नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में कोई भी निजी अस्पताल या नर्सिंग होम जो कोविड-19 संकट के बीच आकस्मिक चिकित्सा से इनकार करता है, अब उसे पंजीकरण रद्द करने सहित कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के कार्यालय द्वारा बुधवार को जारी एक आदेश के अनुसार, विशेष रूप से एंड स्टेज रीनल डिजीज के रोगियों के मामले में किसी भी डीफॉल्टेर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कोविड-19 को लेकर आशंकाओं के कारण शहर भर में उपचार से इनकार के कई मामलों के बाद यह आदेश जारी किया गया.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने समीक्षा बैठकों के दौरान इस मुद्दे को उठाया था.
आदेश क्यों जारी किया गया
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किए गए आदेश में उल्लेख किया गया है कि कई निजी अस्पताल और नर्सिंग होम डायलिसिस मशीनों से लैस हैं और जो एंड स्टेज रीनल डिजीज के रोगियों को एमएचडी (रखरखाव हेमोडायलिसिस) सेवाओं से वंचित कर रहे हैं.
इसमें यह भी था कि अस्पताल अधिकारियों ने मरीजों को अपने नर्सिंग होम में डायलिसिस के लिए ले जाने से पहले कोविड-19 नेगेटिव परीक्षण रिपोर्ट प्रदान करने के लिए मजबूर किया है.
इसके परिणामस्वरूप, जिन मरीजों का डायलिसिस नहीं हो रहा है वह जीवन के खतरनाक परिणाम की तरफ बढ़ रहे हैं.
इस आदेश में कहा गया है कि कोई भी मरीज जो उपचार की मांग कर रहा है, उसे उपचार के लिए कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए यहां तक कि अगर डायलिसिस के लिए इलाज किया जा रहा कोई मरीज कोविड-19 पॉजिटिव पाया जाता है, तो संबंधित नर्सिंग होम या अस्पताल 24 घंटे की अवधि से परे अपनी डायलिसिस यूनिट को बंद नहीं करेगा.
उन्होंने कहा, ‘उन्हें केवल डायलिसिस यूनिट और एक दिन के लिए संबंधित मशीन को डीकॉन्टेनमेंट करना होगा और उसके बाद सेवाओं को फिर से शुरू करना होगा.’
इन नियमों का कोई भी उल्लंघन दिल्ली नर्सिंग होम पंजीकरण (संशोधन) नियम, 2011 के तहत निजी नर्सिंग होम या अस्पताल के खिलाफ पंजीकरण रद्द करने सहित तत्काल कार्रवाई को आमंत्रित करेगा.
अब तक, दिल्ली में 1,561 कोरोनावायरस के मामले और 32 मौतें हुई हैं.
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