scorecardresearch
Tuesday, 19 November, 2024
होमदेश2 वीडियो, 2 FIR- मुस्लिम होने के कारण पीटा गया चूड़ी विक्रेता कैसे अगले ही दिन POCSO का आरोपी बन गया

2 वीडियो, 2 FIR- मुस्लिम होने के कारण पीटा गया चूड़ी विक्रेता कैसे अगले ही दिन POCSO का आरोपी बन गया

इंदौर में कथित तौर पर फर्जी हिंदू नाम का इस्तेमाल करने के लिए पीटा गया चूड़ी बेचने वाला अब पोक्सो मामले में न्यायिक हिरासत में है. गिरफ्तारी से एक दिन पहले पुलिस ने उस पर हमला करने वालों के साथ कथित तौर पर ‘समझौता’ करा दिया था.

Text Size:

इंदौर: चूड़ी विक्रेता तसलीम अली 22 अगस्त को उस समय सुर्खियों में आ गया, जब इंदौर के बाणगंगा इलाके में भीड़ द्वारा उसकी-कथित तौर पर उसके धर्म के कारण- पिटाई करने का एक वीडियो वायरल हो गया. हालांकि, 24 घंटे के भीतर ही वह खुद एक एफआईआर का हिस्सा बन गया, जो उसके खिलाफ कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज रखने और एक नाबालिग से छेड़छाड़ करने को लेकर दर्ज की गई है.

पिटाई की घटना के बाद से पूरा मामला आरोपों-प्रत्यारोपों में घिरा हुआ है.

दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किए गए एक वीडियो के सामने आने से मामला संदिग्ध हो गया है, जिसमें अली कथित तौर पर कह रहा है कि वह उन लोगों के साथ समझौते के लिए तैयार है, जिन्होंने उस पर हमला किया था और वह कोई मामला दर्ज नहीं कराना चाहता. वह आगे कहता है कि हमले के दौरान उनके पास से कथित तौर पर चुराए गए 6,000 रुपये उसे वापस कर दिए गए हैं.
ये समझौता कथित तौर पर हमले के तुरंत बाद हुआ था. जहां पुलिस का दावा है कि यह समझौता आपसी सहमति से हुआ था, वहीं अली के परिवार का दावा कुछ और ही है. उनके मुताबिक, अली पर एक समझौता करने के लिए दबाव डाला गया, पुलिस ने कथित तौर पर उसे धमकाया था कि अगर वह अपनी शिकायत को आगे बढ़ाता है तो ‘बजरंग दल के लोग उसे मार देंगे.’

हालांकि, बाद में उस रविवार की रात कथित हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई क्योंकि इस हमले का एक वीडियो सामने आने के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया था और रिश्तेदारों ने अली के समर्थन में बाणगंगा पुलिस स्टेशन का घेराव किया था. जिस एफआईआर के आधार पर चार लोगों को गिरफ्तार किया गया, उसमें अली ने आरोप लगाया था कि 5-6 लोगों के एक समूह ने उसका नाम पूछकर उसकी पिटाई की और सांप्रदायिक गालियां दीं. यही नहीं उससे 10,000 रुपये, उसका फोन और आधार कार्ड समेत कुछ दस्तावेज लूट लिए.

दो आरोपियों राकेश पवार और विकास मालवीय को प्राथमिकी दर्ज होने के कुछ घंटे बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि विवेक व्यास को अगले दिन सुबह ग्वालियर से गिरफ्तार किया गया. चौथे आरोपी राजकुमार भटनागर का नाम सोमवार शाम को प्राथमिकी में जोड़ा गया, जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी हुई.

हालांकि, दो आधार कार्ड पाए जाने के बाद अली के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था. पूरी तरह से अलग एक और मामला भी सामने आया है जिसमें एक लड़की ने अली पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. उसके मुताबिक, वह रक्षा बंधन पर उससे तब मिली जब वह उसके इलाके में चूड़ियां बेच रहा था. उसकी शिकायत के आधार पर दूसरी प्राथमिकी सोमवार शाम दर्ज की गई, जिसके बाद अली को गिरफ्तार कर लिया गया.

