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Friday, 26 April, 2024
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सिविल सेवाओं में भर्ती हुए नए उम्मीदवारों में 5% मुस्लिम, टॉप 100 में सिर्फ एक

45वें स्थान पर आने वाली सफना नज़रुद्दीन ने मुस्लिम उम्मीदवारों में सर्वोच्च रैंक हासिल की है और शीर्ष 100 में अपने समुदाय से अकेली हैं.

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नई दिल्ली: यूपीएससी ने 2019 बैच के लिए सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) के माध्यम से 42 मुस्लिम उम्मीदवारों की भर्ती की है, जो पिछले साल के 28 उम्मीदवारों से ज्यादा है.

45वें स्थान पर आने वाली सफना नज़रुद्दीन ने मुस्लिम उम्मीदवारों में सर्वोच्च रैंक हासिल की है और शीर्ष 100 में अपने समुदाय से अकेली हैं.

यूपीएससी द्वारा मंगलवार को जारी सीएसई के परिणाम के अनुसार, कुल 829 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की है. जिसमें मुस्लिम उम्मीदवार 5 प्रतिशत है, जैसा कि पिछले कुछ वर्षों में रुझान रहा है. मुसलमानों की आबादी भारत की लगभग 15 प्रतिशत है.

पिछले साल चुने गए मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या 28 थी, जो भर्ती किए गए 759 उम्मीदवारों में से 4 प्रतिशत थी.

2016 बैच में, इतिहास में पहली बार, यूपीएससी के माध्यम से 50 मुसलमानों का चयन किया गया था, 10 ने शीर्ष 100 में स्थान बनाया था. 2017 बैच में भी 50 मुसलमान इस परीक्षा में चुने गए थे.

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2012, 2013, 2014 और 2015 बैच में, यह संख्या क्रमशः 30, 34, 38 और 36 थी.

ज़कात फाउंडेशन के ज़फर महमूद जो मुस्लिम उम्मीदवारों को यूपीएससी के लिए तैयार करते हैं, ने कहा, ‘2016 के बाद से, मुस्लिम उम्मीदवार लगभग 5 प्रतिशत रहे हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि है, स्वतंत्रता के बाद से यह संख्या लगभग 2.5 प्रतिशत थी.’

इस साल जिन 42 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की है, उनमें से 27 ज़कात फाउंडेशन से हैं. महमूद ने यह दावा किया.


यह भी पढ़ें: यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा 2019 का परिणाम किया घोषित, प्रदीप सिंह बने टॉपर


सच्चर कमेटी का प्रभाव

महमूद ने कहा कि नागरिक सेवाओं की तरफ ज्यादा आने की बात 2006 की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कही गई, जिसमें सरकारी नौकरियों में मुसलमानों के खराब प्रतिनिधित्व के बात दर्ज की गई.

रिपोर्ट के अनुसार, उस समय, केवल 3 प्रतिशत आईएएस अधिकारी, भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के 1.8 प्रतिशत अधिकारी और 4 प्रतिशत आईपीएस अधिकारी मुस्लिम थे, हालांकि समुदाय देश की 13.4 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती थी (2001 की जनगणना के अनुसार).

महमूद ने कहा, ‘तब से समुदाय के दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव आया है और यह हर साल प्रतिनिधित्व को 5 प्रतिशत तक लाने में कामयाब रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘हालांकि, भारत में मुसलमानों का कुल प्रतिशत 15% है, हमें प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए तीन गुना प्रयास करना होगा.’

उन्होंने कहा कि यह एक चिंता का विषय है कि केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार ने शीर्ष 100 में जगह बनाई है. ‘यह सिर्फ हमें बताता है कि हमें प्रयास करते रहना होगा.’

पिछले कुछ वर्षों में, भारत भर में कई कोचिंग सेंटर सामने आए हैं जो मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए विशेष रूप से मुफ्त या रियायती कोचिंग प्रदान करते हैं, जैसे हमदर्द स्टडी सर्कल, आगाज़ फाउंडेशन, लार्कसपुर हाउस, आदि.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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