उज्जैन/भोपाल: धार्मिक नगरी उज्जैन में सावन के पहले सोमवार को निकली बाबा महाकाल की सवारी इस बार और भी भव्य रही. करीब 5 लाख श्रद्धालु इस पवित्र अवसर के साक्षी बने, जिनमें से ढाई लाख से अधिक भक्तों ने बाबा महाकाल के दर्शन किए. यह पहली बार हुआ जब सवारी का सीधा प्रसारण जनसंपर्क विभाग और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किया गया.
इस धार्मिक आयोजन में प्रदेश सरकार के पांच मंत्री शामिल हुए. वहीं, दुबई यात्रा पर गए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी बाबा महाकाल के चरणों में नमन किया और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की.
सीएम ने कहा, “बाबा महाकाल की सवारी लघु मध्यप्रदेश का दर्शन”.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी भावना व्यक्त करते हुए लिखा: “उज्जैन में सावन के प्रथम सोमवार के पुनीत अवसर पर पहली सवारी में कालों के काल, कराल स्वरूप, करुणा के सागर बाबा महाकाल के दिव्य और मनोहारी स्वरूप के दर्शन से अंतस शिवमय हो गया है. बाबा की कृपा सभी पर बनी रहे, यही कामना है.”
उज्जैन में सावन के प्रथम सोमवार के पुनीत अवसर पर पहली सवारी में कालों के काल, कराल स्वरूप, करुणा के सागर बाबा महाकाल के दिव्य और मनोहारी स्वरूप के दर्शन से अंतस शिवमय हो गया है।
बाबा की कृपा सभी पर बनी रहे, यही कामना है।
ॐ नमः शिवाय! pic.twitter.com/bfLLYr9L8A
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 14, 2025
डॉ. यादव ने कहा कि उनकी सरकार का निर्णय है कि बाबा महाकाल की सवारी में इस बार मंडला, डिंडोरी, बालाघाट, धार, झाबुआ और छिंदवाड़ा जैसे जिलों की जनजातीय सांस्कृतिक छवि भी झलकेगी. सवारी में इन क्षेत्रों के पारंपरिक वाद्य यंत्रों का समावेश किया जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा कि हर साल सावन के सोमवारों पर मंत्रीगण स्वयं सवारी में भाग लेंगे और प्रदेश के लिए बाबा से आशीर्वाद प्राप्त करेंगे.
सोमवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, और उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, साथ ही अन्य मंत्रीगण सवारी में सम्मिलित हुए.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपनी अनुपस्थिति पर खेद जताते हुए कहा, “मैं दुबई प्रवास के कारण सवारी के प्रत्यक्ष दर्शन नहीं कर सका, पर मेरी भावना और आस्था बाबा महाकाल के श्री चरणों में सदा समर्पित है.”
मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में यह धार्मिक यात्रा न केवल उज्जैन की गरिमा को बढ़ाएगी, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश की संस्कृति, श्रद्धा और पर्यटन को भी नई पहचान देगी.