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Friday, 22 November, 2024
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बंगाल में भी हिजाब पर विवाद : यूनिफॉर्म की वकालत करने पर मुर्शिदाबाद के स्कूल पर हमला

हिजाब पर बैन की अफवाहों के बाद 12 फरवरी को बहुताली हाई स्कूल पर हमला किया गया था. पुलिस का कहना है कि हमला करने वालों में से कुछ लोग पड़ोसी जिले बीरभूम से भी आए थे. इस मामले में अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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मुर्शिदाबाद: बंगाल के एक सुदूरवर्ती गांव में स्थित स्कूल के आस-पास माहौल ऊपरी तौर पर त शांत नजर आ रहा है लेकिन पिछले दिनों जो कुछ हुआ उसे लेकर कहीं न कहीं थोड़ी घबराहट जरूर बनी हुई है. मुख्य द्वार पर बैरीकेड्स लगा दिए गए हैं, उसके आस-पास सिविक वालंटियर सतर्क हैं और अंदर नजर रखने के लिए एक पुलिस पिकेट भी बन गई है.

शिक्षक स्टाफ रूम में बैठे हैं और सामान्य दिनों की तरह बच्चे स्कूल परिसर में इधर-उधर नजर आ रहे हैं- लेकिन कक्षाओं के दरवाजों पर अभी भी पथराव के निशान साफ दिख रहे हैं. बहुताली हाई स्कूल छात्राओं के हिजाब पहनने पर कथित पाबंदी को लेकर अचानक भड़की हिंसा से अब तक उबर नहीं पाया है.

मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले में स्थित यह स्कूल पश्चिम बंगाल का एकमात्र ऐसा स्कूल है, जिसने कर्नाटक में उपजे हिजाब विवाद के बाद इस तरह का हमला झेला है. 12 फरवरी को भड़की हिंसा के कुछ वीडियो वायरल हुए थे जिसमें दिख रहा है कि कैसे कुछ लोगों की भीड़ ने स्कूल परिसर पर धावा बोला और तोड़फोड़ की, जबकि कर्मचारियों और स्टूडेंट को कथित तौर पर अंदर छिपकर अपनी जान बचानी पड़ी.

पुलिस का कहना है कि हमलावर भीड़ में स्थानीय लोगों के अलावा पड़ोसी जिले बीरभूम के लोग भी शामिल थे. इस मामले में अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

कई मीडिया संस्थानों का दावा है कि सरकार संचालित स्कूल में हेडमास्टर ने हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे लेकर विवाद भड़क उठा था. एक असिस्टेंट टीचर के मुताबिक, हेडमास्टर ने छात्राओं से यही कहा था कि वे काला हिजाब न पहनें और नीले और सफेद रंग की स्कूल यूनिफॉर्म को बरकरार रखें.

बहरहाल, इसे लेकर राजनीतिक ध्रुवीकरण तेज हो गया है, जिसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों के नेता इस घटना को लेकर टिप्पणियां कर रहे हैं.

दिप्रिंट ने इस घटना के संदर्भ में जमीनी हकीकत जानने के लिए मुर्शिदाबाद की यात्रा की.

स्कूल के प्रवेश द्वार पर पुलिस बैरिकेड्स | श्रेयशी डे /दिप्रिंट

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प्रत्यक्षदर्शी ने क्या बताया

घटना के समय वहां मौजूद रहे एक असिस्टेंट टीचर मंडल ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान अपनी आंखों देखी बयां की.

उन्होंने कहा, ‘शुक्रवार (11 फरवरी) को हेडमास्टर ने सुबह की प्रार्थना के बाद छात्राओं से कहा कि वे काला हिजाब न पहनें. चूंकि यूनिफॉर्म का रंग नीला और सफेद है, इसलिए छात्राओं को उसका पालन करना चाहिए. छात्राओं ने बात सुनी लेकिन किसी ने कोई आपत्ति नहीं की.’

यह कहते हुए कि हेडमास्टर का सभी स्टूडेंट और स्थानीय लोगों ‘हमेशा सम्मान’ करते रहे हैं. मंडल ने आगे कहा, ‘उन्होंने शिक्षकों के साथ इस पर कोई चर्चा नहीं की थी- वैसे भी यह यूनिफॉर्म संबंधी दिशानिर्देशों के संबंध में था.’

