अलीगढ़: एक एसिड अटैक सर्वाइवर को शुक्रवार को कुछ हद तक न्याय मिला, जब उसपर एसिड से हमला करनेवाले हमलावर को घटना के 21 साल बाद अलीगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
रुकैया, जो अब 35 साल की है, उस समय सिर्फ 14 साल की किशोरी थी, जब आरोपी आरिफ ने उसके ऊपर एसिड फेंका था. आरिफ उसकी बहन का देवर है और अब लगभग 40 साल का है. आरिफ ने कथित तौर पर 7 सितंबर 2002 की रात को उस पर एसिड फेंक दिया था.
दिप्रिंट से बात करते हुए, रुकैया ने कहा कि वह अपनी बहन से मिलने के लिए अलीगढ़ के दिल्ली गेट स्थित उसके ससुराल गई थी, तभी यह घटना घटी.
उन्होंने कहा कि आरिफ ने उसके साथ दुर्व्यवहार करने की कोशिश की और जब उसने इसका विरोध किया, तो उस रात उस पर उसने एसिड फेंक दिया.
रुकैया ने दिप्रिंट को बताया कि हमले के बाद उनका चेहरा और शरीर बुरी तरह जल गया था, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, उनके परिवार ने उन्हें चुप रहने की सलाह दी थी.
उनका इलाज वर्षों तक चलता रहा लेकिन हर दिन दर्द और आघात का सामना करने के बावजूद, आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि वह एफआईआर दर्ज कराने का साहस नहीं जुटा सकीं.
आरिफ को इस साल जनवरी में आगरा के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG) राजीव कृष्ण द्वारा दिए गए आदेश पर गिरफ्तार किया गया था, जब वह ऐसी पीड़िताओं द्वारा संचालित एक कैफे, शीरोज़ हैंगआउट में अन्य एसिड अटैक सर्वाइवर्स के अलावा रुकैया से भी मिले थे.
रुकैया ने कहा कि उसने अधिकारी को अपनी आपबीती सुनाई थी और आरिफ के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था.
ADGP के आदेश के बाद मामले में पहली बार आगरा के एत्मादुद्दौला थाने में एफआईआर दर्ज की गई, जिसे बाद में अलीगढ़ पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया.
रुकैया के मुताबिक, 2014 में उन्हें शीरोज़ हैंगआउट में काम करने का मौका मिला, जिससे ‘उनकी जिंदगी में थोड़ा सुधार हुआ’, लेकिन वह अभी भी आरिफ के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर सकीं, क्योंकि अब तक यह घटना ‘बहुत पुरानी’ हो चुकी थी.
हालांकि, ADGP के आदेश और एफआईआर के बाद, अलीगढ़ में रोरावर क्षेत्र की पुलिस ने दो दशक पुरानी घटना में साक्ष्य जुटाए और आखिरकार आरिफ को गिरफ्तार कर लिया. उसे शनिवार को जेल भेज दिया गया.
रुकैया ने दिप्रिंट को बताया कि वह गिरफ्तारी के बाद संतुष्ट महसूस कर रही है, लेकिन उसने कहा कि न्याय के लिए उसके संघर्ष में यह सिर्फ एक मील का पत्थर था और असली जीत तब होगी जब आरिफ को “उसकी जिंदगी बर्बाद करने” की वह सजा मिलेगी जिसका वह हकदार है.
(संपादन: ऋषभ राज)
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