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Friday, 17 May, 2024
होमदेशगर्भवती महिला के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद कश्मीर के अस्पताल के 36 स्टाफ को सेल्फ- क्वारंटाइन में रहने को कहा गया

गर्भवती महिला के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद कश्मीर के अस्पताल के 36 स्टाफ को सेल्फ- क्वारंटाइन में रहने को कहा गया

कश्मीर के लाल डेड अस्पताल के कर्मचारियों में सलाहकार, वरिष्ठ निवासी डॉक्टर, स्नातकोत्तर डॉक्टर, ओटी सहायक, तकनीशियन, नर्स शामिल हैं.

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श्रीनगर: कश्मीर के प्राथमिक प्रसूति अस्पताल में वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट और नर्स सहित 36 चिकित्सा कर्मियों को गर्भवती महिलाओं के आपातकालीन मामलों का इलाज करने के बाद खुद क्वारंटाइन रहने के लिए कहा गया है, बाद में इन महिलाओं को कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया है , दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

हालांकि, लाल डेड अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट बताया कि काम के बोझ से निपटने के लिए मेडिकल स्टाफ का पर्याप्त बैकअप है.

जम्मू-कश्मीर में इस महीने कोरोना पॉजिटिव होने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या में वृद्धि देखी गई है. शुक्रवार तक कुल 46 गर्भवती महिलाओं को कश्मीर में कोरोना पॉजिटिव पाया गया है.

22 मई तक जम्मू और कश्मीर में 1,489 मामलो की पुष्टि हुई है, जिनमें से 749 सक्रिय मामले हैं. अब तक 720 लोग रिकवर हो गए हैं और 20 की मौत हो गई है, जिसमें से जम्मू के दो और कश्मीर के 18 मौतें शामिल हैं.

लाल डेड अस्पताल में मामले

लाल डेड (एलडी) अस्पताल घाटी का मुख्य प्रसूति अस्पताल है और यहां हर दिन 100 से 120 रोगियों को एडमिट किया जाता है.

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इस सप्ताह की शुरुआत में, कम से कम तीन गर्भवती महिलाओं को अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में लाया गया था और उन सभी को तत्काल सर्जरी की आवश्यकता थी.

‘अस्पताल के एक डॉक्टर जो नाम नहीं बताना चाहते थे ने कहा, डॉक्टरों ने महि’लाओं में से एक पर कार्डियो-पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) भी किया,क्योंकि जब वह अस्पताल लाई गई थी तो ऐसा लगा उसका निधन हो गया है. इस महिला को पुनर्जीवित किया गया और दूसरी गर्भवती महिलाओं के साथ ऑपरेशन किया गया.

उन्होंने कहा, ‘डॉक्टरों ने तीनों महिलाओं को बचाने में कामयाबी हासिल की. लेकिन बाद में सूक्ष्मजीवविज्ञान की एक टीम द्वारा किए गए परीक्षण में पाया गया कि महिलाएं कोरोनोवायरस पॉजिटिव थीं, इसके नतीजे 19 मई को आए थे.’

दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किए गए एक अस्पताल के दस्तावेज़ के अनुसार, स्त्रीरोगों और एनेस्थिसियोलॉजी वार्डों की ऑन-ड्यूटी इकाइयों के कई कर्मचारियों, जिन्होंने तीन रोगियों का इलाज किया था, को होम क्वारंटाइन में जाने के लिए कहा गया.

कर्मचारियों में सलाहकार, वरिष्ठ निवासी डॉक्टर, स्नातकोत्तर डॉक्टर, ऑपरेशन थिएटर सहायक, तकनीशियन और सुरक्षा गार्ड शामिल थे.

जम्मू-कश्मीर में अब तक 21 स्वास्थ्य कर्मचारियों में कोरोनोवायरस पॉजिटिव पाया गया है , जबकि कई को आइसोलेशन के तहत रखा गया है.

रेड जोन से दो महिलाएं अस्पताल आईं

एक अन्य डॉक्टर ने दिप्रिंट को बताया कि तीन गर्भवती महिलाओं में से एक, जिनके साथ अधिकतम 36 कर्मचारी संपर्क में आए, बांदीपुरा के एक गांव की थी, जो ऑरेंज जोन में आता है.

