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Friday, 1 November, 2024
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74 साल की उम्र में दो बच्चियों को जन्म दिया मंगयम्मा ने, 50 वर्षों का ख्वाब हुआ पूरा

70 साल की दलजिंदर कौर सबसे पहले दुनिया में सबसे अधिक उम्र में मां बनीं थी. दलजिंदर हरियाणा की रहने वाली थीं और उन्होंने 2016 में आईवीएफ तकनीक से लड़के को जन्म दिया था.

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नई दिल्ली: पांच दशकों से मां बनने का ख़्वाब देख रही महिला आखिर 74 वर्ष की उम्र में मां बन गई. महिला ने आईवीएफ तकनीक से दो बच्चियों को जन्म दिया है. डॉक्टरों के मुताबिक दोनों बच्चियां स्वस्थ हैं लेकिन मां बनी इ. मंगयाम्मा फिलहाल आईसीयू में हैं, उनकी हालत भी स्थिर है.. डॉक्टरों का मानना है कि इतनी बड़ी उम्र में मां बनने का मामला वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया जा सकता है.

आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में द्रक्षरमम की ई मंगयम्मा ने गुंटुर के एक निजी अस्पताल में आज सुबह दो बच्चियों को जन्म दिया. दोनों बच्चियां आईवीएफ (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक पैदा हुईं हैं. चार डॉक्टरों की टीम ने उनका  सफल ऑपरेशन किया.

डॉक्टरों की टीम को हेड कर रहीं डॉक्टर एस उमाशंकर ने कहा कि मां और बच्चियां स्वस्थ्य हैं. डॉक्टर ने मीडिया को बताया, ‘यह मेडिकल की दुनिया में चमत्कार से कम नहीं है.’ डॉक्टर ने मीडिया को यह भी बताया कि सबसे अधिक उम्र में मां बनने वाली मंगयम्मा पहली महिला बन गई हैं. पापा बनने की खुशी में मंगयम्मा के पति राजा राव और परिवार वालों ने मिठाई बांटी.

इससे पहले 70 साल की दलजिंदर कौर दुनिया में सबसे अधिक उम्र में मां बनीं थी. दलजिंदर हरियाणा की रहने वाली थीं और उन्होंने 2016 में आईवीएफ तकनीक से लड़के को जन्म दिया था.

1962 में मंगयम्मा की शादी वाई राजा राव से शादी हुई थी लेकिन वह मां नहीं बन सकी थीं. डॉक्टरों ने बताया कि 2018 में उनके पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने 55 साल की उम्र में कृत्रिम गर्भाधान से बच्चे को जन्म दिया था. उसके बाद पिछले 50 वर्षों से अपने बच्चे की चाहत रखने वाली मंगयम्मा को उम्मीद जागी और वो अस्पताल पहुंची. तब डॉक्टरों ने इस बुजुर्ग जोड़े की मदद करने की ठानी.

मीडिया से बातचीत में उमाशंकर ने बताया कि जब हम इस जोड़े से मिले तब हमने इनकी कई तरह की जांच कराई और पाया कि वह मां बनने में सक्षम हैं. यही नहीं आईवीएफ प्रोसेस के पहले चक्र में ही मंगयम्मा ने कंसीव कर लिया. उसके बाद नौ महीनों तक दस डॉक्टरों की टीम उनकी देखभल करती रही, यही नहीं नौ महीने तक उनकी नियमित जांच होती रही ताकि कोई परेशानी न हो.

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