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Tuesday, 5 November, 2024
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मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव का कार्यकाल समाप्त होने से 3 महीने पहले, IAS राजेश राजोरा का CMO में बढ़ा कद

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजोरा को नीतिगत मुद्दों, कैबिनेट और मंत्रिस्तरीय कार्यों सहित 15 कार्यों की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है.

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भोपाल: वरिष्ठ IAS अधिकारी राजेश राजोरा मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कार्यालय के एक महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में उभरे हैं, उन्हें कई नई जिम्मेदारियां दी गई हैं, जो राज्य सरकार के साथ उनके बढ़ते संबंधों का संकेत देती हैं.

22 जून को, सीएम मोहन यादव ने 1990 बैच के IAS अधिकारी को 15 कार्यों की देखरेख का जिम्मा सौंपा, जिसमें उनकी घोषणाओं, नीतिगत मुद्दों, कैबिनेट और मंत्रिस्तरीय कार्यों के साथ-साथ PMO, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ समन्वय से संबंधित कार्य शामिल हैं. राजोरा को CMO का नेतृत्व करने वाले नौकरशाहों के बीच कार्य वितरण के क्रम के तहत ये कार्य सौंपे गए थे.

यह निर्णय राजोरा को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) के रूप में पदोन्नत किए जाने के तुरंत बाद लिया गया. राजोरा की प्रोफाइल में यह बढ़ी हुई जिम्मेदारी मुख्य सचिव वीरा राणा का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त होने से करीब तीन महीने पहले आया है.

उन्हें सीएम के दिल्ली दौरे के दौरान काम की देखरेख, राज्य की सभी प्रमुख परियोजनाओं की निगरानी, ​​कमिश्नर-कलेक्टर कॉन्फ्रेंस के काम, सरकारी और गैर-सरकारी पदों पर नियुक्ति और राज्य के उन सभी विभागों का प्रभार देने का भी काम सौंपा गया है, जिनके लिए अभी किसी अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है.

ये जिम्मेदारियां नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के उपाध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका के अतिरिक्त हैं.

उनके साथी सहयोगी मालवा क्षेत्र के नीमच जिले से ताल्लुक रखने वाले राजोरा को बहुत कुशल अधिकारी बताते हैं.

एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा, “वे एक मेहनती व्यक्ति हैं, सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम को प्राथमिकता देने में माहिर हैं और जब तक काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक नहीं रुकते. जब काम का मसौदा तैयार करने की बात आती है, या कागज पर किसी निर्णय को सही ठहराना होता है, या सीएम को सदन या किसी मंच पर भाषण देना होता है, तो वे काफी कार्यकुशल माने जाते हैं.

राजोरा झाबुआ, धार और बालाघाट जैसे जिलों में कलेक्टर के रूप में काम कर चुके हैं, इससे पहले उन्हें इसी पद पर उज्जैन (2003-04) और इंदौर (2004-05) में स्थानांतरित किया गया था.

अन्य कर्तव्यों के अलावा, सीएम मोहन यादव ने राजोरा को राज्य के दो सबसे महत्वपूर्ण संभागों इंदौर और उज्जैन के प्रशासनिक कार्यों के समन्वय का काम भी सौंपा.

क्षेत्र में व्यापक रूप से काम करने के बाद, राजोरा को पशुपालन विभाग में प्रबंध निदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया और उन्होंने स्वास्थ्य सहित विभिन्न विभागों के आयुक्त के रूप में कार्य किया.

एक अन्य नौकरशाह ने कहा, “2004 में तत्कालीन उमा भारती सरकार के तहत जब सिंहस्थ आयोजित किया गया था, तब राजोरा उज्जैन के कलेक्टर थे. 2028 में सिंहस्थ होने वाला है, ऐसे में राजोरा का पिछला अनुभव सरकार के काम आएगा.”

सिंहस्थ की तैयारियों के लिए सरकार ने बुधवार को 500 करोड़ रुपए का आवंटन किया और उज्जैन की ओर जाने वाली सड़कों को चौड़ा करने और मालवा क्षेत्र के 10 जिलों के विकास समेत कई कामों का प्रस्ताव रखा.

एक साथी नौकरशाह ने कहा, “संभावना है कि राजोरा अगले मुख्य सचिव बनेंगे. (लेकिन) एक पुराना मामला उनकी राह में रोड़ा बन सकता है. हालांकि, चूंकि अदालत ने मामले को खारिज कर दिया है, इसलिए इसका कोई कानूनी आधार नहीं है, फिर भी यह देखना बाकी है कि यह कैसे आगे बढ़ता है.”

यह मामला 2008 का है, जब आयकर विभाग ने कथित कर चोरी के आरोप में उनके और स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मियों के घर की तलाशी ली थी. राजोरा के घर की तलाशी आठ महीने पहले आयकर अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, योगी राज शर्मा के घर की तलाशी के बाद हुई थी. राजोरा उस समय विधि एवं न्याय विभाग के सचिव के पद पर तैनात थे और यह मामला राज्य के स्वास्थ्य आयुक्त के रूप में उनके कार्यकाल से जुड़ा था.

आयकर विभाग की तलाशी के परिणामस्वरूप आईएएस अधिकारी को फरवरी 2010 में अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमों का उल्लंघन करने के लिए निलंबित कर दिया गया था, जबकि वे ग्वालियर में राजस्व मंडल के सदस्य के रूप में कार्यरत थे. 2011 में आयकर विभाग ने उनकी कर योग्य आय का आकलन किया और उनके खिलाफ 1.5 करोड़ रुपये की कर देयता तय की.

दो साल बाद, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग के तलाशी वारंट को रद्द कर दिया और कहा कि “मामले में कोई कानूनी आधार नहीं है.”

इसके बाद, 33 महीने बाद निलंबन हटा लिया गया, जिसके बाद वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान प्रमुख सचिव, कृषि बनाए जाने से पहले पंचायत और श्रम विभाग के सचिव के रूप में कार्य करते रहे.

राजोरा ने 2020 में प्रमुख सचिव, गृह के रूप में स्थानांतरित होने से पहले 2013 से 2020 तक प्रमुख सचिव, कृषि का पद संभाला.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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