उन्होंने कहा, ‘अगले दिन सुबह करीब 11 बजे, जब कक्षाएं चल रही थीं- एक नाराज भीड़ स्कूल में घुस आई और हिजाब के संबंध में हेडमास्टर से सवाल करने लगी. कुछ ही देर में भीड़ और बढ़ गई. स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और उसने स्थिति संभालने का प्रयास किया. हमने भी उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन लोग बहुत ज्यादा उत्तेजित थे.’

वे कहते हैं, ‘जैसे ही हेडमास्टर कुछ बोलने और माफी मांगने के लिए बाहर निकले, भीड़ ने उन्हें निशाना बनाकर ईंट-पत्थर फेंकने शुरू कर दिए.’ साथ ही जोड़ा कि यह ‘विडंबना’ ही है कि हेडमास्टर खुद ही स्कूल पर पथराव की वजह बने.

मंडल ने बताया कि भीड़ के हिंसक होने पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे, कुछ दावों के विपरीत यहां कोई देसी बम नहीं फेंका गया था. हालांकि, हिंसा की फुटेज रिकॉर्ड करने वाले सीसीटीवी मॉनिटर को तोड़ दिया गया था.

पहली मंजिल तक पत्थर फेंके जाने की घटना को याद करते हुए उन्होंने बताया, ‘दोपहर बाद करीब पांच बजे तक हम सभी कक्षाओं में छिपे रहे थे और बच्चों को बचाने की कोशिश कर रहे थे. जब हिंसा भड़की तो हम कक्षाओं में पढ़ा रहे थे. शाम करीब 5 बजे के बाद जाकर मामला थोड़ा शांत हुआ, हमने पहले छात्रों को निकाला और फिर पुलिस ने हमें बाहर निकाला.

उन्होंने आगे कहा, ‘इस स्कूल की बात तो छोड़ ही दीजिए हमने तो इस पूरे क्षेत्र में पहले कभी इस तरह की झड़पें नहीं देखीं. हम-अब भी- बेहद डरे हुए हैं. हालांकि, स्थितियां फिर से सामान्य हो रही हैं.’

मंडल 2013 से ही हेडमास्टर दीनबंधु मुखर्जी को जानते हैं. मुखर्जी हेडमास्टर की परीक्षा पास करने और बहुताली हाई स्कूल का जिम्मा संभालने से पहले एक सहायक शिक्षक थे.

मंडल बताते हैं कि अपनी नौ साल की सेवा के दौरान मुखर्जी हमेशा से स्कूल को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहे हैं. उन्होंने मध्याह्न भोजन कक्ष, एक कंप्यूटर लैब और एक बेहतर पुस्तकालय सहित कई सराहनीय पहल की. उन्होंने स्कूल में फाटक और चारदीवारी बनवाई और हाल ही उस रास्ते पर कंक्रीट बिछाने के काम को मंजूरी दी, जो अभी टूटा-फूटा है और वहां पर पानी भर जाता है.

इस घटना के बाद मुखर्जी को मुर्शिदाबाद के स्कूल से ट्रांसफर कर दिया गया है और उन्हें पड़ोसी जिले नदिया के स्कूल में नियुक्ति मिली है.


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गुस्साई भीड़ में बीरभूम के लोग भी शामिल

सूती-1- जिस क्षेत्र में यह स्कूल आता है-के प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) रियाजुल हक का कहना है कि हमले वाले दिन सुबह 11 बजे से ही वह स्कूल में मौजूद थे. स्थानीय विधायक और आईपीएस अधिकारी, प्रभारी अधिकारी (ओसी) और उप-मंडल पुलिस अधिकारी समेत कई पुलिस अधिकारी भी वहां मौजूद थे. रियाजुल हक ने बताया कि भीड़ के हमले में उनके वाहन के साथ-साथ एक पुलिस वाहन भी निशाना बना.

रियाजुल हक का भी यही कहना है कि हेडमास्टर ने छात्राओं से आधिकारिक तौर पर कहा था कि वे काला हिजाब न पहनें जिसकी वजह से ही स्थानीय लोगों में गुस्सा भड़का.

उन्होंने आगे कहा, ‘भीड़ ने हेडमास्टर पर पथराव करना शुरू किया तो पुलिस को आंसू गैस छोड़नी पड़ी.’ साथ ही जोड़ा, ‘दोपहर दो बजे तक, भीड़ में स्थानीय लोग शामिल थे, लेकिन उसके बाद बीरभूम जिले के लोग भी हमले में शामिल हो गए. मैंने घटना की रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी है.’

