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Friday, 20 September, 2024
होमदेशक़ुरान पढ़ती महिला और 13 वर्षीया भयभीत छात्रा: कोविड-19 से कैसे निपट रहा है जयपुर

क़ुरान पढ़ती महिला और 13 वर्षीया भयभीत छात्रा: कोविड-19 से कैसे निपट रहा है जयपुर

जयपुर के मुस्लिम बहुल रामगंज मोहल्ले में डॉक्टर और पुलिसकर्मी जांच के लिए लोगों के स्वाब के नमूने ले रहे हैं. यहां 150 से अधिक लोग कोरोनावायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं.

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जयपुर: कोरोनावायरस संक्रमण के 150 से अधिक मामलों के केंद्र रामगंज में स्थानीय निवासी अपने घरों की खिड़कियों और छतों से जांच शिविरों में डॉक्टरों और पुलिसकर्मियों को जांच के लिए लोगों के स्वाब के नमूने लेते देखते हैं.

जयपुर के इस मोहल्ले में कोरोनावायरस से संक्रमित लोग आसानी से पहचाने जा सकते हैं: वे वीरान पड़ी गलियों में थैला संभाले पास के चौराहे की ओर बढ़ते दिख जाएंगे, जहां उन्हें शहर के आइसोलेशन केंद्रों में से एक में ले जाने के लिए एंबुलेंस तैयार खड़ी होगी.

इस बारे में स्थानीय वकील आबिद रहमानी, जिन्हें स्थानीय प्रशासन ने इस मुस्लिम बहुल इलाके में लोगों को जांच के लिए राज़ी करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है, बताते हैं, ‘ऐसा करने से कोई तमाशा खड़ा नहीं होता. संक्रमण की जांच पॉजिटिव आने की सूचना दिए जाने के बाद संबंधित लोग अपने घर पर एंबुलेंस बुलाने के बजाय खुद चलकर जाना पसंद करते हैं. ऐसा करने पर उनकी ओर लोगों का उतना अधिक ध्यान नहीं जाता है.’

People peek out of their terraces to watch Covid-19 tests being administered on the street below in Jaipur's Ramganj. | Photo: Praveen Jain
जयपुर के रामगंज में गली में हो रहे कोविड-19 टेस्ट को देखने के लिए छतों पर खड़े लोग | फोटो : प्रवीन जैन/दिप्रिंट

संक्रमित पाए गए लोगों में एक 13 वर्षीया छात्रा भी है. शनिवार को दिप्रिंट की टीम से बातचीत के दौरान सुबकना शुरू करने से पहले वह सिर्फ इतना कह पाई, ‘मुझे डर लग रहा है.’ वह संक्रमित पाई गईं पड़ोस की दो अन्य महिलाओं के साथ थी– जिनमें से एक के पास क़ुरान की प्रति थी, और तीनों को जब एंबुलेंस में बिठाया जा रहा था तो वह उसका पाठ कर रही थी.

A 13-year-old patient who tested positive for coronavirus walks towards an ambulance with her father in Jaipur. | Photo: Praveen Jain
कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के बाद एंबुलेंस की तरफ अपने पिता के साथ बढ़ती 13 वर्षीया लड़की | फोटो : प्रवीन जैन/दिप्रिंट
A woman reads the Quran before being ushered into an ambulance in Jaipur. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
लड़की के एंबुलेंस में जाने से पहले जयपुर में क़ुरान पढ़ती महिला | फोटो : प्रवीन जैन/दिप्रिंट

पूरी तरह ठीक होने तक उनके अगले दो से तीन सप्ताह एसएमएस मेडिकल कॉलेज में कटेंगे जहां आइसोलेशन वार्ड के साथ ही शहर में संक्रमण की जांच का इकलौता केंद्र भी है.

पूरी मुस्तैदी

संक्रमण की जांच के लिए रामगंज में दो शिविर लगाए गए हैं जहां प्रतिदिन करीब 300 लोगों की जांच की जा रही है. जांच अभियान सुबह आठ बजे शुरू हो जाता है और इसके लिए 12 घंटे की शिफ्ट में स्वास्थ्यकर्मियों को तैनात किया गया है, हालांकि अक्सर उन्हें अतिरिक्त समय देना पड़ जाता है.

इन स्वास्थ्यकर्मियों को इस बात से डर नहीं लगता कि कोविड-19 इतना अधिक पांव पसार चुका है. वे ज़िम्मेदारियों के अहसास से हौसला पाते हैं, और इस भरोसे से भी, भले ही अटपटा लगे, कि उन्हें कुछ नहीं होगा.


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अपना नाम नहीं दिए जाने की शर्त पर एक स्वास्थ्यकर्मी ने कहा, ‘मैं कितने ही पॉजिटिव मिले रोगियों के संपर्क में आ चुका हूं, पर मेरी जांच निगेटिव आई है.’ हालांकि अगले ही पल उसने ये बात भी जोड़ी, ‘मेरे कहने का मतलब ये है कि इस भरोसे से डर को दूर रखने और अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है. वैसे हम हरसंभव ऐहतियात बरतते हैं.’

जयपुर में पुलिस के आतंकरोधी दस्ते के सहायक आयुक्त अशोक चौहान ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम इस मोहल्ले के अधिकतर लोगों की जांच कर रहे हैं. लॉकडाउन सामाजिक मेलजोल सीमित रखने में बहुत मददगार साबित हुआ है, खासकर ऐसे भीड़भाड़ वाले मोहल्ले में. इसे आगे और बढ़ाया जाना चाहिए.’