अली पर हमले के वीडियो में पता चल रहा है कि उसे सांप्रदायिक गालियां दी जा रही हैं, लेकिन लड़की का कहना है कि उसने पहले उसके साथ छेड़छाड़ की, फिर उसे और उसकी मां को चाकू दिखाकर धमकाया। हालांकि, उसने पुलिस में जो शिकायत दर्ज कराई है-जो कि दिप्रिंट ने एक्सेस की है- उसमें ऐसी कोई बात नहीं कही गई है. अन्य आरोपों के अलावा, उसने कहा है कि अली ने हिंदू होने के बारे में झूठ बोला था.

इंदौर शहर के पुलिस अधीक्षक आशुतोष बागड़ी ने दिप्रिंट को बताया, ‘तसलीम (अली) हिस्ट्रीशीटर नहीं है. उसके खिलाफ पूर्व में कोई आपराधिक मामला नहीं है. उसके पास कोई हथियार नहीं मिला था और न ही लड़की ने हमसे की गई शिकायत में ऐसा कोई दावा किया है कि उसे चाकू से धमकाया गया था.’

परिवार ने कथित छेड़छाड़ की घटना पर पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराने में एक दिन का समय लिया, और अब इस देरी की वजह बदनामी का डर बता रहे हैं. अली के परिवार ने आरोपों को एकदम निराधार बताया है, लेकिन पुलिस का कहना है कि उन्होंने उस पर पोक्सो अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया है और आरोपों की जांच की जा रही है.

इस बीच, क्षेत्र के कुछ लोगों ने मामला छेड़छाड़ से जुड़ा होने पर सवाल उठाए हैं, जबकि कई अन्य ने चुप्पी साध रखी है.
अली को गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विशेष पोक्सो जज सुमन श्रीवास्तव की कोर्ट में पेश किया गया और जहां से उसे तीन सितंबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

6,000 रुपये में ‘समझौते’ पर अली परिवार का दावा जबरन कराया गया

तसलीम अली उत्तर प्रदेश के हरदोई का रहने वाला चूड़ी-विक्रेता है. बताया जाता है कि एक प्रवासी श्रमिक के तौर पर वह पिछले सात-आठ वर्षों से चूड़ियां बेचने के लिए अपने गृहनगर से लगभग 800 किलोमीटर दूर इंदौर आता है.

वायरल वीडियो में नजर आ रहा हमला तब हुआ जब अली कथित तौर पर इंदौर के बांबे बाजार में फेरी लगा रहा था.
अली के भाई जमाल और मामा मोहर सिंह के मुताबिक, बाणगंगा पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मी अली को उस जगह पर लेकर गए थे, जहां उस पर कथित तौर पर हमला किया गया था, और हमलावरों में से एक ने समझौते के तौर पर चूड़ी-विक्रेता को 6,000 रुपये लौटा दिए थे.

इंदौर की वह गली जहां तस्लीम अली पर नाबालिग को चूड़ियां बेचते समय उसके साथ बदसलूकी करने का आरोप है | मनीषा मंडल/ दिप्रिंट

परिजनों का यह भी दावा है अली पर पुलिस की तरफ से यह समझौता करने और मामला दर्ज नहीं कराने के लिए दबाव डाला गया था.

मोहर सिंह ने कहा, ‘हम गरीब लोग हैं और हमारा एकमात्र अपराध यह है कि हमारे बेटे अली के पास दो आधार कार्ड थे. यह अवैध है और इसके लिए पुलिस उसे सजा दे सकती है, लेकिन उसने किसी महिला से छेड़छाड़ नहीं की है. उसकी पत्नी और पांच बच्चे हैं. उसकी बड़ी बेटी की उम्र उस लड़की की जितनी ही है, जिसने उस पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है.’

