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Thursday, 21 November, 2024
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2019 में शुरू हो जाएगा अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन का निर्माण – परियोजना प्रमुख

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बुलेट ट्रेन के निर्माण और संचालन के लिए स्थापित की गयी कंपनी के प्रबंध निदेशक अचल खरे कहते हैं कि इस साल भूमि अधिग्रहण और अनुबंध आवंटन का काम होगा.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन’ पर निर्माण कार्य 2019 में शुरू हो जाएगा. नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के प्रबंध निदेशक अचल खरे ने कहा, कि अनुबंध एवं भूमि अधिग्रहण का कार्य इस साल के अंत तक पूरा करने की योजना है.

परियोजना की आधारशिला 14 सितंबर 2017 को रखी गई थी.

दिप्रिंट के साथ एक विशेष साक्षात्कार में खरे ने कहा, “यह एक नई तकनीक है और बहुत सारे कागजी कार्य, डिजाइन कार्य और अन्य कार्यों को अंतिम रूप दिया जाना है”.

“वर्तमान समय में हमारे पास 55 से 60 नियमित कर्मचारी हैं, जो इस वर्ष के अंत तक 200 से 225 तक हो सकते हैं.”

एनएचएसआरसीएल ने 1.08 लाख करोड़ रुपये की परियोजना को 15 अगस्त 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. जापानी सरकार 0.1 प्रतिशत की ब्याज दर पर 50 वर्षों के लिए 88,000 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान कर रही है.

हाई स्पीड रेल गाड़ियां जापान की शिंकानसेन या बुलेट ट्रेन की तकनीक पर आधारित होंगी.

परियोजना के लिए आवश्यकताएं

एनएचएसआरसीएल, रेलवे मंत्रालय और महाराष्ट्र एवं गुजरात की राज्य सरकारों के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जिसमें 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रेलवे मंत्रालय की है एवं 25-25 प्रतिशत हिस्सेदारी इनमें से प्रत्येक राज्य सरकार की है. बुलेट ट्रेन परियोजना के कार्यान्वयन और संचालन की जिम्मेदारी कंपनी की है.

इस परियोजना में गुजरात और महाराष्ट्र के 12 जिलों के 303 गांवों को शामिल किया जाना है.

खरे ने कहा- “हमने पहले ही दोनों राज्य सरकारों को भूमि अधिग्रहण अनुरोध-पत्र सौंप दिए हैं. हम इस वर्ष कार्य अनुबंध आवंटन की योजना बना रहे हैं. कुछ कार्य इस वर्ष भी शुरू हो सकता है”.

वर्तमान भूमि अधिग्रहण योजना में केवल रेल कॉरिडोर के लिए ही जमीन की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, “अगले चरण में हम देखेंगे कि क्या कॉरिडोर के साथ कोई उद्योग या बाजार विकसित किया जा सकता है”.

इसके अलावा, वडोदरा में एक उच्च गति रेल प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जाना है, जिसके लिए पिछले साल नवंबर में टेंडर शुरू की गई थीं. यह संस्थान दिसंबर 2020 तक तैयार हो जाएगा.

निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद, रेल सेवा संचालित करने के लिए करीब 4,000 नए कर्मचारियों की आवश्यकता होगी.

उन्होंने कहा, “हम तीन महीने से लेकर एक वर्ष तक की अवधि के लिए 300 से 350 लोगों को प्रशिक्षण के लिए जापान भेजने की योजना बना रहे हैं. दिसंबर 2020 तक हमारी संस्था सभी उपकरणों और सुविधाओं के साथ तैयार हो जाएगी और शेष कर्मचारियों को यहाँ प्रशिक्षित कर लिया जाएगा”.

शिंकानसेन क्यों?

यह पूछने पर कि शिंकानसेन प्रौद्योगिकी का चयन क्यों किया गया, खरे ने जवाब दिया, “शिंकानसेन सबसे पुरानी (हाई स्पीड ट्रेन) तकनीक है. 52 वर्षों में उनके पास कोई भी दुर्घटना न होने का ट्रैक रिकॉर्ड है, जबकि चीनी तकनीक सहित अन्य सभी उपलब्ध प्रौद्योगिकियों में गंभीर दुर्घटनाएं हुई हैं”.

