scorecardresearch
बुधवार, 21 मई, 2025
होमदेशछत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में 72 घंटे चले अभियान में टॉप माओवादी नेता बसवराज समेत 27 मारे गए

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में 72 घंटे चले अभियान में टॉप माओवादी नेता बसवराज समेत 27 मारे गए

यह घटना उस नक्सल विरोधी अभियान के बाद हुई है, जो छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर करेगुट्टा पहाड़ियों में 21 दिन चला था. इसमें 31 माओवादी मारे गए थे और उनके बड़े नेताओं को बड़ा झटका लगा था.

Text Size:

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के अबुझमाड़ इलाके में बुधवार को चलाए गए एक बड़े एंटी-नक्सल ऑपरेशन में 27 माओवादी मारे गए, जिनमें सीनियर माओवादी नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज भी शामिल हैं.

उनकी मौत की पुष्टि करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर लिखा: “नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि. आज, छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक ऑपरेशन के दौरान हमारे सुरक्षाबलों ने 27 कुख्यात माओवादियों को ढेर कर दिया, जिनमें सीपीआई-माओवादी के महासचिव, शीर्ष नेता और नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज भी शामिल हैं.”

शाह ने आगे लिखा कि यह पहली बार है जब “भारत की नक्सलवाद के खिलाफ तीन दशक पुरानी लड़ाई” में किसी महासचिव स्तर के नेता को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है. उन्होंने इसे “एक बड़ी सफलता” बताते हुए सुरक्षाबलों की सराहना की.

उन्होंने आगे लिखा, “ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है.”

केशव राव सीपीआई (माओवादी) संगठन में महासचिव के रूप में सबसे ऊंचे पद पर थे. वह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के रहने वाले थे और पोलित ब्यूरो में प्रमोशन से पहले सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के प्रमुख थे.

एक पूर्व इंजीनियर रहे बसवराज छत्तीसगढ़ और अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों की पुलिस की मोस्ट वांटेड लिस्ट में नंबर वन टारगेट थे. उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था. उसे सीपीआई (माओवादी) की सशस्त्र शाखा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) को मजबूत करने का श्रेय भी दिया जाता है. पीएलजीए का गठन 2000 में कई छोटे-छोटे गुटों के विलय के बाद हुआ था.

ताजा मुठभेड़ में एक डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) टीम का एक सदस्य मारा गया और कुछ अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हो गए. यह मुठभेड़ उस 21 दिन के एंटी-नक्सल ऑपरेशन के कुछ दिन बाद हुई, जो छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर के पास केरेगुट्टा पहाड़ियों में चला था, जिसमें 31 माओवादी मारे गए थे, जिनमें 16 महिलाएं थीं। इस ऑपरेशन ने माओवादियों की शीर्ष नेतृत्व को पूरी तरह से हिला दिया था.

पुलिस सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ पुलिस की विशेष इकाई डीआरजी को अबुझमाड़ क्षेत्र में नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो सदस्यों के साथ-साथ सीनियर माड़ डिवीजन कैडरों और पीएलजीए के सदस्यों की बैठक की खुफिया जानकारी मिली थी.

इस सूचना के बाद नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव से टीमें अबुझमाड़ के लिए रवाना की गईं. यह ऑपरेशन 72 घंटे तक घने जंगलों में चला.

अबुझमाड़, जिसे स्थानीय रूप से “अनजानी पहाड़ियां” कहा जाता है, एक ऐसा इलाका है जहां पहाड़ी और पथरीला भूभाग है, कई नदियां और नाले हैं, और जहां सड़क, परिवहन या मोबाइल कनेक्टिविटी बहुत कम या नहीं के बराबर है.

पुलिस सूत्रों ने बताया, “टीमों के पास बैठक की पक्की जानकारी थी और उन्होंने उसी के आधार पर जंगलों में गहराई तक जाकर ऑपरेशन चलाया. ओरछा तक वे गाड़ियों से जा सके, उसके बाद पैदल ही चलना पड़ा. यह ऑपरेशन तीन दिन तक चला.”

बस्तर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल सुंदरराज पी ने दिप्रिंट को बताया कि अब तक ऑपरेशन में 27 नक्सलियों के शव और बड़ी संख्या में आधुनिक हथियार बरामद किए गए हैं.

हालांकि उन्होंने बसवराज की मौत की पुष्टि नहीं की, लेकिन इतना जरूर कहा कि कई वरिष्ठ स्तर के नक्सली या तो मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं. उन्होंने कहा, “इन नेताओं की पहचान ऑपरेशन खत्म होने के बाद ही पक्के तौर पर बताई जा सकेगी.”

आईजी ने कहा, “जटिल भौगोलिक परिस्थितियों और कई चुनौतियों के बावजूद, सुरक्षाबल पूरी प्रतिबद्धता और संकल्प के साथ वामपंथी उग्रवाद (LWE) के खिलाफ इस निर्णायक अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं.” उन्होंने बताया कि सभी घायलों को तुरंत इलाज मिला है और अब वे खतरे से बाहर हैं.

गृह मंत्रालय (MHA) के अनुसार, वामपंथी उग्रवाद (LWE) अब गिरावट पर है. 2010 में जब यह चरम पर था, तब 9 राज्यों के 126 जिलों में घटनाएं हुई थीं. अप्रैल 2024 तक यह संख्या घटकर केवल 38 जिलों तक रह गई है.

पिछले एक साल में ही छत्तीसगढ़ के बस्तर में सुरक्षाबलों ने 123 मुठभेड़ों में 217 संदिग्ध माओवादियों को मार गिराया, 929 को गिरफ्तार किया और 419 मामले दर्ज किए. इस साल फरवरी तक 81 संदिग्ध माओवादी मारे जा चुके हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: अगर कांग्रेस थरूर को खो देती है तो क्या होगा? राहुल गांधी केरल में पंजाब जैसे हालात दोहराने वाले हैं


 

share & View comments