आधार कार्ड के मामले लेकर अली पर अपराध प्रक्रिया संहिता (आईपीसी) की धारा 467 (जालसाजी), 467 A (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (दस्तावेजों/इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक बताकर धोखाधड़ी करना) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. इस बारे में मोहर सिंह का कहना है, ‘उसके पास दो आधार कार्ड इसलिए हैं क्योंकि जब उसने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया था तो पैसा असलीम के नाम से आया. अधिकारियों से हमसे नाम में हुई त्रुटि को सुधारने के लिए कहा. लेकिन किसी ने अली को सुझाया कि वह असलीम के नाम से एक फर्जी आधार बनवा ले नहीं तो पैसे हाथ से निकल जाएंगे. हम लालच में आकर इसके लिए तैयार हो गए. बस यही हमारी गलती है.’

अली के पास दो आधार कार्ड होने की बात तब पता चली जब पुलिस ने उस पर हमले वाली जगह से दोनों कार्ड बरामद किए.
एसपी बागड़ी के मुताबिक, बाणगंगा पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मी घटना के तुरंत बाद अली को घटनास्थल पर ले गए थे और वहां उस पर हमला करने वाले लोगों में से एक व्यक्ति मिला. बागड़ी ने कहा कि उस व्यक्ति ने अली को 6,000 रुपये लौटा दिए, जो हमले के दौरान उससे ले लिए गए थे. इसके बाद अली ने कहा कि वह कोई मामला दर्ज नहीं कराना चाहता.

बागड़ी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारा मानना है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कथित तौर पर हमला करने वाले व्यक्ति को भी पता था कि उसे तसलीम को पीटने के मामले में दंडित किया जा सकता है, इसलिए दोनों पक्ष पुलिस की मौजूदगी में समझौते के लिए तैयार हो गए.’


यह भी पढ़ें : ‘व्यर्थ में जानें गईं’- काबुल धमाके पर सैन्य नेतृत्व की आलोचना करने वाले अमेरिकी नौसैनिक को हटाया गया


उन्होंने आगे कहा कि अली को नकली दस्तावेजों के आधार पर गिरफ्तार किया गया था न कि छेड़छाड़ के आरोप में.
उन्होंने बताया, ‘हमारे पास उसके खिलाफ (फर्जी दस्तावेज रखने) के ठोस सबूत थे और इसमें 10 साल तक सजा का प्रावधान है. उसे (अली को) छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामले में गिरफ्तार नहीं किया गया था. लेकिन बाद में लड़की की शिकायत के आधार पर छेड़छाड़ की धाराएं जोड़ी गई हैं. और उसके खिलाफ छेड़छाड़ के आरोपों की जांच की जा रही है, लेकिन हम यह सुनिश्चित करेंगे कि निर्दोष को न्याय मिले और अपराधियों पर कार्रवाई हो.’

अली के खिलाफ मामले में आईपीसी की धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक ढंग से बल प्रयोग); 354 A (शारीरिक स्पर्श और अवांछित और स्पष्ट यौन प्रस्ताव), और 506 (आपराधिक रूप से धमकी देना) को भी जोड़ा गया है.

इस बीच, अली पर हमला करने के वाले चार आरोपियों के खिलाफ भी आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया जिसमें धारा 141 (आपराधिक बल प्रयोग); 142 और 143 (गैरकानूनी ढंग से एकत्र होना); 147, 148 और 149 (दंगा-फसाद करना); 153 A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता फैलाना और सद्भाव बनाए रखने के लिए खिलाफ गतिविधियों में शामिल होना); 298 और 323 (किसी को चोट पहुंचाने के इरादे से हमला) 294 और 506 (आपराधिक ढंग से धमकी देना); 395 (डकैती); 120 B (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य तौर पर भावनाएं भड़काना) आदि शामिल हैं.

‘चाकू दिखाकर धमकाया’

जिस लड़की ने अली पर उसके साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया है उसके पिता हमले के लिए गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक हैं. लड़की का कहना है कि अली ने खरीदारी करते समय उसे और उसकी मां को चाकू दिखाकर धमकाया था.