उन्होंने कहा, “यह एक ऐसी व्यवस्था है जो एक वर्ष की अवधि में एक मिनट से भी कम समय के विलम्ब के साथ, समय-पालन का सबसे अच्छा रिकॉर्ड रखती है”.

इसके अलावा अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन भूकंप की चेतावनी प्रणाली से लैस होगी, जो भूकंप आने से पहले ही, मिनटों में ट्रेन को बन्द कर देगी.

उच्च लागत परियोजना के बारे में

अब तक, एनएचएसआरसीएल ने केंद्रीय और राज्य सरकारों से इक्विटी निवेश के रूप में 650 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं, जिनमें से लगभग 80 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.

परियोजना की उच्च लागत के बारे में पूछे जाने पर, खरे ने बताया, “जब चीन ने 2008 में अपनी पहली हाई स्पीड ट्रेन के कॉरिडोर का निर्माण किया, तब लागत प्रति किलोमीटर 31 मिलियन डॉलर थी. अमेरिका में, यह प्रति किलोमीटर 54 मिलियन डॉलर थी। वर्तमान में हम इसे प्रति किलोमीटर 33 मिलियन डॉलर में कर रहे हैं. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि हर कोई परियोजना को महंगा क्यों कह रहा है”.

“बेशक, चीन बड़े निर्माण कार्यों में लागत को नीचे लाने में सक्षम रहा है. यदि आप 500 किमी से 10,000 किमी तक विस्तार करते हैं, तभी ‘इकॉनमी ऑफ़ स्केल’ (बड़े निर्माण कार्यों में लागत में बचत) काम करेगी”.

उन्होंने कहा, “जापानी सरकार द्वारा प्रदान किया गया आसान ऋण अतिरिक्त लाभ की तरह था. वे आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) के तहत जो ऋण प्रदान करते हैं, उनकी ब्याज दरें परियोजना के लिए दिए गये ऋण की तुलना में बहुत अधिक होती हैं”.

नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) के प्रबंध निदेशक अचल खरे फोटो: कुमार अंशुमन

व्यवहार्यता के बारे में

“हमें बहुत स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि पारंपरिक रेलवे को उच्च गति वाली रेल गाड़ियों से बदला नहीं जायेगा. हालांकि, अनुभव बताता है कि 1,000 किलोमीटर की लंबी यात्रा के लिए लोगों को हाई स्पीड ट्रेन पसंद है, क्योंकि यात्रा में लगभग साढ़े तीन घंटे ही लगते हैं. यदि यात्रा का समय कम हो जाता है तो वरीयता बढ़ जाती है”.

यूरोप, चीन और अन्य देशों में हाई स्पीड यात्रीभार के आधार पर खरे ने बताया कि तीन घंटे की यात्रा दूरी के लिए दो स्थानों के बीच यात्रा करने वाले 70 प्रतिशत लोग हाई-स्पीड ट्रेन का विकल्प चुनना पसंद करेंगे. दो घंटे की अवधि की यात्रा के लिए यह प्रतिशत 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.

उन्होंने आगे कहा, “अहमदाबाद से मुंबई की करीब 500 किलोमीटर की यात्रा दो घंटे और सात मिनट में पूरी हो जाएगी, जो दोनों शहरों के बीच यात्रियों के लिए इसे पूरी तरह से सार्थक बना देगा”.

अपेक्षित उच्च किराये के बारे में

खरे ने बताया, “हमारे शुरुआती अनुमान के आधार पर, हमने 3,000 रुपये किराया तय किया है जो वर्तमान अहमदाबाद-मुंबई एसी ट्रेन के किराये से 1.5 गुना ज्यादा है”.

“यदि प्रचार हेतु किराये में छूट को छोड़ दें तो दो शहरों के बीच विमान का किराया औसतन लगभग 4,000 रुपये होता है. मैं वास्तव में नहीं जानता कि लोग किस आधर पर कह रहे हैं कि ये महंगा होगा.”

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