उन्होंने कहा, ‘उनकी योनि से खून बह रहा था … उस समय, हमें पता नहीं था कि मरीज कोरोना पॉजिटिव थी या नहीं. इसलिए डॉक्टरों ने उस पर सीपीआर किया. उसे पुनर्जीवित किया गया और बाद में उसका ऑपरेशन किया गया. एक अन्य विकल्प था कि उसे एलडी में एक आइसोलेशन वार्ड में स्थानांतरित करना चाहिए था, उसके कोरोना टेस्ट की प्रतीक्षा करना और फिर उसके अनुसार अप्प्रोच करना चाहिए था. लेकिन मरीज के पास इतना समय नहीं था.’

हालांकि, अन्य दो गर्भवती महिलाएं रेड ज़ोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों से संबंधित थीं.

आधिकारिक मानदंडों के अनुसार रेड जोन में गर्भवती महिलाओं को सूचीबद्ध किया जाना है और उनकी जांच को रेड और बफर क्षेत्रों में हाल ही में स्थापित स्वास्थ्य केंद्रों में प्रबंधित करने की आवश्यकता है.

पहले चिकित्सक ने कहा, ‘पहले से ही मानदंड हैं जिनके तहत सभी गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. इस बारे में भी मानक स्थापित किए जाने चाहिए कि क्या कश्मीर, या ग्रामीण क्षेत्रों के आस पास से आपातकालीन मामलों को एलडी अस्पताल में लाया जाना चाहिए या कोरोना मामलों की देखभाल के लिए विशेष रूप से नामित अस्पतालों में ले जाना चाहिए.

कुछ अभी भी ड्यूटी पर आ रहे हैं

जबकि 36 स्वास्थ्य कर्मचारियों में से कुछ खुद क्वारंटाइन में चले गए हैं, कुछ अभी भी ड्यूटी पर आ रहे हैं क्योंकि उन्हें रोस्टर पर अपना नाम मिला है.

एक डॉक्टर( जो 36 कर्मचारियों में से एक है) ने कहा, ‘यह एक गड़बड़ स्थिति है. हमें खुद होम क्वारंटाइन में जाने के लिए कहा गया था, लेकिन जब हमने ड्यूटी रोस्टर की देखा तो उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. इसलिए, हम ड्यूटी पर आए.’

डॉक्टर ने कहा, ‘केवल यह चिंता का विषय नहीं है. इस सप्ताह कोरोना मामलों के संपर्क में आने वाले डॉक्टरों या पैरामेडिक्स कि कोई कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग नहीं की गयी है. हम अपने प्राथमिक प्रसूति अस्पताल के पूरे स्टाफ को संक्रमित नहीं कर सकते. यह एक आपदा की तरह होगा.’

जब एलडी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शबीर सिदिकी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘दिशानिर्देश जारी किए गए हैं कि सभी गर्भवती महिलाओं को उनकी डिलीवरी की तारीख से दो सप्ताह पहले कोरोना के टेस्ट से गुजरना चाहिए. हमने प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन कुछ बैकलॉग हैं. परीक्षण में समय लगता है, लेकिन अंततः एलडी में आने वाली प्रत्येक गर्भवती महिला का परीक्षण किया जाएगा.’

सिदिकी ने कहा, ‘हमारे कर्मचारियों को क्वारंटाइन में जाने के लिए कहा जा रहा है, हमारे प्रबंधन ने पहले ही स्वास्थ्य कर्मचारियों के संक्रमित होने की संभावना को ध्यान में रखा है. स्वास्थ्य कर्मचारियों के इलाज के लिए तंत्र और उनकी अनुपस्थिति अस्पताल के कामकाज को प्रभावित न करे इसका उपाय पहले ही किया जा चुका है.

डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर (डैक) के अध्यक्ष डॉ सुहैल नाइक ने कहा कि चिकित्सा कर्मियों के बीच संक्रमण से बचने के लिए, पीपीई किट को उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘यहां कर्मचारियों को पीपीई मिलता है जिसे उन्हें निर्धारित छह घंटे के बजाय 24 घंटे के लिए उपयोग करना पड़ता है.’

उन्होंने कहा, “कश्मीर में कोविड-19 के 90 प्रतिशत से अधिक मामले असिम्पटोमैटिक हैं. तो बड़े पैमाने पर परीक्षण ही एकमात्र समाधान है. लेकिन अभी भी ऐसे मामले हैं जो नेगेटिव आने के बाद भी स्लिप कर सकते हैं क्योंकि हमने देखा है कि कई गलत नेगेटिव आये हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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