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Monday, 23 December, 2024
होमदेशएक बार में छोटा सा एक अंश- इंसानी मस्तिष्क को कैसे मैप करेगा IIT मद्रास

एक बार में छोटा सा एक अंश- इंसानी मस्तिष्क को कैसे मैप करेगा IIT मद्रास

MRI स्कैन्स के ज़रिए वैज्ञानिक एक जीवित मस्तिष्क के भीतर झांक सकते हैं, लेकिन कोषिकाओं के स्तर पर अभी बहुत कुछ जानना बाक़ी है. नया IIT-M सेंटर इसी क्षेत्र में काम करेगा.

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चेन्नई: एक नई महत्वाकांक्षी पहल में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने एक मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र शुरू किया है, जिसका उद्देश्य इंसानी मस्तिष्क के कोषिका स्तर के विस्तृत 3डी नक़्शे तैयार करना है, जिससे कि तंत्रिका संबंधों को बेहतर ढंग से समझा जा सके, और ये भी समझा जा सके कि कुछ बीमारियां, मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करती हैं.

MRI स्कैन्स के ज़रिए वैज्ञानिक एक जीवित मस्तिष्क के भीतर झांक सकते हैं, लेकिन कोषिकाओं के स्तर पर अभी बहुत कुछ जानना बाक़ी है.

शुक्रवार को इसे लॉन्च किए जाने से पहले, आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर मोहनशंकर शिवप्रकाशम की अगुवाई में, नए सुधा गोपालकृष्णन ब्रेन सेंटर ने, तीन विकसित होते इंसानी मस्तिष्कों का इमेजिंग प्रॉसेस पहले ही पूरा कर लिया.

इस केंद्र की आर्थिक सहायता टेक अरबपति क्रिश गोपालकृष्णन और उनकी पत्नी सुधा गोपालकृष्णन कर रहे हैं. लेकिन इस जोड़ी या आईआईटी-एम अधिकारियों ने, उपलब्ध कराई जा रही राशि की मात्रा नहीं बताई.


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इमेजिंग कैसे काम करेगी

आईआईटी-एम के निदेशक वी कामकोटि ने दिप्रिंट को बताया कि ब्रेन इमेजिंग की पूरी प्रक्रिया को सिलसिलेवार चरणों में बांटा गया है. हर चरण में काम आने वाले उपकरण, या तो आईआईटी मद्रास में नए सिरे से तैयार किए गए, या फिर वो तैयार उत्पाद थे, जिनमें संस्थान के अंदर संशोधन किए गए.

पहले, आईआईटी-एम ने इंसानी मस्तिष्क हासिल करने के लिए, कई संस्थानों के साथ मिलकर काम किया, जिनमें क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर और बेंगलुरू के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) शामिल थे.

शिवप्रकाशम ने दिप्रिंट को बताया कि पहली चुनौती इंसानी मस्तिष्क हासिल करने की थी. उन्होंने कहा, ‘न केवल उसे मौत के कुछ घंटों के भीतर निकालना होता है, बल्कि निकालने में उसे कोई नुक़सान भी नहीं पहुंचना चाहिए’.

निकालने के बाद मस्तिष्क को तुरंत फ्रीज़ करना होता है. ऐसा करने के लिए टीम ने पूरे मस्तिष्क का एक 3डी स्कैन लिया, और उसकी एक धातु की नकल तैयार की. फिर इस नकल से एक सांचा तैयार किया गया, जिसमें मस्तिष्क बिल्कुल सही से फिट हो सके.

फिर ब्रेन को -80 डिग्री के एक क्रायोजनिक फ्लूइड में डुबाया जाता है, जिससे वो तुरंत फ्रीज़ हो जाता है.

अगली चुनौती है मस्तिष्क को सिर्फ 20 माइक्रॉन्स मोटाई के टुकड़ों में काटना और उन्हें स्लाइड्स पर रखना ताकि माइक्रोस्कोप में उनकी तस्वीर ली जा सके.

इसके लिए मस्तिष्क को -20 डिग्री पर एक संशोधित क्रायोजनिक टैंक में रखा जाता है, जहां ब्रेन के बारीक टुकड़ों को उठाने के लिए, एक ख़ास चिपकने वाले टेप का इस्तेमाल किया जाता है. चिपकने वाली इस शीट को फिर कांच की एक स्लाइड पर रखकर, उस पर यूवी लाइट डाली जाती है, जिससे ब्रेन के महीन टुकड़े कांच की स्लाइड पर जमा हो जाते हैं.