छात्र सुबह की प्रार्थना के लिए इकट्ठा होकर राष्ट्रगान गाते हुए | श्रेयशी डे /दिप्रिंट

सूती पुलिस में सब इंस्पेक्टर बिप्लब करमाकर ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 147 के तहत गैरकानूनी तौर पर जुटने और दंगा करने के आरोप में 18 लोगों को गिरफ्तार किया चुका है और उनके खिलाफ मामला भी दर्ज कर लिया गया है.

हालांकि, उन्होंने उनकी पहचान उजागर करने से इनकार कर दिया.

दिप्रिंट ने इस घटना और उसके बाद गई कार्रवाई के बाबत अधिक जानकारी के लिए पुलिस अधीक्षक, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु को टेक्स्ट मैसेज भेजे, लेकिन यह लेख प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं मिला था.


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राजनीतिक निहितार्थ, एक संवेदनशील जिला

मुर्शिदाबाद स्कूल में हिंसा की घटना ने राजनीतिक ध्रुवीकरण के नैरेटिव में एक अहम भूमिका निभाई है.

पश्चिम बंगाल भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने ट्विटर पर दावा किया कि उस जगह पर कुछ देसी बम फेंके गए थे. उन्होंने लिखा, ‘यह पश्चिम बंगाल है, जहां भीड़ का शासन है. जबकि ममता बनर्जी का प्रशासन चुपचाप सब देखता रहता है. मौका कोई भी हो सकता है, चाहे चुनाव हो रहा हो या फिर अचानक होने वाला कोई विरोध प्रदर्शन. देसी बम फेंके जाना एक आम बात हो गई है और इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है. बंगाल में कोई बड़ी त्रासदी इंतजार कर रही है.’

इस बीच, इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) भी बंगाल में 17 फरवरी को अपनी बड़ी बैठक की तैयारी कर रहा था. इसके लिए उसने ऐसी जगह चुनी थी जो इसी जिले में स्कूल से महज एक घंटे की दूरी पर थी. बंगाल के बीरभूम, मालदा और नदिया जिलों के साथ-साथ मुर्शिदाबाद की सीमाएं बांग्लादेश और झारखंड से लगी हुई हैं और 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां मुस्लिम आबादी 66.27 प्रतिशत है, जो कि राज्य के किसी अन्य जिले की तुलना में सबसे ज्यादा है.

गौरतलब है कि जिले के लालगोला क्षेत्र में दिसंबर 2019 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था, जहां आक्रोशित स्थानीय लोगों ने खाली ट्रेनों में आग लगा दी थी.

सितंबर 2020 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सीमा सुरक्षा बल के साथ एक संयुक्त अभियान के दौरान मुर्शिदाबाद से अल-कायदा के 11 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था.

वहीं, पश्चिम बंगाल के पीएफआई महासचिव ओबैदुल्लाह नूरी ने पीएफआई बंगाल फेसबुक पेज पर एक वीडियो बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘बहुताली हाईस्कूल के हेडमास्टर ने एक छात्रा को बुर्का पहनने पर निष्कासित करने की धमकी दी थी. यह अलग बात है कि भले ही इसमें कोई सच्चाई न हो, इस तरह के बयानों ने लोगों की भावनाओं को प्रभावित किया और फिर 17 फरवरी की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया, जिसमें करीब 2,000 स्थानीय लोग शामिल थे.’

बाहुताली हाई स्कूल 1938 में स्थापित किया गया था और इसका प्रबंधन राज्य शिक्षा विभाग संभालता है. बंगाली-मीडियम इस स्कूल में कक्षा 5 से 12वीं तक की पढ़ाई कराई जाती हैं. मुर्शिदाबाद में जंगीपुर पुलिस जिले के अंतर्गत सूती में आने वाले इस स्कूल में करीब 3,000 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. शिक्षकों का कहना है कि अधिकांश छात्र मुस्लिम समुदाय से हैं. शिक्षा विभाग की तरफ से यहां नीली और सफेद यूनिफॉर्म निर्धारित की गई है.

जैसा दिप्रिंट ने देखा, यहां छात्र-छात्राएं एक दूसरे से एक हाथ की दूरी पर खड़े होते हैं; और सुबह की प्रार्थना के तौर पर राष्ट्रगान गाते हैं. लगभग दो सालों के बाद स्कूल में वापस आकर वे बहुत खुश हैं, और अभी थोड़ा भ्रमित हैं कि उन्हें कहां बैठना चाहिए. और, हाल में हुई हिंसा की घटना को उन्होंने कहीं पीछे छोड़ दिया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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