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Monday, 23 December, 2024
होमदेशडीसीजीआई ने एबॉट के 'इवाब्राडिन' को दी हरी झंडी, दिल के मरीजों को मिलेगा फायदा

डीसीजीआई ने एबॉट के ‘इवाब्राडिन’ को दी हरी झंडी, दिल के मरीजों को मिलेगा फायदा

नई दवा के बारे में बात करते हुए एबॉट के रीजनल मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर बालगोपाल नायर ने कहा, 'हमने इस नई दवा को तैयार करने के लिए सबसे अच्छी टेक्नोलॉजी और साइंस का इस्तेमाल किया है.'

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नई दिल्ली: ग्लोबल हेल्थकेयर कंपनी एबॉट ने बुधवार को इवाब्राडिन को ड्रग्स कंट्रोलर जेनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से अनुमति मिलने की घोषणा की. कंपनी का कहना है कि दिल के मरीज़ों के लिए इवाब्राडिन काफी सहूलियत देने वाली साबित होगी.

एबॉट का मानना है कि उनकी इस दवा से इलाज के दौरान दवा समय से लेने से जुड़ी जिन बातों का मरीज़ों को पालन करना होता है उसमें उन्हें आसानी होगी. कंपनी अगले हफ़्ते भारतीय बाज़ार में अपनी इस दवा को लॉन्च करने की तैयारी में है.

कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में दिल का दौरा पड़ने वाले लोगों की संख्या 1.3-4.6 मिलियन के बीच है. हर साल 0.5–1.8 मिलियन लोग दिल के दौरे का शिकार होते हैं. रिलीज़ में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी का हवाला देते हुए कहा गया है कि लगभग 14.4 मिलियन पुरुषों और 7.7 मिलियन महिलाओं ने दिल से जुड़ी बीमारियों से ठीक होने में अपने जीवन के अहम समय को बिता दिया.

कंपनी का कहना है कि दिल के बीमारियों का इलाज भारत में एक बड़ी चुनौती है. इनकी मानें तो अध्ययन के मुताबिक देश में दिल की बीमारी के ज़्यादातर मरीज़ समय से दवा नहीं लेते. एम्स के एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा गया है कि दिल के 24% प्रतिशत और हाइपरटेंशन के 50-80% लोग समय से दवा नहीं लेते हैं.


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कंपनी की तरफ से कहा गया है कि नए फॉर्म्युलेशन के साथ इवाब्राडिन पीआर टैबलेट्स को रोज़ कई दवाओं की जगह दिन में एक डोज़ के तौर पर दिया जा सकता है. कंपनी का दावा है कि इसने भारत के 21 शहरों में इस दवा की फेज़ 3 क्लिनिकल ट्रायल स्टडी की है.

दवा को स्टेबल क्रॉनिक हार्ट फेल्योर वाले मरीज़ों को दिया गया. इस दौरान तुलनात्मक प्रभाव और सुरक्षा प्रोफाइल का भी ध्यान रखा गया. महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल के एमडी डॉक्टर भरत चनाना ने दिल की बीमारी के लिए इस दवा के इस्तेमाल के बारे में कहा, ‘हार्ट फेल्योर वाले 45% लोगों का हार्ट रेट बहुत ज़्यादा होता है और इनमें से 40 प्रतिशत को हॉस्पिटलाइज़ होना पड़ता है.’

उन्होंने कहा कि दिन में एक बार दवा लेने से मरीज़ों पर बार-बार दवा लेने का भार कम होगा. डॉक्टर चनाना की मानें तो इससे मरीज़ों का हार्ट रेट कंट्रोल में रहेगा जिससे अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं होगी. कंपनी के मुताबिक इस फॉर्म्युलेशन को एबॉट के मुंबई स्थित इनोवेशन एंड डेवलपमेंट सेंटर में विकसित किया गया है.

नई दवा के बारे में बात करते हुए एबॉट के रीजनल मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर बालगोपाल नायर ने कहा, ‘हमने इस नई दवा को तैयार करने के लिए सबसे अच्छी टेक्नोलॉजी और साइंस का इस्तेमाल किया है. दिन में एक बार दवा लेने से मरीज़ों को आसानी होगी जिससे स्वास्थ्य परिणाम बेहतर होंगे.’


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