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Saturday, 21 December, 2024
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लॉकडाउन के कारण छत्तीसगढ़ के 82 हज़ार श्रमिक दूसरे राज्यों में फंसे, ‘कई राज्यों की सरकारों द्वारा उचित सहयोग नहीं मिल रहा’

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ से अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में गए मजदूर जो वहां लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं उनके रहने से लेकर भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है.

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रायपुर: कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिए जारी देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से छत्तीसगढ़ के बेरोजगार हो चुके हजारों श्रमिक देश के अन्य भागों में फंसे हैं. अभी तक करीब 82 हजार श्रमिकों के 20 राज्यों में फंसे होने की जानकारी राज्य के श्रम विभाग को मिली है. प्रदेश सरकार द्वारा एक तरफ जहां अन्य राज्यों में फंसे हुए श्रमिकों का भी पता लगाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ जानकारी प्राप्त श्रमिकों को सबंधित राज्य सरकारों और स्थानीय गैर सरकारी संस्थाओं से संपर्क कर अस्थाई शिविरों में रखा गया है.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ से अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में गए मजदूर जो वहां लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं उनके रहने से लेकर भोजन और चिकित्सा की व्यवस्था प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है. ज्यादातर श्रमिक मुख्यतः दिल्ली, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, और गुजरात में है. पहाड़ी राज्य जम्मू में सबसे अधिक लगभग 17 हजार, महाराष्ट्र में 12 हजार, उत्तर प्रदेश में करीब 10,500, तेलंगाना में 8,000, गुजरात में लगभग 5,600, तमिलनाडु में 1500, कर्नाटक में 1500 और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तकरीबन 1600 श्रमिक फंसे हुए हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए राज्य श्रम विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने बताया, ‘हमें जैसे ही श्रमिकों के कहीं फंसे होने की जानकारी मिलती है विभाग के अधिकारी उनसे तुरंत संपर्क कर उनके और उनकी जरूरतों के बारे में पूरा विवरण ले रहे हैं. इसके बाद उन श्रमिकों को उनके आवश्यकता अनुसार राशन, भोजन और नगद पैसों की भी व्यवस्था बनाई जाती है.’

बोरा ने कहा की लॉकडाउन की वजह से कई ऐसे श्रमिकों ने राज्य सरकार से मदद चाही है जो पिछले कई वर्षों से अन्य राज्यों में स्थायी रूप से रह रहे थे लेकिन रोजगार छिन जाने की वजह से अब वापस आना चाहते हैं. बोरा का कहना है कि, ‘जो लोग स्थायी रूप से वहां रह रहे हैं उन्होंने राहत शिविरों में ना जाकर अपने घरों में ही राशन की मांग की है. इसके अलावा ऐसे कई श्रमिकों ने अब इन शहरों से हमेशा के लिए वापस आने की इच्छा जताई है जिसके बारे में सरकार द्वारा उसके स्तर की मदद पर विचार करेगी.’

नहीं मिल रहा कुछ राज्यों का सहयोग

राज्य श्रम विभाग के कुछ अधिकारियों ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि ‘कई राज्यों की सरकारों द्वारा उचित सहयोग नहीं मिल रहा है जिसके कारण वहां फंसे श्रमिकों के लिए व्यवस्था बनाने में परेशानी आ रही है’. अधिकारियों के अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में स्थानीय अधिकारियों से राज्य सरकार को अपने फंसे हुए श्रमिकों के लिए भोजन और राशन की व्यवस्था बनाने में सकारात्मक सहयोग नहीं मिल रहा है.


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एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से बात करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को इन राज्यों में स्थानीय अधिकारियों से सौतेले व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि, ‘छत्तीसगढ़ के अधिकारियों द्वारा बार-बार संपर्क किये जाने पर भी कई दफा कोई रिस्पांस नही मिलता या फिर राज्य द्वारा मांगी गयी सहायता को नजरअंदाज कर दिया जाता है’.

राज्य के एक अधिकारी का कहना है कि इन राज्यों के संबंधित अधिकारियों से मदद मांगने पर बहुत ही मुश्किल से जवाब मिलता है जिसके कारण यहां पर फंसे श्रमिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

लगातार बढ़ती संख्या बढ़ा रही जटिलता

बोरा कहते हैं प्रदेश से बाहर फंसे हुए सभी श्रमिकों की जानकारी श्रम विभाग द्वारा लगातार इकट्ठा की जा रही है लेकिन यह एक बहुत ही जटिल कार्य है. बोरा का कहना है कि ‘फंसे हुए श्रमिकों की पूरी जानकारी मिलना बहुत कठिन हो रहा है क्योंकि गाव छोड़कर गए मजदूरों का पहले से कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. श्रमिकों के संबंध में प्राप्त की गयी जानकारी की पुष्टि करना और कामगारों का स्थायी पता हासिल करना एक मुश्किल कार्य साबित हो रहा है. इसके अलावा श्रमिकों की लगातार बढ़ रही संख्या ने भी इस जटिलता को बढ़ा दिया है क्योंकि इसके अंत का कोई छोर अभी नहीं मिल रहा है.’

