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Thursday, 28 March, 2024
होमदेशउमर खालिद के समर्थन में आईं देश की जानी-मानी 36 हस्तियां, जिग्नेश मेवानी ने की जल्द रिहाई की मांग

उमर खालिद के समर्थन में आईं देश की जानी-मानी 36 हस्तियां, जिग्नेश मेवानी ने की जल्द रिहाई की मांग

दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद की गिरफ़्तारी की गुजरात के नेता जिग्नेश मेवानी ने निंदा करते हुए जल्द रिहाई की मांग की है. इसमेंं उनका साथ देश की 36 से अधिक जानी मानी हस्तियों ने दिया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर ख़ालिद की गिरफ़्तारी की गुजरात के नेता जिग्नेश मेवानी ने निंदा की है. और उनकी जल्द से जल्द रिहाई की मांग की है. यही नहीं जिग्नेश ने दिल्ली पुलिस से अपील की है के दिल्ली दंगाों की जांच के बहाने मुखर आवाजों को जिस तरह परेशान किया जा रहा है उसे बंद किया जाए.

जिग्नेश के इस बयान के साथ देश के अन्य 36 प्रभावशाली लोग खड़े हैं जिन्होंने इस बयान पर साइन भी किया है. इसमें मुख्यत: एक्टिविस्ट व लेखिका अरुंधति रॉय, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, वकील प्रशांत भूषण, वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ, विधायक जिग्नेश मेवानी, एक्टिविस्ट कविता कृष्णन, आकार पटेल, हर्ष मंदर, प्रोफ़ेसर नंदनी सुंदर, प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद, इकॉनोमिस्ट जयति घोष और प्रोफ़ेसर आयशा किदवई के नाम शामिल हैं.


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 जिग्नेश अपने बयान में लिखते हैं-

‘लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास करने वाले नागरिकों के तौर पर हम उमर ख़ालिद को रिहा करने की मांग करते हैं जिन्हें जांच प्रक्रिया के ज़रिए सीएए विरोध प्रदर्शनों का शांतिपूर्वक हिस्सा बनने के लिए टार्गेट किया जा रहा है. ख़ालिद पर यूएपीए, राजद्रोह और हत्या के षड्यंत्र जैसी कई धाराएं लगाई गईं हैं. हमें लगता है कि ये जांच दिल्ली में फ़रवरी में हुए दंगों के बारे में नहीं है, बल्कि ये असंवैधानिक सीएए के ख़िलाफ़ हुए देशव्यापी लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शनों के बारे में है.’

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अबतक 20  लोगों को किया गया गिरफ्तार

अपने बयान को जिग्नेश ने ट्विटर हैंडल पर शेयर करते हुए लिखा है, ‘उमर ख़ालिद उन सैंकड़ों आवाज़ों में से एक हैं जिन्होंने देशभर में सीएए विरोध प्रदर्शनों के दौरान संविधान के पक्ष में आवाज़ उठाई. उन्होंने ज़ोर दिया कि शांतिपूर्ण, अहिंसात्मक और लोकतांत्रिक तरीक़ों से विरोध किया जाए.’

बयान में आगे लिखा गया है कि उमर ख़ालिद देश और संविधान के पक्ष में नौजवानों के बीच एक मुखर आवाज़ बनकर उभरे हैं. दिल्ली पुलिस द्वारा दिल्ली दंगों के झूठे केसों में उन्हें फंसाकर विरोध करने वाली आवाज़ों को दबाने की एक कोशिश है.

वह आगे लिखते हैं, ‘इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि जिन 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है उन सब की उम्र 31 साल से कम है. इनमें से 17 लोगों पर यूएपीए जैसा काला क़ानून लगाया गया है और आरोप लगाया गया कि इन लोगों ने दंगे भड़काने की साज़िश की, जबकि दंगा भड़काने वाले असली लोगों को दिल्ली पुलिस छू तक नहीं पाई है. अरेस्ट किए गए लोगों में से 5 महिलाएं हैं और एक को छोड़कर बाक़ी सारे छात्र हैं.’

जिग्नेश ने अपने बयान में लिखा है, ‘हमारे लोकतंत्र का सार अंतरात्मा की आज़ादी है और देश की ताक़त इसके युवा हैं. हम उमर ख़ालिद और बाक़ी युवा लड़के-लड़कियों को निशाना बनाए जाने की कड़ी निंदा करते हैं.’

बयान में जिग्नेश आगे कहते हैं, ‘जीने के अधिकार का मतलब खाने, पीने और सांस लेने तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका मतलब बिना किसी डर के और सम्मान के साथ जीना भी है. जहां बोलने के आज़ादी और असहमति की आज़ादी भी है. दिल्ली पुलिस की जांच लोकतांत्रिक आवाज़ों को दबाने की और एक डर पैदा करने की कोशिश है.’

बयान के आख़िर में लिखा है, ‘जैसा कि कन्हैया कुमार पर कोर्ट परिसर में हमला हुआ और 2018 में उमर ख़ालिद पर दो व्यक्तियों द्वारा गोली चलाई गई. ऐसे में जब तक उमर ख़ालिद न्यायिक हिरासत में हैं, उनकी सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाए जाएं.’

‘कोर्ट ने ये बात ऑब्ज़र्व की है कि मीडिया झूठे प्रौपगेंडा और सेलेक्टिव ख़बरों को लीक करके इस मामले को पूरी तरह मीडिया ट्रायल में तब्दील करना चाहती है ताकि अदालत की जांच को प्रभावित किया जा सके. ये तुरंत प्रभाव से बंद होना चाहिए.’

अगर हम क़ानून को इसका काम सही करने देंगे तो हमें यक़ीन है कि न्याय ज़रूर मिलेगा.

बता दें कि दिल्ली की एक अदालत ने अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को फरवरी में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार कर सोमवार को दस दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया.

खालिद को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष पेश किया गया. अदालत ने उसे 24 सितंबर तक के लिए पुलिस हिरासत मे भेज दिया. खालिद को इस मामले में रविवार रात को गिरफ्तार किया गया था.


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