नई दिल्ली: बिहार कैबिनेट ने मंगलवार को विभिन्न सरकारी विभागों में 27370 पदों को भरने के लिए अपनी मंजूरी दे दी. कैबिनेट सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) एस सिद्धार्थ ने यहां कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि कैबिनेट ने विभिन्न श्रेणियों के 20,016 पदों को भरने के लिए “लोक स्वास्थ्य संवर्ग” और “अस्पताल प्रबंधन संवर्ग” के गठन के स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
उन्होंने कहा कि विभिन्न श्रेणियों के 20,016 पदों को बनाने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है.
सिद्धार्थ ने कहा कि कैबिनेट ने राज्य में सहायक उर्दू अनुवादकों के 3306 पदों के सृजन को भी मंजूरी देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि ये पद “बिहार राज्य उर्दू अनुवादक संवर्ग नियमावली 2016” (बिहार राज्य उर्दू अनुवादक संवर्ग नियमावली, 2016) के अनुसार भरे जाएंगे. उन्होंने बताया कि इन उर्दू अनुवादकों को जिलों, अनुमंडलों, प्रखंडों और कार्यपालकों समेत राज्य के विभिन्न कार्यालयों में तैनात किया जाएगा.
कृषि विभाग में लिपिक के 2590 पद
एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में कैबिनेट ने कृषि विभाग में लिपिक संवर्ग के 2590 पदों के सृजन को भी मंजूरी दी.
मंत्रिमंडल ने रोहतास, औरंगाबाद, पश्चिमी चंपारण, बेगूसराय, किशनगंज और गोपालगंज जिलों में एक-एक स्थायी नई ‘उत्पाद रासायनिक प्रयोगशाला’ स्थापित करने के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी. अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इस उद्देश्य के लिए विभिन्न श्रेणियों के 48 नए पद सृजित किए गए हैं.
पटना में आयुष अस्पताल के लिए 36 पद
बिहार कर्मचारी चयन आयोग के लिए ‘डाटा एंट्री ऑपरेटर’ के 35 पदों के सृजन के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. उन्होंने कहा कि पटना में 50 बेड के एकीकृत आयुष अस्पताल के सुचारू संचालन के लिए राजपत्रित और अराजपत्रित संवर्ग के 36 विभिन्न पदों का सृजन किया गया है.
एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में, कैबिनेट ने राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक के स्कूलों की सूक्ष्म निगरानी के लिए शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
शिक्षा विभाग के एसीएस सिद्धार्थ ने संवाददाताओं को बताया कि कैबिनेट ने “बिहार शिक्षा प्रशासनिक संवर्ग नियमावली 2025” के गठन के विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी. उन्होंने कहा कि स्कूलों के सख्त निरीक्षण और निगरानी के लिए ब्लॉक स्तर पर एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा बनाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रत्येक 10 पंचायतों के विद्यालयों के निरीक्षण एवं निगरानी का कार्य एक सहायक शिक्षा विकास पदाधिकारी (एईडीओ) को दिया जाएगा, जबकि प्रखंड स्तर पर शिक्षा विकास पदाधिकारी विद्यालयों की निगरानी करेंगे.
इन अधिकारियों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के माध्यम से की जाएगी. उल्लेखनीय है कि राज्य में 84,00 से अधिक पंचायतें हैं, जबकि राज्य में 534 प्रखंड हैं. कैबिनेट ने बिहार आकस्मिकता निधि (बीसीएफ) कोष को मौजूदा 350 करोड़ रुपये से बढ़ाकर मार्च 2026 तक 10,000 करोड़ रुपये करने के सरकार के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी.
सिद्धार्थ ने कहा कि इसने बिहार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 के आवेदन को भी नई बिहार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2025 के लागू होने तक बढ़ा दिया. उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने विभिन्न विभागों के 27 निर्णयों को मंजूरी दी.
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