इस 13 वर्षीय लड़की ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘जब मेरी मां पैसे लेने के लिए अंदर गई, तो चूड़ी बेचने वाले ने मेरे हाथों और गालों को अनुचित तरीके से छूना शुरू कर दिया. उसने मुझसे यह भी कहा कि मैं सुंदर हूं. मैं चिल्लाई, और जब मेरी मां बाहर आई तो उसने मेरे गले पर चाकू रख दिया और मुझे जान से मार डालने की धमकी देने लगा. तब तक कुछ पड़ोसी वहां आ गए और वह भागने लगा.’

हालांकि, एसपी बागड़ी ने कहा कि लड़की ने हथियार से धमकाए जाने के बारे में कोई आधिकारिक शिकायत नहीं दर्ज कराई है.
परिवार की तरफ से एक दिन बाद प्राथमिकी दर्ज कराई गई और उनका तर्क है कि ‘लोक लाज’ के कारण पहले ऐसा नहीं किया था.

इंदौर बाजार में जहां तस्लीम अली के साथ मारपीट की गई थी, वहां के निवासियों का कहना है कि उन्होंने नहीं देखा कि हंगामे से पहले क्या हुआ था। उस दिन रक्षा बंधन था। मनीषा मंडल/ दिप्रिंट

कथित समझौते के बारे में पूछे जाने पर लड़की के एक चाचा ने दावा किया कि दरअसल एक स्थानीय पुलिसकर्मी था जिसने ‘मामला शांत करने के लिए’ अली को अपनी जेब से 6,000 रुपये दिए थे. उसी इलाके में रहने वाले उसके चाचा ने यह दावा भी किया कि पुलिसकर्मी ने आरोपियों को आश्वासन दिया था कि उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा क्योंकि उसने अली को समझौते के लिए मना लिया है.

हालांकि, अली के भाई जमाल ने इस मामले पर सवाल उठाए. उसने कहा, ‘अगर मेरे भाई ने वास्तव में किसी से छेड़छाड़ की थी तो उसे समझौते के लिए क्यों कहा गया और पुलिस के पास क्यों नहीं ले जाया गया? दरअसल मेरा भाई ही पहले पुलिस के पास गया था.’

‘उसे मारो क्योंकि वह मुसलिम है’- एक चश्मदीद ने बताया क्या हुआ था

अली को जिस गली में पीटा गया था और जहां कथित तौर पर उसने किसी लड़की के साथ दुर्व्यवहार किया था, वहां के निवासी दिप्रिंट को यह नहीं बता पाए कि आखिर उस दिन क्या हुआ था, क्योंकि वे राखी के कारण अपने घरों में ही थे.
हालांकि, वहां के एक स्थानीय निवासी, जिसने अली पर हमला होते देखा था, ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि ऐसा नहीं लगता कि उसे कथित तौर पर किसी से छेड़छाड़ के लिए पीटा गया था.

वायरल वीडियो में दिख रहे लोगों में 21 वर्षीय भावेश भी शामिल है.

उसने दिप्रिंट को बताया, ‘…जब मैंने लोगों से पूछा कि वे उसे (अली) क्यों मार रहे हैं, तो उन्होंने छेड़छाड़ के बारे में कुछ भी नहीं बताया. उन्होंने अस्पष्ट तौर पर कुछ इस तरह की बातें कहीं कि अली ने अपनी मुस्लिम पहचान छिपाई और हिंदू महिलाओं को चूड़ियां बेच रहा था और अपने व्यापार के बहाने छेड़खानी कर रहा था. उन लोगों ने मुझे और मेरे पिता को सिर्फ इसलिए उसे पीटने को कहा कि वह मुसलमान है.’

उसने यह दावा भी किया कि भीड़ ने सांप्रदायिक गालियां दी थीं और अली को पीटने के लिए दूसरों को उकसाने का प्रयास किया. उसने कहा, ‘उनकी तरफ से इस्तेमाल अपशब्दों को सुनकर कुछ राहगीरों ने भी अली की मुस्लिम पहचान जानकर उसकी पिटाई शुरू कर दी.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments