नई दिल्ली: पिछले साल सितंबर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सामने एक अजीबो-गरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब केरल स्थित कोच्चि शिपयार्ड में निर्माणाधीन स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) आईएनएस विक्रांत से महत्वपूर्ण और ‘संवेदनशील रक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर’ गायब हो गया.
एजेंसी को संदेह था कि इसे ‘भारत की सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से’ से चुराया गया है.
इसके बाद नौ महीने चली जांच खासी मशक्कत वाली रही. 15 राज्यों से 6,000 से अधिक हाथों और अंगुलियों के निशान एकत्र किए गए और जगह-जगह जाकर 1,000 से अधिक कर्मचारियों की शिनाख्त की गई. साथ ही संदिग्धों का लेयर्ड वॉयस एनालिसिस (एलवीए), जो इंसानों की आवाज का अलग-अलग स्तर पर आकलन कर तनाव और अन्य भावनाओं के जरिये सच पता लगाने में मदद करता है, कराने के अलावा अपराध वाले क्षेत्र के नजदीक स्थित मोबाइल टॉवर और कर्मचारियों की कॉल डिटेल संबंधी रिकॉर्ड का भी गहन विश्लेषण किया गया.
सफलता आखिरकार इस साल जून में आकर मिली. एनआईए को कोई जासूसी या आतंकी एंगल नहीं मिला, बल्कि इस चोरी को कथित तौर पर दो पेंटर सुमित कुमार सिंह और दया राम ने अंजाम दिया था जिन्हें पोत को पेंट करने का काम दिया गया था. ये दोनों न केवल अपराध की गंभीरता से अनजान थे, बल्कि उन्होंने एक ‘बेहद महत्वपूर्ण उपकरण’ को ऑनलाइन मार्केटप्लेस ओएलएक्स पर करीब 7,000 रुपये में बेच भी डाला था.
दिप्रिंट ने इस मामले पर पूरी नजर डाली, जिसमें एनआईए को दो मामूली से पेंटरों का पता लगाने के लिए फोरेंसिक और तकनीकी विशेषज्ञों की मदद लेने तक को बाध्य होना पड़ा था.
विमान वाहक में चोरी
जुलाई और सितंबर 2019 के बीच आईएसी परियोजना के उप महाप्रबंधक श्रीकुमार राजा ने स्थानीय पुलिस के समक्ष 20 से अधिक महत्वपूर्ण कंप्यूटर हार्डवेयर कंपोनेंट की चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें प्रोसेसर, रैम और 256 जीबी की सॉलिड स्टेट ड्राइव शामिल थी, जिसे वाहक के कंप्यूटर सिस्टम में लगा रखा गया था.
फिर केरल पुलिस के वैज्ञानिक विशेषज्ञों ने विमान वाहक पर लगे इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (आईपीएमएस) में हिस्सा बने सभी कंप्यूटर सिस्टम की जांच की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एनआईए को जांच का जिम्मा संभालने के लिए बुलाया गया और एजेंसी ने 26 सितंबर 2019 को प्राथमिकी दर्ज की.
संदिग्धों का पता लगाने की कोशिश
एक सूत्र ने बताया कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी एनआईए ने पाया कि दिनभर में 1,500 से 2,000 के बीच लोग विमान वाहक पर काम करते हैं. शाम 6 बजे के बाद 600 से 700 कर्मचारियों ने ओवर-टाइम असाइनमेंट लिया. रात में उनमें से लगभग 200 से 300 लोगों ने काम किया.
सूत्र ने कहा, ‘चूंकि यहां इतने सारे लोगों ने काम किया, इसलिए गैंगवे से जहाज में आने-जाने वाले सभी लोगों की जांच करना संभव नहीं था. इसके अलावा गैंगवे पर लगे दो सीसीटीवी कैमरों से हासिल किए गए फुटेज कम गुणवत्ता वाले थे और इसलिए किसी भी तकनीकी विश्लेषण के लायक नहीं थे.’
