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Tuesday, 5 November, 2024
होमदेश'खाने-पीने का सामान खरीदने निकले थे बाहर'- 21 साल के भारतीय मेडिकल छात्र की यूक्रेन में गोलाबारी से मौत

‘खाने-पीने का सामान खरीदने निकले थे बाहर’- 21 साल के भारतीय मेडिकल छात्र की यूक्रेन में गोलाबारी से मौत

भारत सरकार ने खार्किव के प्रशासनिक भवन पर हुए मिसाइल हमले में कर्नाटक के नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर की मौत की पुष्टि की है जो वहां पढ़ रहे थे.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार 21-वर्षीय मेडिकल छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर, जो एक सर्जन बनकर भारत लौटने का सपना देख रहा था, की मंगलवार को यूक्रेन के खारकीव शहर में खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए बाहर निकलते समय मौत हो गई.

विदेश मंत्रालय और खारकीव के सूत्रों के अनुसार, जिनसे दिप्रिंट ने बात की, यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर में क्षेत्रीय प्रशासन भवन में मिसाइल के हमले के बाद 21 वर्षीय छात्र की गोलाबारी से मौत हो गई.

कर्नाटक के चालगेरी के रहने वाले ज्ञानगौदर खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में चौथे वर्ष के छात्र थे. दिप्रिंट ने मृतक के पिता से भी संपर्क किया लेकिन उनका परिवार इस समय कोई प्रतिकिया नहीं दे सका.

सोशल मीडिया पर सिटी सेंटर में हुए मिसाइल हमले का वीडियो भी सामने आया है.

दिप्रिंट ने पहले खबर दी थी कि खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में नामांकित लगभग 3,500 भारतीय छात्र, जो अपने को इस देश से बाहर निकाले जाने प्रयासों के बारे में किसी खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, अपने विश्वविद्यालय से कुछ किलोमीटर दूर हॉस्टल के भूमिगत बंकरों में सीमित मात्रा में उपलब्ध भोजन और पानी की आपूर्ति के साथ छिपे हुए हैं.

उन्होंने पिछले हफ्ते एक बिना फटी मिसाइल की तस्वीरें भी साझा कीं, जो खारकीव में एक पार्किंग स्थल के मैदान में फंस गई थी.

इस बीच, भारत सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए तेजी से काम कर रही है, लेकिन सार्वजनिक परिवहन के पूरी तरह से बाधित होने से लोगों को निकालने के प्रयास काफी कठिन हो गए हैं.

खार्विव रूसी सीमा के पास डोनबास क्षेत्र के उत्तर में एक शहर है जहां फिलहाल भारी लड़ाई हो रही है.


यह भी पढ़ें: भारत यूक्रेन में फंसे भारतीयों के पहले जत्थे को वापस लाएगा, लेकिन आगे लोगों को निकालने में कई बाधाएं हैं


‘किराने का सामान खरीदने के लिए बाहर निकले थे’

दिप्रिंट ने 30 वर्षीय स्वाधिन महापात्र से बात की, जो खारकीव में एक डॉक्टर थे, जिन्होंने ज्ञानगौदर को पढ़ाया भी था.

महापात्र ने दिप्रिंट को व्हाट्सएप कॉल पर बताया, ‘नवीन की आज सुबह करीब 7 बजे के आसपास मौत हो गई. वह हमारे साथ भूमिगत बम शेल्टर में रह रहा था, जहां अभी भी कुछ हजार भारतीय छात्र फंसें हैं. कर्फ्यू (शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक) हटाए जाने के बाद, वह किराने का सामान खरीदने के लिए बाहर निकलकर उस रिहायशी इमारत के बहुत करीब गया था, जिस पर हमला किया गया. मैंने उसका शव देखा – वह गोलाबारी से मारा गया.’

महापात्रा खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध एक अस्पताल में काम करते हैं. वह इसी शिक्षण संस्था के पूर्व छात्र भी हैं.

उन्होंने कहा, ‘नवीन एक बहुत अच्छा इंसान था और बहुत पढ़ाकू भी था. उसके बड़े-बड़े सपने थे और वह काफी अच्छा प्रदर्शन करने वाला था. वह वास्तव में एक सर्जन बनने के लिए भारत लौटना चाहता था.’

इस युवा छात्र की मौत ने खारकीव में बम शेल्टर्स में छिपे अन्य भारतीय छात्रों को भी झकझोर कर रख दिया है, जो खुद के बाहर निकाले जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

इनमें से एक, 17 साल के आदित्य सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘अब हम और भी डरे हुए हैं.’

मंगलवार को खारकीव में और मौतों की अपुष्ट खबरें भी आईं हैं, लेकिन इनकी अभी पुष्टि नहीं हुई है.

19 -वर्षीय ख्वाश थापा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हर कोई घबरा रहा है. हम सिर्फ मीडिया को इंटरव्यू दे रहे हैं और इसमें क्या मजा है. एक छात्र की पहले ही मौत हो चुकी है और अब अन्य लोग अपने जोखिम पर यहां से जा रहे हैं.’

सीएम बोम्मई ने नवीन की मौत पर शोक व्यक्त किया, अंतिम अवशेष वापस लाने के लिए काम कर रही सरकार

भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इस युवा छात्र की मौत की पुष्टि की जिसके बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के कार्यालय ने उसकी पहचान की पुष्टि की.

बोम्मई ने कहा, ‘यूक्रेन में गोलाबारी से कर्नाटक के छात्र नवीन ज्ञानगौदर की मौत पर स्तब्ध हूं. परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है. उनकी आत्मा को शांति मिले.’

दिप्रिंट ने मृतक के पिता से भी संपर्क किया लेकिन उसका परिवार इस मुश्किल की घड़ी में कोई प्रतिकिया नहीं दे सका.

बोम्मई ने यह भी कहा कि कर्नाटक सरकार इस छात्र के अंतिम अवशेषों को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रही है. हालांकि, महापात्र ने दिप्रिंट को बताया कि उसके शव को वापस लाना मुश्किल होगा, खास कर ऐसे समय में जब किसी भी वक्त हवाई हमले के खतरे और सार्वजनिक परिवहन के पूरी तरह से धवस्त हो जाने के कारण छात्रों को बाहर निकालने के प्रयासों को भी कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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