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मंगलवार, 29 अप्रैल, 2025
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गृहमंत्रालय द्वारा आरोग्य सेतु एप के अनिवार्य किए जाने को लेकर उठे विरोध के सुर, 45 संस्थाओं ने पीएमओ को लिखा खत

आरोग्य सेतु एप के गृहमंत्रालय द्वारा अनिवार्य किए जाने को लेकर विरोध के सुर उठने लगे हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय को 45 संस्थाओं और 100 से अधिक लोगों ने इस बाबत खत लिखकर विरोध जताया है.

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नई दिल्ली: गृह मंत्रालय द्वारा आरोग्य सेतु एप हर देशवासी के फोन में डाउनलोड किए जाने को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं. इसके अनिवार्य इस्तेमाल से जुड़े निर्देश को लेकर देश के 45 संगठनों ने न केवल इसका विरोध किया है बल्कि पीएमओ को एक पत्र भी लिखा है. इन संगठनों के अलावा 100 अन्य लोगों ने भी अपने विरोध का स्वर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को लिखित में दर्ज कराया है. बता दें कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने भी एक ट्वीट कर इस एप का विरोध किया है.

इंटरनेट फ्रीडम फ़ॉउंडेशन (आईएफ़एफ़) की वेबसाइट पर मौजूद इससे जुड़े बयान में लिखा है, ‘गृह मंत्रालय ने एक निर्देश जारी कर आरोग्य सेतु एप के इस्तेमाल को हर नागरिक के अनिवार्य कर दिया है. कार्यालय परिसर में इसके 100 प्रतिशत कवरेज की बात कही गई है. ऐसा नहीं करने वाले के ख़िलाफ़ आपराधिक दंड लगाए जाने का प्रावधान भी रखा गया है.’

आगे इसमें लिखा है कि नौकरी करने वाले किसी व्यक्ति के लिए अब ये एप ना सिर्फ डेटा की ‘निजता’ के लिए ख़तरा है या किसी की ग़लत तरीके से पहचान किए जाने का भय भी है, वहीं सरकार ने इसे डाउनलोड नहीं करने पर आपराधिक दंड की प्रक्रिया का भी भागी बनना पड़ सकता है.

बयान के मुताबिक इसका विरोध करने वालों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हुआ है और नौकरी पेशा लोगों के लिए इस एप को अनिवार्य बनाए जाने का विरोध करने वालों में ट्रेड यूनियन, पीपल्स मूवमेंट, डिजिटल राइट्स ऑर्गेनाइज़ेशन, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट, पूर्व सिविल सर्वेंट/नौकरशाह, एक्टिविस्ट, शिक्षा और तकनीक के जगत से जुड़े लोग, पत्रकार और वकील शामिल हैं.

कर्मचारियों के लिए इस एप को अनिवार्य बनाए जाने से जुड़े इन सगंठनों और व्यक्तियों के विरोध से जुड़ा एक पत्र पीएमओ को भेजा है. इसमें गृह मंत्रालय द्वारा नौकरी-पेशा वाले लोगों के लिए आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करने को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर चिंता व्यक्त की गई है.

क्या है ताज़ा आदेश

ताज़ा आदेश के मुताबिक कॉन्टेनमेंट ज़ोन 100 प्रतिशत लोगों के फ़ोन में ये एप डाउनलोग करवाना है. वहीं, ज़िला मजिस्ट्रेट से कहा गया है कि वो सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु एप के इस्तेमाल को सुनिश्चित करवाएं.


यह भी पढ़ें: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोग्य सेतु एप पर उठाए सवाल, कहा- ‘भय का लाभ उठाकर लोगों को ट्रेक नहीं किया जाना चाहिए’


ये भी कहा गया है कि ये संगठन के प्रमुख की ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि वो इस एप के 100 प्रतिशत इस्तेमाल को सुनिश्चित करवाएं. इंटरनेट फ्रीडम ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि ऐसा नहीं करने वालों को लॉकडाउन का पालन नहीं करने का हवाला देकर दंडित किया जाएगा. ऐसा दबाव और जबरदस्ती इनके विरोध का कारण है.

ऐसे में आईएफ़एफ़ ने पीएमओ से इस निर्देश पर फिर से विचार करने की अपील की है. वहीं, ये भी कहा है कि अभी सामूहिक रूप से पीएमओ को चिट्ठी भेजने वाल ये संस्थाएं और लोग निजी तौर पर पीएमओ को इस विषय पर चिट्ठी भेजेंगे.

एप पर पक्ष विपक्ष की राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप

आरोग्य सेतु एप को लेकर विवाद नया नहीं है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही आरोग्य सेतु एप पर डेटा सुरक्षा और निजता को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं. इससे पहले एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी इस एप पर सवाल उठा चुके हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार शाम को ट्वीट किया, ‘आरोग्य सेतु एप एक आधुनिक सर्वेलांस सिस्टम है. कोई संस्थागत निगरानी नहीं है. इस एप के कारण कई प्रकार की सुरक्षा संबंधी प्रश्न खड़े हो रहे है. आज नई तकनी​क हमें सुरक्षित रहने में मदद कर सकती है. लेकिन भय का लाभ उठाकर लोगों को उनकी अनुमति के बगैर ट्रेक नहीं किया जाना चाहिए.

हालांकि, राहुल का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ट्वीट कर लिखा, ‘रोज एक नया झूठ. आरोग्य सेतु एक मजबूत साथी है जो लोगों की सुरक्षा कर रहा है. यह मजबूत डेटा सुरक्षा ढांचे से लैस है. जिन्होंने जीवन भर सर्विलांस किया है वो ये नहीं जानते कि कैसे तकनीक के सहारे लोगों का भला किया जा सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘आरोग्य सेतु को वैश्विक तौर पर सराहा जा रहा है. यह एप किसी प्राइवेट ऑपरेटर से आउटसोर्स नहीं है. मिस्टर गांधी यही समय है कि आप अपने ट्वीट्स को भारत को न समझने वाले अपने क्रोनियों से आउटसोर्स कराना बंद कर दें.’


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इस एप के लॉन्च के एक महीने के अंदर ही इसको 8.2 करोड़ भारतीय डाउनलोड कर चुके हैं. एप की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों को रफा-दफा करते हुए मायजीओवी.इन  वेबसाइट के अधिकारी कहते है कि एप से डेटा और जानकारी चुराना एप का मकसद नहीं और इस पर शक करना बेमानी है.

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