जांच के दौरान यह भी पता चला कि प्रभावित मल्टी फंक्शनल कंसोल (एमएफसी) – एमएफसी-25 ने पिछले साल 24 अगस्त तक ठीक से काम किया था लेकिन 28 अगस्त से उसमें समस्या आने लगी.
सूत्र ने बताया, ‘इसके बाद कोचीन शिपयार्ड के एचआर से उन ठेकेदारों, सुपरवाइजर और कर्मचारियों की सूची देने को कहा गया था, जिन्होंने 24 अगस्त से 28 अगस्त के बीच आईएसी परियोजना पर काम किया था, जब एमएफसी-25 को निशाना बनया गया. इनेलमेक कंपनी के उन कर्मचारियों, सुपरवाइजर और मालिकों की एक अन्य सूची भी हासिल की गई जिन्होंने आईएसी में एमएफसी के टर्मिनेशनेशन वर्क को अंजाम दिया था.’
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इस सबके बाद एनआईए के हाथ में इनेलमेक के 176 कर्मचारियों और आईएसी पर काम करने वाले 195 ठेकेदारों के अलावा 3,628 संविदा कर्मचारियों की सूची थी, जिन्होंने 24 से 28 अगस्त के बीच कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में प्रवेश किया था.
सूत्र ने बताया, ‘जांचकर्ताओं ने फिर करीब 150 आईएसी कांट्रैक्टर के साथ बातचीत की. इसके अलावा 24 से 28 अगस्त के बीच आईएसी पर काम करने वाले सभी कर्मचारियों की उपलब्ध पूरी निजी जानकारियों के साथ मस्टर रोल तुरंत मांगा गया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘निर्माणकर्ताओं को यह निर्देश भी दिया गया कि वे उन सभी कर्मचारियों का ब्योरा उपलब्ध कराएं जिन्होंने चोरी की घटना सामने आने के दौरान वाले समय में आईएसी पर काम किया था.
फिंगरप्रिंट, फील्ड वैरीफिकेशन, एलवीए से कोई सफलता नहीं
विमान वाहक पर आने-जाने वाले गैर-कर्मचारियों सहित प्रत्येक व्यक्ति का विवरण मिलने के बाद एनआईए ने हाथों और अंगुलियों के निशान जुटाने शुरू कर दिए.
अलग-अलग टीमें गठित की गईं और विमान वाहक में आने-जाने वाले ठेकेदारों, अधिकारियों, सुपरवाइजर, सुरक्षा कर्मियों और अन्य कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए. फिर उनका लेयर्ड वॉयस एनालिसिस (एलवीए) कराया गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
सूत्र ने बताया, ‘अपराध वाले क्षेत्र के मोबाइल टॉवरों के ब्योरे के अलावा सभी कर्मचारियों, जिनकी अंगुलियों और हाथ के निशान एकत्र किए गए थे, की सीडीआर खरीदी गई और किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाने के लिए उनका गहन विश्लेषण किया गया.’
सूत्र ने कहा, ‘उन 22 लोगों का फील्ड वैरीफिकेशन कराया गया जो घटना के बाद भारत से चले गए थे. वीओआईपी (वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल) प्लेटफॉर्म के माध्यम से उनका एलवीए भी कराया गया लेकिन कुछ संदिग्ध नहीं पाया गया.’
एनआईए की टीमों ने इसके साथ ही तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और गुजरात आदि राज्यों में सीएसएल के पूर्व कर्मचारियों के बारे में फील्ड वैरीफिकेशन किया और इन लोगों की अंगुलियों और हाथों के निशान के नमूने भी लिए गए.
लेकिन जांच एजेंसी अब भी अंधेरे में ही तीर मार रही थी.
अंतिम उपाय के तौर पर एनआईए ने मामले के खुलासे में मदद करने वाली कोई जानकारी मुहैया कराने पर 5 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की.