चूंकि इंसानी मस्तिष्क का विरले ही इस तरह महीन टुकड़े करके अध्ययन किया जाता है, इसलिए टीम को कांच की ऐसी स्लाइड्स के साथ काम करना पड़ा, जो इतनी बड़ी हो कि उन पर इंसानी मस्तिष्क के अलग अलग हिस्सों को रखा जा सके, जबकि सामान्य स्लाइडें इनसे काफी छोटी होती हैं. इसके साथ ही एक और चुनौती ये आई कि स्लाइड को ऐसी चीज़ से ढका जाए जिसे कवर स्लिप कहा जाता है, जो दरअसल नमूने को नुकसान से बचाती है.

महीन टुकड़े करने के बाद हर मस्तिष्क की 7,000 से अधिक स्लाइड्स बनेंगी. इन स्लाइडों को हाथ से तैयार करना, न केवल एक धीमी और जटिल प्रक्रिया है, बल्कि इससे स्लाइडों के अंदर हवा के बुलबुले भी फंसे रह सकते हैं, जो इमेजिंग प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं. इस समस्या पर क़ाबू पाने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक ऐसी प्रणाली डिज़ाइन की, जो स्लाइड पर कवर स्लिप चढ़ाने की प्रक्रिया को स्वचालित कर देती है.

एक ब्रेन की स्लाइड से मिली तस्वीरें सौ से अधिक टेराबाइट्स की जगह ले सकती हैं.

आख़िरकार, शोधकर्ता ब्रेन स्लाइस की अलग अलग तस्वीरों को ‘एक जगह जोड़कर’, इंसानी ब्रेन का एक पूरा नक़्शा तैयार कर लेते हैं. यही वो मौक़ा होता है जब बिग डेटा एनालिटिक्स का काम होता है, जिससे वैज्ञानिक कोशिकाओं के स्तर पर मस्तिष्क के संबंधों को समझ पाएंगे और समय के साथ ये भी समझ पाएंगे कि विभिन्न बीमारियां मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करती हैं.

शिवप्रकाशम ने कहा कि उनकी टीम चिकित्सा संस्थानों के संपर्क में है, ताकि मौत के बाद के और अधिक इंसानी मस्तिष्क प्राप्त किए जा सकें. उनका लक्ष्य अगले दो वर्षों में 10 मस्तिष्कों की इमेजिंग करना है.

PSA ने क्या कहा

उद्घाटन समारोह में प्रेस को संबोधित करते हुए भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन ने कहा कि आईआईटी मद्रास का ब्रेन सेंटर ऐसे जटिल मुद्दों को सुलझाने में सहायता करेगा, जिनसे पूरी दुनिया को फायदा पहुंचेगा.

उन्होंने कहा, ‘मेडिसिन के साथ आईआईटी मद्रास का मेल, जिसके पास विज्ञान और डेटा विश्लेषण में विशेषज्ञता है, अपने आप में क्रांतिकारी साबित होगा. आगे भविष्य में तंत्रिका विज्ञान में हमारे सामने एक असाधारण समस्या होगी, जिसका संबंध इंसानी दिमाग़ के कामकाज से होगा. इंसानी दिमाग कैसे काम करता है, इसकी हमारी समझ अभी बिल्कुल शुरुआती अवस्था में है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘आईआईटी मद्रास के गतिशील नेतृत्व ने दिखा दिया है कि वो अलग अलग तरह की जटिल प्रतिभाओं को एकजुट करने में सक्षम है. आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क एक मिसाल है और आज हर संस्थान इस मॉडल की नक़ल करना चाहता है’.

पीएसए कार्यालय उस समय तक प्रोजेक्ट की- जिसका शीर्षक है कंप्यूटेशनल एंड एक्सपेरिमेंटल प्लेटफॉर्म फॉर हाई-रेज़ॉल्यूशन टेरा पिक्सेल इमेजिंग ऑफ एक्स-वीवो ह्यूमन ब्रेन्स- पूरे मस्तिष्क की उच्च-प्रवाह क्षमता वाली लाइट माइक्रोस्कोपिक इमेजिंग के लिए सहायता करेगा, जब तक टीम अवधारणा का एक ऐसा सबूत तैयार नहीं कर लेती, जो आगे की फंडिंग के आवेदन के लिए ज़रूरी है.

सीएमसी वेल्लोर के एक प्रोफेसर जॉर्ज वर्घीज़ ने, जो इस प्रोजेक्ट पर आईआईटी-एम के साथ सहयोग कर रहे हैं, दिप्रिंट को बताया कि इस प्रोजेक्ट से ये समझने में मदद मिलेगी कि रेबीज़ जैसी बीमारियां मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करती हैं- एक ऐसा ज्ञान जो नए उपचारों का रास्ता साफ करने में मदद कर सकता है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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