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Monday, 23 December, 2024
होमदेशहरियाणा पुलिस ने कहा कि वाड्रा-DLF भूमि सौदे में 'कोई उल्लंघन नहीं' हुआ, पर हुड्डा को 'क्लीन चिट' नहीं

हरियाणा पुलिस ने कहा कि वाड्रा-DLF भूमि सौदे में ‘कोई उल्लंघन नहीं’ हुआ, पर हुड्डा को ‘क्लीन चिट’ नहीं

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष दायर हलफनामे में कहा गया है कि रॉबर्ट वाड्रा द्वारा डीएलएफ को जमीन की बिक्री में 'नियमों का कोई उल्लंघन नहीं' पाया गया. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर 'धोखाधड़ी, जालसाजी' आदि के लिए मामला दर्ज किया गया था.

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चंडीगढ़: कथित भूमि अधिग्रहण घोटाले के संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के लगभग पांच साल बाद, हरियाणा पुलिस ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दायर किया. इसमें कहा गया है कि राजस्व अधिकारियों को रॉबर्ट वाड्रा की स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी द्वारा डीएलएफ को भूमि के हस्तांतरण में नियमों/विनियमों में किसी भी प्रकार उल्लंघन नहीं मिला है.

जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह और हरप्रीत सिंह बराड़ की एचसी बेंच पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के सांसदों और विधायकों (वर्तमान या पूर्व) के खिलाफ लंबित मामलों से संबंधित एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी. हलफनामा, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, में इन विभिन्न मामलों की स्थिति शामिल है, जिसमें भर्ती में कथित अनियमितताओं और कदाचार के मामले में पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला से संबंधित एक मामला भी शामिल है.

हालांकि हुड्डा के लिए हलफनामा ‘क्लीन चिट’ नहीं है. 1 सितंबर, 2018 को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा से संबंधित भूमि सौदे के संबंध में गुरुग्राम में दर्ज प्राथमिकी अभी भी मौजूद है. पुलिस ने हुड्डा पर धोखाधड़ी, बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी और जालसाजी सहित अन्य अपराधों के लिए मामला दर्ज किया था.

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि मामले की जांच अभी खत्म नहीं हुई है.

गुरुवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, हुड्डा ने हलफनामे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया क्योंकि मामला न्यायाधीन है. लेकिन उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि मुझे देश की न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है.’

एफआईआर

हलफनामा दाखिल करने से एक महीने से भी कम समय में, हरियाणा सरकार ने 22 मार्च, 2023 को एक नई विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया था. इस टीम में पुलिस उपायुक्त, दो सहायक पुलिस आयुक्त, एक निरीक्षक और एक उप-निरीक्षक शामिल थे.

हरियाणा पुलिस द्वारा दिया गए हलफनामे में 1 सितंबर, 2018 को दायर प्राथमिकी में जो आरोप लगाया गया था, उससे पूरी तरह से यू-टर्न है. यह हलफनामा डॉ राजश्री सिंह, पुलिस महानिरीक्षक, अपराध द्वारा प्रस्तुत किया गया था. दिप्रिंट ने हलफनामे की कॉपी देखी है.

हुड्डा से संबंधित मामले में, आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना), धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना) और 120बी (आपराधिक साजिश की सजा) के तहत गुरुग्राम के खेरकी दौला पुलिस स्टेशन में ‘एफआईआर नंबर 288’ को दिनांक 1 सितंबर, 2018 को दायर किया गया था.

प्राथमिकी में कहा गया था कि वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने 2008 में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से सेक्टर 83 गुरुग्राम में 3.5 एकड़ जमीन 7.50 करोड़ रुपये में खरीदी थी, जब हुड्डा मुख्यमंत्री थे और उनके पास टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट भी था.

इसमें कहा गया है कि स्काई लाइट ने 18 सितंबर, 2012 को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभाव से एक कॉलोनी के विकास के लिए वाणिज्यिक लाइसेंस प्राप्त करने के बाद 58 करोड़ रुपये में यह जमीन बेच दी, जिससे लगभग 50 करोड़ रुपये का लाभ कमाया गया. करोड़ों रुपये के इस सौदे को लेकर पहले लगे आरोप को वाड्रा ने खारिज कर दिया था.


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हलफनामे के अनुसार, हालांकि, ‘उक्त लेनदेन में किसी भी नियम / नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है.’