सूत्र ने कहा, ‘सीएसएल के 6,014 कर्मचारियों की हथेलियों के निशान कोई सफलता नहीं दिला पाए थे. तब कहीं जाकर अपराध का खुलासा करने वाली कोई जानकारी के लिए 5 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई और कई भाषाओं में उसके पोस्टर बनवाकर उन्हें शिपयार्ड में चिपकाने के अलावा शिपयार्ड कर्मचारियों के विभिन्न सोशल मीडिया ग्रुप पर भी इसे जारी किया गया.’
बड़ी सफलता
इस मामले में बहुप्रतीक्षित सफलता 3 जून को तब मिली जब मैक्सइव इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स, जिसने एक साल तक आईएसी पर पेंटिंग का काम किया था, के मालिक ने शिकायत की कि उनके कुछ कर्मचारी उनके कुछ सामानों की चोरी में शामिल थे.
उन्होंने जांचकर्ताओं को बताया कि उनकी कंपनी ने कर्मचारियों के बोनस को लेकर ट्रेड यूनियनों के साथ विवाद के बाद पिछले साल अगस्त में ओणम के दौरान कामकाज बंद कर दिया था और कई श्रमिकों को हटा दिया था.
फिर 5 जून को कोच्चि स्थित सिंगल डिजिट फिंगरप्रिंट ब्यूरो के फिगरप्रिंट विशेषज्ञों ने बताया कि एमएफसी- 28 से पाए गए एक प्रिंट की विस्तृत तुलना करने पर इसे मैक्सइव इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स के 54206 इमप्लाई कोड वाले कर्मचारी सुमित कुमार सिंह की दाहिनी हथेली की छाप के समान पाया गया है.
सूत्र ने कहा, ‘यह एक बड़ी सफलता थी. हमने तुरंत सुमित कुमार सिंह और एक अन्य संदिग्ध दया राम की तकनीकी निगरानी शुरू कर दी.’
9 जून को एनआईए टीमों ने बिहार के मुंगेर स्थित सुमित के घर और हनुमानगढ़, राजस्थान में दया राम के घर पर छापा मारा. एक गायब सॉलिड स्टेट ड्राइव और एक रैम उनके पास से ही बरामद की गई.
सूत्र ने बताया, ‘इन लोगों ने जुलाई और सितंबर के बीच आईएसी से चोरी करने की बात भी कबूल कर ली.’
इसके बाद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और सुमित के कबूलनामे पर एनआईए टीम ने सूरत में रहने वाले उसके बड़े भाई के घर पर तलाशी ली और एक प्रोसेसर को छोड़कर चोरी का बाकी सामान वहां से बरामद किया.
ओएलएक्स के जरिये बेचा
एनआईए ने तब गायब प्रोसेसर की तलाश शुरू की. पूछताछ के दौरान दोनों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने प्रोसेसर को ओएलएक्स के जरिये एर्नाकुलम जिले के फ्रीलांस ग्राफिक डिजाइनर को बेचा था.
सूत्र ने कहा, ‘इन लोगों ने माना कि बिना प्राधिकार महत्वपूर्ण कंप्यूटर सिस्टम तक पहुंच हासिल की और इन हार्डवेयर कंपोनेंट को चुराने की योजना बनाई और आईएसी से उसे चोरी करके ले भी गए. उन्होंने यह भी माना कि सितंबर में चोरी का एक प्रोसेसर ओएलएक्स के जरिये मुवात्तपुझा में एक व्यक्ति को बेच भी डाला.’
उन्होंने कहा, ‘प्रोसेसर बरामद करने के लिए ओएलएक्स पर डाटा खंगाला गया और खरीदार का पता लगाया गया. फिर यह प्रोसेसर खरीदार के कंप्यूटर से बरामद भी किया गया. सुमित ने ग्राफिक डिजाइनर के कंप्यूटर में इस प्रोसेसर को खुद ही लगाया था ताकि यह साबित हो सके कि वह काम करने लायक स्थिति में है.’
दोनों आरोपियों का इस साल जुलाई में एक पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ था और 4 सितंबर को दोनों के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 66 एफ, साइबर आतंकवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा और अन्य आरोपों में एक चार्जशीट भी दायर की गई थी.
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