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Monday, 20 May, 2024
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निर्भया केस में दोषियों की फांसी फिर टली, मां बोली- लड़ाई जारी रहेगी, सरकार को इंसाफ करना पड़ेगा

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में पटियाला हाउस अदालत ने कहा कि चारों दोषियों को अगले आदेश तक फांसी नहीं दी जाएगी.

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नई दिल्ली: निर्भया सामूहिक दुष्कर्म बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में दिल्ली की अदालत ने डेथ वारंट के अगले आदेश तक टाल दिया है. निर्भया मामलें में चारों दोषियों को एक फरवरी को होने वाली फांसी नहीं दी जाएगी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धमेंद्र राणा ने चारों दोषियों की अर्जी पर यह आदेश जारी किया. ये चारों एक फरवरी को फांसी पर अमल पर स्थगन की मांग कर रहे थे.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘इस देश की अदालत किसी भी दोषी को मृत्युदंड की सजा दिए जाने के बाद भी भेदभाव नहीं कर सकती है.

वहीं, दूसरी तरफ फांसी की सजा टाले जाने के बाद मीडिया से बातचीत में निर्भया की मां आशा देवी भावुक हो गईं और उन्होंने कहा, दोषियों के वकील एपी सिंह ने मुझे चुनौती देते हुए कहा कि दोषियों को कभी भी फांसी नहीं दी जाएगी. लेकिन मैं अपनी लड़ाई जारी रखूंगी. सरकार को और अदालत को इन दोषियों को फांसी देनी ही होगी.

निर्भया की मां ने दिल्ली की एक अदालत द्वारा दोषियों की फांसी के मृत्यु वारंट पर अमल को टाले जाने के बाद कहा, हमारी उम्मीदें टूट चुकी हैं, लेकिन मैं दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने तक लड़ाई जारी रखूंगी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, इस बात से मुझे दुख पहुंचा है कि निर्भया मामले के दोषी कानून की कमियों का फायदा उठा कर फांसी से बच रहे हैं.

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शुक्रवार सुबह उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को निर्भया मामले के चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उसने खुद के नाबालिग होने के दावे को खारिज करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था.

पवन गुप्ता की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने चेंबर में की.

उच्चतम न्यायालय ने 20 जनवरी को पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने नाबालिग होने के अपने दावे को खारिज करने के, दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी.

फैसला आने से पहले मामले में पवन की ओर से पेश वकील एपी सिंह ने कहा कि उन्होंने शीर्ष न्यायालय के 20 जनवरी के आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को अपने मुवक्किल की ओर से एक याचिका दायर की.

याचिका खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि पवन की याचिका को खारिज करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है और उच्च न्यायालय के साथ-साथ निचली अदालत ने उसके दावे को सही तरीके से खारिज किया.

न्यायालय ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष पुनर्विचार याचिका में पहले इस मामले को उठाया गया और शीर्ष न्यायालय ने पवन तथा अन्य सह-आरोपी विनय कुमार शर्मा के नाबालिग होने के दावे वाली याचिका को खारिज कर दिया.

सिंह ने दलील दी थी कि पवन के स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के अनुसार अपराध के समय वह नाबालिग था और निचली अदालत तथा उच्च न्यायालय समेत किसी भी अदालत ने उसके दस्तावेजों पर कभी विचार नहीं किया.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पवन के नाबालिग होने के दावे का हर न्यायिक मंच पर विचार किया गया और अगर दोषी को बार-बार तथा इस समय अपने दावे को उठाने दिया जाता है तो यह न्याय का मखौल उड़ाना होगा.

निचली अदालत ने मामले में सभी चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन (25), विनय (26) तथा अक्षय (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए दूसरी बार 17 जनवरी को ब्लैक वारंट जारी किया था. इससे पहले अदालत ने सात जनवरी को दिए एक आदेश में 22 जनवरी को फांसी दिए जाने का वारंट जारी किया था.

अभी केवल मुकेश ने दया याचिका समेत सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी और इसके खिलाफ अपील को उच्चतम न्यायालय ने 29 जनवरी को खारिज कर दिया था.

शीर्ष न्यायालय ने 30 जनवरी को दोषी अक्षय की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी. अन्य दोषी विनय ने 29 जनवरी को राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की जो अभी लंबित है.

सिंह ने एक फरवरी को फांसी दिए जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए निचली अदालत का भी रुख किया..उन्होंने कहा कि कुछ दोषियों ने अभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल नहीं किया है.

गौरतलब है कि 23 वर्षीय परा चिकित्सा की छात्रा से 16 दिसम्बर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था. करीब 15 दिन बाद उसने सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.

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