कहा कि एबीवीपी अपना प्रदर्शन जारी रखेगी जबतक कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बहाल नहीं हो जाती है. हम भी फीस वृद्धि के खिलाफ हैं लेकिन हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रशासन ने फीस में सुधार किया है और अब जो फीस है वो काफी कम है. जैसे नक्सली लोग स्टेशन पर हमला करते हैं वैसे हीं ये लोग संस्थानों पर हमला कर रहे हैं. हम अपने लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन को जारी रखेंगे.


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उन्होंने कहा कि ये हमला रातोंरात नहीं हुई है बल्कि ये 3 जनवरी से शुरू हुई थी जब छात्र मास्क लगाकर कैंपस में घुसे थे और सर्वर को खराब किया था. उन्होंने कहा ‘1000 से अधिक पंजीकरण हुए थे क्योंकि कई छात्र संशोधन से खुश थे. फीस बढ़ोतरी सिर्फ एक बहाना है, वे संस्थान को खत्म चाहते हैं. वे जेएनयू को पश्चिम बंगाल में बदल रहे हैं.’

आंबेकर ने कहा, ‘कांग्रेस नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए लेकिन ये छात्रों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए. छात्रों को इस्तेमाल न करें. छात्रों का सहारा न लें. अगर आपको प्रधानमंत्री बनना है तो कड़ी मेहनत करें.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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