A woman being tested for Covid-19 in Jaipur's Ramganj. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
जयपुर के रामगंज में महिला की कोविड-19 जांच होती हुई | फोटो : प्रवीन जैन/दिप्रिंट

जांच शिविर रामगंज के उन निवासियों के लिए लगाए गए हैं जो अपनी मर्जी से टेस्ट करना चाहते हैं. साथ ही मोहल्ले में एक रैपिड टास्क फोर्स भी सक्रिय है जो घर-घर जाकर सर्वे कर रहा है और संक्रमित पाए गए लोगों के संपर्क में आए व्यक्तियों का पता लगा रहा है. इसके अलावा, कोई कर्फ्यू नहीं तोड़े ये सुनिश्चित करने के लिए पूर्णतया महिला सदस्यों वाले ‘निर्भया टास्क फोर्स’ को तैनात किया गया है. हालांकि, पूर्व में सबकुछ इस कदर सुचारू ढंग से नहीं चल रहा था.

रहमानी ने बताया, ‘जब संक्रमण का पहला मामला सामने आया और उस व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को आइसोलेशन केंद्र में ले जाया गया, तो बहुत से लोग डर गए थे और उन्हें लग रहा था कि जांच कराने के लिए सामने आने पर उन्हें ज़बरन आइसोलेशन केंद्रों में रखा जाएगा. तब हमने पांच व्यक्तियों की जांच कर समुदाय को आश्वस्त करने की कोशिश की कि जांच का परिणाम आने तक लोग वापस अपने घर लौट सकते हैं.’

‘धीरे-धीरे लोग स्वयं जांच शिविर तक आने लगे, और अब तो जांच कराने वालों की संख्या बहुत बढ़ चुकी है.’

कोविड-19 का अकस्मात फैलाव

राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) रोहित कुमार सिंह ने इससे पहले कहा था कि रामगंज में मिले संक्रमण के सभी मामलों का मूल स्रोत 17 मार्च को ओमान से वापस लौटे एक व्यक्ति को माना जा सकता है, जिसने 24 मार्च को बुखार लगने तक अपनी यात्रा की बात छुपाकर रखी थी.

A cousin of the 45-year-old man who returned from Oman displays a quarantine stamp. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
ओमान से लौटे 45 वर्षीय व्यक्ति का भतीजा हाथों पर क्वारेंटाइन स्टैम्प दिखाता हुआ | फोटो : प्रवीन जैन/दिप्रिंट

अगल दिन, उसके परिवार के 16 सदस्यों को निम्स अस्पताल ले जाया गया. वहां आइसोलेशन में रखे जाने के दौरान कोरोनावायरस के लिए कई बार उनकी जांच की गई. इस परिवार के दो हफ़्ते से अधिक समय तक आइसोलेशन में रहने के दौरान ही इलाके में संक्रमण के अनेक मामले सामने आ गए. जयपुर में अब तक मिले 301 पॉजिटिव मामलों में से अधिकांश रामगंज से ही संबंधित हैं.

ओमान से आए व्यक्ति के कुल 32 परिजनों में से उसकी पत्नी और बच्चों समेत 16 की जांच निगेटिव आई और उन्हें 11 अप्रैल को वापस घर लौटने दिया गया.

Ramganj's first batch of patients in isolation return home after testing negative for Covid-19. All were relatives of the man who first tested positive in the area. | Photo: Praveen Jain/ThePrint
कोविड-19 टेस्ट नेगेटिव आने के बाद क्वारेंटाइन सेंटर से घर लौटते लोग. से सभी उस व्यक्ति के रिश्तेदार हैं जिसे सबसे पहले इस क्षेत्र में संक्रमित पाया गया था | फोटो : प्रवीन जैन/दिप्रिंट

उसके 61 वर्षीय चचेरे भाई ने आइसोलेशन में रखे जाने के अपने अनुभव के बारे में कहा, ‘उन्होंने हमें अच्छे से रखा, और हमारे वहां रहने के दौरान तीन बार हमारे स्वाब टेस्ट कराए गए. हालांकि घर से 14 दिनों तक दूर रहना मुश्किल था. और जिस तरह हमें अस्पताल ले जाया गया वो थोड़ा कष्टदायक था.’


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उस व्यक्ति के ही एक 19 वर्षीय रिश्तेदार ने बताया कि कैसे अचानक उनके यहां एंबुलेंस और पुलिस वाले आ पहुंचे और उन्होंने सबको एक वाहन में डाल दिया ‘मानो हमने कोई अपराध किया हो’.

हालांकि इलाके में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन शुरुआती स्रोत बताए जा रहे व्यक्ति के परिजनों ने दिप्रिंट को बताया कि पड़ोसियों ने उनके खिलाफ़ कोई बैर भाव नहीं दिखाया, भले ही वे बाहर हो रही गतिविधियों को देख रहे हों.
जब 13 वर्षीया लड़की एंबुलेंस की ओर कदम बढ़ा रही थी, तो वह उस व्यक्ति के परिजनों के निकट से गुजरी जिन्होंने उसे ढाढस बंधाने की कोशिश की. ‘सबकुछ ठीक रहेगा. मत रोओ,’ 19 वर्षीय पड़ोसी के ये कहने पर उसने सिर हिलाकर सहमति जताई.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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