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Saturday, 21 December, 2024
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76% माता-पिता बच्चों को नहीं भेजना चाहते स्कूल, 69% सितंबर तक चाहते हैं टीकाकरण करवाना: सर्वे

सर्वे में उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र समेत देश के 23 राज्यों के 293 जिलों के 19,000 लोगों का इंटरव्यू लिया गया.

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नई दिल्ली: देश भर में कोविड प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है और सार्वजनिक स्थानों को खोला जा रहा है फिर भी एक सर्वे के मुताबिक माता-पिता अभी भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने में संकोच कर रहे हैं. यह दूसरी लहर की गंभीर प्रकृति और वायरस के नए ज्यादा खतरनाक स्ट्रेन जिसने कोरोना शुरू होने से ही बच्चों को काफी प्रभावित किया है.

लोकलसर्किल्स (एक कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 76 प्रतिशत माता-पिता अपने जिले में कोविड मामलों के शून्य हो जाने तक या टीक लग जाने तक अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं.

25 मई से 15 जून के बीच किए गए इस सर्वे के नतीजे बुधवार को जारी किए गए.

सर्वे में उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र समेत देश के 23 राज्यों के 293 जिलों के 19,000 लोगों का इंटरव्यू लिया गया.

जिन लोगों को इंटरव्यू किया गया उनमें से 49 प्रतिशत माता-पिता टियर 1 जिलों से थे, 29 प्रतिशत टियर 2 जिलों से थे और 22 प्रतिशत टियर 3 और टियर 4 जिलों से थे (यह उल्लेख नहीं किया गया है कि जिलों को किस आधार पर वर्गीकृत किया गया था).

8,227 माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं थे जब तक कि उनके जिले में कोविड मामले शून्य पर न आ जाएं या वैक्सीनेशन न हो जाए.

69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगर सुविधा मिलती है तो वे सितंबर 2021 तक अपने बच्चों का वैक्सीनेशन करवाना चाहते हैं. बाकी में से 21 फीसदी दिसंबर 2021 तक इंतजार करना चाहते थे और सर्वे में 8 फीसदी अभिभावकों ने कहा कि वे अपने बच्चों को 2021 में टीका नहीं लगवाएंगे. सर्वे के नतीजों में इस बात का जिक्र नहीं है कि ये माता-पिता अपने बच्चों को टीका लगवाने में संकोच क्यों कर रहे हैं.

दूसरा डर

सर्वेक्षण के अनुसार, इस साल के शुरू में देश को प्रभावित करने वाली दूसरी कोविड लहर की गंभीर प्रकृति के कारण-और छह-आठ हफ्तों में एक संभावित तीसरी लहर आने की बात लगातार उठने की वजह से बच्चों को स्कूलों में भेजने के इच्छुक माता-पिता की संख्या कम हो गई है.

जनवरी में 69 फीसदी अभिभावक चाहते थे कि अप्रैल 2021 तक स्कूल खुलें, लेकिन मार्च-अप्रैल में शुरू हुई दूसरी लहर के बाद यह संख्या कम हो गई. अब केवल 20 फीसदी अभिभावक चाहते हैं कि जुलाई 2021 तक स्कूल खुलें.

आधिकारिक रूप से कोविड-19 के कारण होने वाली सभी मौतों में से बीस प्रतिशत अप्रैल 2021 में हुई. ज्यादा खतरनाक स्ट्रेन और ऑक्सीजन व मेडिकल सप्लाई की कमी की वजह से दूसरी कोविड वेव में ज्यादा बच्चों को संक्रमण हुआ.

इससे पहले, जबकि कुछ विशेषज्ञों ने कहा था कि तीसरी लहर में अधिक बच्चों और किशोरों के प्रभावित होने की संभावना है, इस महीने प्रकाशित एम्स द्वारा अनुमोदित एक सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण के परिणामों ने आश्वासन दिया कि ऐसा होने की संभावना नहीं है .

इस बीच, बिहार, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने जुलाई से स्कूलों को फिर से खोलने की घोषणा की है, जबकि दिल्ली, तमिलनाडु और हरियाणा ने ऑनलाइन कक्षाएं जारी रखने का फैसला किया है. कर्नाटक में कार्डियक सर्जन देवी शेट्टी की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने स्कूलों को फिर से खोले जाने की सिफारिश की है, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक कुछ भी घोषित नहीं किया गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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