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Sunday, 3 November, 2024
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डीयू के कॉलेजों के शिक्षकों को वेतन न दिए जाने की हो जांच : दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन

आम आदमी पार्टी के मुख्यालय पर आज पार्टी की अध्यापक इकाई दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीएटी) ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया. इसी दौरान ये मांग उठाई गई.

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की अध्यापक इकाई दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीएटी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के शिक्षकों को वेतन नहीं दिए जाने के मामले की जांच सीएजी से कराने की मांग की है. संगठन सचिव डॉ. मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच डीयू प्रशासन और कॉलेज स्तर पर भी की जानी चाहिए, लेकिन जांच के चलते शिक्षकों और कर्मचारियों की सैलरी न रोकी जाए.

दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए फंड से चलने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में सैलरी समेत अन्य तरह के ख़र्च की कमी की समस्या बनी हुई है. हालांकि, शिक्षा मंत्री सिसोदिया का कहना है कि दिल्ली सरकार के पास भी पैसों की कमी है. लेकिन उनकी तरफ़ से सैलरी के लिए फंड रिलीज़ कर दिया गया है.

संगठन प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी की सरकार से पहले दिल्ली में जिस की सरकार होती थी, उसी सरकार के लोग कॉलेजों की गवर्निंग बॉडी में चेयरमैन और कोषाध्यक्ष के पद पर चयनित होते थे. आज इन कॉलेजों में दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी तो बनी, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उसे काम नहीं करने दिया.’ उन्होंने कहा कि ‘आप’ सरकार ने कॉलेजों का बजट बढ़ा कर दोगुना (243 करोड़ रुपये) कर दिया है, फिर भी कॉलेज अपने शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन नहीं दे पा रहे हैं.

आम आदमी पार्टी के मुख्यालय पर आज पार्टी की अध्यापक इकाई दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीएटी) ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया. इसमें दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन की अध्यक्षा डॉ. आशा रानी, उपाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र पांडे, संगठन सचिव डॉ. मनोज कुमार सिंह और संगठन प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन मौजूद रहे.


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पत्रकारों को संबोधित करते हुए सचिव डॉ. मनोज कुमार सिंह ने कहा, ‘अलग-अलग माध्यमों से लोगों के बीच जो खबर फैलाई जा रही हैं, उससे यह भ्रम फैल रहा है कि दिल्ली सरकार जानबूझ कर शिक्षकों का वेतन नहीं दे रही है. हमारे मन में भी इस संबंध में कुछ शंकाएं पैदा हो रही थीं, जिसके समाधान के लिए हम दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया जी से मिले और हम लोगों के मन में जो एक शंका थी, उसका समाधान कल मनीष सिसोदिया जी ने हमें दिया.’

उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया जी से मिलने के बाद जिस सत्यता का उन्हें पता चला, उस से बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें वो मीडिया के माध्यम से जनता के समक्ष रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘पिछले 15 साल से दिल्ली यूनिवर्सिटी में कोई नियुक्ति नहीं की गई है, क्या इसके लिए भी दिल्ली सरकार जिम्मेदार है? पिछले 10 सालों से कोई पदोन्नति नहीं हुई है क्या इसके लिए भी दिल्ली सरकार जिम्मेदार है?’

उन्होंने कहा कि केंद्र के जो प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय हैं, आज उनकी क्या स्थिति है, यह किसी से छिपा नहीं है और दिल्ली सरकार से जुड़े हुए जो विश्वविद्यालय हैं, चाहे ट्रिपलआईटी हो, डीटीयू हो या अंबेडकर विश्वविद्यालय हो, वहां किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है. दीनदयाल उपाध्याय और राजगुरु कॉलेज, जो पूर्ण रूप से दिल्ली सरकार द्वारा फंडेड है, वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर विश्व स्तरीय है. उन्होंने कहा, ‘अब प्रश्न यह उठता है कि जब इतनी बेहतर व्यवस्था दिल्ली सरकार ने अपने कॉलेजों में की हुई है, तो दिल्ली सरकार कॉलेजों में पढ़ाने वाले अध्यापकों और कर्मचारियों का वेतन क्यों रोकेगी?’

डॉ मनोज कुमार सिंह ने कहा कि मनीष सिसोदिया के साथ बातचीत में जो तथ्य सामने आए वो बेहद ही चैंकाने वाले हैं. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.

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