नई दिल्ली: एल्पर डोजर (एडी) साइंटिफिक इंडेक्स 2023 में 52 भारतीय वैज्ञानिकों को दुनिया के शीर्ष 2 फीसदी वैज्ञानिकों में स्थान मिला है.
एक देश के रूप में भारत शीर्ष 2 फीसदी वैज्ञानिकों की इस सूची में 21वें स्थान पर है. दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों में 4,935 नामों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे आगे है.
कुल मिलाकर 216 देशों के वैज्ञानिकों को ‘ओवरआल रैंकिंग’ (समग्र क्रमांक) में सूचीबद्ध किया गया है, और इसमें 50,245 भारतीय वैज्ञानिक हैं.
सोमवार को जारी की गयी यह ग्रेडिंग ‘वैज्ञानिक प्रदर्शन और वैज्ञानिकों की व्यक्तिगत वैज्ञानिक उत्पादकता के अतिरिक्त महत्व के आधार पर तैयार की गई एक रैंकिंग और विश्लेषण प्रणाली है’.
यह इंडेक्स सकल और पिछले पांच साल के आई-10 इंडेक्स (कम-से-कम 10 उद्धरणों -साइटेशन- वाले प्रकाशनों की संख्या), एच-इंडेक्स (एक मीट्रिक जो उत्पादकता और उद्धरण स्तर के प्रभाव दोनों का उपयोग करता है) और गूगल स्कॉलर में दिए गए साइटेशन स्कोर का उपयोग करता है.
इस इंडेक्स में वैज्ञानिकों को कृषि और वानिकी, कला, डिजाइन और वास्तुकला, व्यवसाय और प्रबंधन, अर्थशास्त्र और अर्थमिति (इकोनोमेट्रिक्स), शिक्षा, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी, इतिहास, दर्शन, धर्मशास्त्र, कानून/कानून और कानूनी अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और अन्य सहित 11 विषयों के आधार पर स्थान दिया गया है.
पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जेबी सिंह, जो हाई एनर्जी पार्टिकल फिजिक्स (उच्च ऊर्जा कण भौतिकी) के क्षेत्र में काम करते हैं, का नाम भारत के वैज्ञानिकों की सूची में सबसे ऊपर है. वह दुनिया में 124वें नंबर पर हैं.
सिंह साल 1995 में वैज्ञानिकों की उस अंतरराष्ट्रीय टीम का हिस्सा थे, जिसने 1995 में टॉप क्वार्क- एक अवपरमाणवीय कण (सब-एटॉमिक पार्टिकल) की खोज की थी. उनका उच्च ऊर्जा अवपरमाणवीय कणों के बर्ताव का अध्ययन पर काम करना जारी है.
उनके कुछ नवीनतम कार्यों में पार्टिकल एक्सेलरेटर में उच्च ऊर्जा कणों के टकराव और अवपरमाणवीय कणों (सब-एटॉमिक पार्टिकल) के क्षय का अध्ययन शामिल है.
भारत के अन्य कई शीर्ष वैज्ञानिक भी पार्टिकल फिजिक्स के क्षेत्र में काम करते हैं. ऐसे नौ भारतीय वैज्ञानिक हैं जिन्होंने दुनिया में शीर्ष 500 रैंकिंग में जगह बनाई है.
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक अधिकारी दीपनविता दत्ता, 219 के एच-इंडेक्स और अपने पूरे करियर के दौरान प्राप्त लगभग 227,588 उद्धरणों के साथ भारत में दूसरे स्थान पर हैं.
दत्ता भी उच्च ऊर्जा कण भौतिकी के क्षेत्र में ही काम करती हैं. उनका हालिया शोध अवपरमाणवीय कणों का अध्ययन करने पर है जो परमाणुओं के उच्च ऊर्जा वाले टकराव (हाई एनर्जी कॉलिजन्स ऑफ़ एटमस) के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं. साल 2012 में लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में एक नए बोसॉन पर लिखा गया उनका शोधपत्र उनके सबसे अधिक उद्धृत प्रकाशनों में से एक है.
इसी तरह, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के गगन मोहंती, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) के ए.के. मोहंती, और शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेज के अनिर्बान साहा, जो भारत में शीर्ष पांच वैज्ञानिको में शामिल हैं, सभी उच्च ऊर्जा कण भौतिकी के क्षेत्र में काम करते हैं.
शीर्ष 2 फीसदी वैज्ञानिकों वाले संस्थान
इस इंडेक्स में उल्लेख किया गया है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में दुनिया के दो फीसदी में शामिल वैज्ञानिकों की संख्या सबसे अधिक (576) है – इसके बाद क्रमशः 377 और 252 वैज्ञानिकों के साथ स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का स्थान है.
भारतीय संस्थानों में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर), इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता और वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर, कोलकाता में कार्यरत वैज्ञानिकों की अधिकतम संख्या है – उनमें से प्रत्येक से चार-चार वैज्ञानिक इस शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों की में सूचीबद्ध हैं.
जिन अन्य वैज्ञानिकों ने इस सूची में जगह बनाई है, उनमें मद्रास और बॉम्बे के आईआईटी, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के तीन-तीन वैज्ञानिक शामिल हैं.
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