चकबंदी महानिदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अशोक खेमका ने 3.5 एकड़ जमीन को लाल झंडी दिखा दी थी. इसके बाद उन्होंने भूमि का नामांतरण (भूमि के एक टुकड़े के स्वामित्व को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया का हिस्सा) रद्द कर दिया था. बाद में, राज्य सरकार द्वारा गठित तीन आईएएस अधिकारियों की एक समिति ने खेमका के आदेशों को पलट दिया था.

एफआईआर में कहा गया है कि डीएलएफ को हुए नुकसान की भरपाई के लिए हुड्डा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए डेवलपर को गुरुग्राम के वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन आवंटित की. यह आरोप लगाया गया था कि इस ‘बदले में’ डीएलएफ ने 5,000 करोड़ रुपये बनाए.

हालांकि, हलफनामे में कहा गया है, ‘तहसीलदार, वज़ीराबाद, गुरुग्राम से मिले रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि (350 एकड़) भूमि मैसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड के नाम पर नहीं मिली है और भूमि अभी भी है. यह  एचएसवीपी/एचएसआईआईडीसी, हरियाणा के नाम से मौजूद है.’

एचएसवीपी का मतलब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण है, जिसे पहले ‘हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA)’ के नाम से जाना जाता था, और एचएसआईआईडीसी का मतलब हरियाणा राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम है.

यहां यह भी याद किया जा सकता है कि सितंबर 2014 में अपने आदेश में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 2010 में डीएलएफ को 350 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने के हरियाणा सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था और राज्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आमंत्रित करके जमीन की नीलामी करने का निर्देश दिया था. इस आदेश को डीएलएफ ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जहां शीर्ष अदालत ने यथास्थिति का आदेश दिया था.

हलफनामा

अदालती सुनवाई से पहले जांच को आगे बढ़ाते हुए, हरियाणा पुलिस द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि मेसर्स ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज लिमिटेड (अब एसजीवाई प्रॉपर्टीज लिमिटेड) के निदेशक सत्यानंद याजी इस साल 3 और 6 अप्रैल को जांच में शामिल हुए थे.

हलफनामे में कहा गया है, ‘ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के एक पूर्व निदेशक केवल सिंह विर्क को भी इस साल 10 अप्रैल को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस दिया गया था और डीएलएफ से भी मामले का विवरण मांगने के लिए नोटिस दिया गया था.’

हलफनामे में कहा गया है कि स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी और स्काई लाइट रियल्टी से संबंधित रिकॉर्ड कंपनियों के रजिस्ट्रार (आरओसी) से 5 नवंबर, 2022 को और तहसीलदार, मानेसर, गुरुग्राम से 11 नवंबर, 2022 को प्राप्त हुए थे.

23 नवंबर, 2022 को जिला टाउन प्लानर, गुरुग्राम ने भी कहा कि संबंधित रिकॉर्ड पुलिस को उपलब्ध करा दिया गया है.

12 दिसंबर, 2022 को खेरकी दौला पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) ने फिर से आरओसी को स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी और स्काई लाइट रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड की अतिरिक्त जानकारी और रिकॉर्ड मांगने के लिए नोटिस दिया.

शपथ पत्र में कहा गया है, ‘स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी और स्काई लाइट रियल्टी के बैंक स्टेटमेंट से पता चला है कि 7,45,00000 रुपये और 7,43,44,500 रुपये स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी के खाते से ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खाते में 9.08.2008 और 16.08.2008 को स्थानांतरित किए गए थे.’

हलफनामे में कहा गया है, फरवरी 2008 में जब ओंकारेश्वर ने स्काई लाइट को 3.5 एकड़ जमीन बेची थी, तब स्टाम्प शुल्क किसके पास जमा किया गया था, इसके रिकॉर्ड से पता चलता है कि क्रम संख्या 748 दिनांक 28.01.2002 का खरीदा गया स्टाम्प, और 45 लाख रुपये में, एक डी.एस. यादव के माध्यम से स्काई लाइट के लिए खरीदा गया था.

हलफनामे में आगे कहा गया है, ‘डीटीसीपी (निदेशक, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग) से प्राप्त रिकॉर्ड के अनुसार, ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज ने स्क्रूटनी शुल्क के रूप में दिनांक 03.01.2008 के भुगतान आदेश के माध्यम से 7,413,000 रुपये की राशि जमा की थी. स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी के पक्ष में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के अनुरोध पर लगभग 56,721,000 रुपये की लाइसेंस फीस समायोजित की गई थी. हलफनामे में कहा गया है कि (रियल एस्टेट डेवलपमेंट) लाइसेंस डीएलएफ रिटेल डेवलपर्स लिमिटेड (एसआईसी) के पक्ष में स्थानांतरित नहीं किया गया है.’

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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