प्रमुख सचिव ने आगे बताया कि सभी श्रमिकों के स्वास्थ्य का भी पूरी तरह से ख्याल रखने का प्रयास किया जा रहा है और सभी श्रमिकों को कोविड-19 संक्रमण से बचाव के दृष्टिगत एक प्रकार से क्वारेंटाइन जैसी व्यवस्था में रखा गया है.

बोरा आगे बताते हैं कि अबतक राज्य श्रम विभाग द्वारा करीब 1.7 लाख से अधिक श्रमिकों की समस्याओं का सीधे तौर पर निराकरण किया है. इनमें बेरोजगार हुए छत्तीसगढ़ में कार्यरत वे श्रमिक भी शमिल हैं जो दूसरे प्रदेशों के हैं और लॉकडाउन की वजह से अपने घर लौट नही पाए. ये श्रमिक अब प्रदेश के विभिन्न जिलों में अस्थायी शिविरों में रह रहें हैं. बोरा के आनुसर इन अस्थाई शिविरों में रह रहे सभी श्रमिकों को राशन, भोजन और आवश्यकता अनुसार दवाइयां भी मुहैया कराई जा रही है.

प्रमुख सचिव श्रम ने आगे बताया कि फंसे हुए मजदूरों की जानकारी सरकार के द्वारा 24 घंटे संचालित हेल्पलाइन के अतिरिक्त, गैर-सरकारी संस्थाओं, कोरोना वारियर्स के रूप में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाएं, मीडिया, सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से 100 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों की एक टीम द्वारा प्राप्त की जा रही है.

बोरा ने बताया कि राज्य के अंदर और बाहर फंसे हुए श्रमिकों के लिए आवास एवं भोजन की व्यवस्था के अतिरिक्त उन्हें राशन एवं नगद पैसे सीधे उनके बैंक खातों में डाले जा रहे हैं. प्रमुख सचिव ने कहा कि ‘हमें फंसे हुए श्रमिकों की जानकारी मिलते ही उनसे संपर्क किया जाता है और फिर उनकी सहूलियत के हिसाब से पहले रहने और भोजन फिर खाद्य सामग्री और मांगे जाने पर नगद पैसों का इंतेजाम संबंधित राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन या फिर गैर-सरकारी संस्थाओं के समन्वय से करवाया जा रहा है.

राज्य के बाहर फंसे श्रमिकों के खातों में डाला करीब 50 लाख रुपए

बोरा के अनुसार लाॅकडाउन से प्रभावित छत्तीसगढ़ प्रदेश के अन्य राज्यों में फंसे संकटग्रस्त करीब 84 हजार श्रमिकों में करीब 7500 के बैंक खातों में तत्कालिक व्यवस्था के लिए 500, 1000 रुपए से लेकर 10 हज़ार की दर से कुल 50 लाख रूपए से ज्यादा जमा करवाया गया है और आने वाले दिनों में यह राशि श्रमिकों की मांग के हिसाब से कहीं ज्यादा बढ़ सकती है. श्रमिकों को उनके खातें मे प्रति श्रमिक 1000 रूपए की मान से रूपए जमा कराया गया है.


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ठेकेदारों, निजी कम्पनियों के खिलाफ कार्यवाही, 1 करोड़ से अधिक का भुगतान

प्रमुख सचिव का कहना है कि विभाग ने करीब 60 विभागीय अधिकारियों की टीम बनाई है जिसका कार्य संकट के इस घड़ी में मजदूरों को परेशान करनेवाले उनके ठेकेदार एवं ऐसे दूसरे नियोजक जो श्रमिकों के काम का भुगतान नहीं कर रहे थे, के खिलाफ निरंतर कार्यवाही कर रही है. पिछले दिनों टीम द्वारा प्रदेश भर में 450 से अधिक कारखानों का निरीक्षण किया गया और नियोजकों के माध्यम से करीब 1 करोड़ रूपये का भुगतान (नगद एवं राशन) करवाया गया. इसके अतिरिक्त श्रमिकों को उनके नियोजकों से कई जिलों में 15 दिनों का वेतन एडवासं के रूप में दिलाया गया है.

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1 टिप्पणी

  1. कौई भी श्रमिक के खाते मे राज्य सरकर ने पैसा नही डाला है,मेरा बेटा अहमदाबाद मे है, छग helpline वाले call उठाते नही,

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