गुरुग्राम: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 2023 हांगझू में हुई एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वालीं भारतीय महिला कबड्डी टीम की एक सदस्य के बचाव में फैसला सुनाते हुए कहा कि — वे हरियाणा सरकार में ग्रुप-ए की नौकरी के लिए पात्र हैं.
खिलाड़ी और उनकी टीम को दक्षिण कोरिया के इंचियोन में 2014 एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीते हुए नौ साल बीत चुके हैं, जिसने उन्हें 5 सितंबर, 2018 को हरियाणा सरकार द्वारा अधिसूचित नीति के तहत ग्रुप-ए की नौकरी के लिए पात्र बना दिया था, लेकिन हरियाणा के चरखी दादरी जिले के आदमपुर दाधी गांव की 28-वर्षीय निवासी को अभी भी अपने नियुक्ति पत्र का इंतज़ार है.
इस मामले में देरी का कारण, भारत में कबड्डी को नियंत्रित करने वाली संस्था, एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) द्वारा सरकारी नौकरी के लिए उसके आवेदन का लंबित सत्यापन है.
खिलाड़ी ने शुक्रवार को दिप्रिंट को बताया, “मैं 2012 में विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थी. इससे पहले, हरियाणा सरकार ने टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे जोगिंदर शर्मा को हरियाणा पुलिस में डीएसपी नियुक्त किया था, लेकिन मुझे नौकरी नहीं मिली. 2014 एशियाई खेलों के गोल्ड मेडल के बाद भी, मेरे दो साथियों को ग्रुप-ए की नौकरी मिल गई, लेकिन मेरे मामले में मुझे बताया गया कि मुझे ग्रुप-बी का पद मिलेगा.”
2014 और 2023 एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाली महिला कबड्डी टीम का हिस्सा होने के अलावा वे 2012 में पटना में आयोजित महिला विश्व कप और उसी वर्ष हैयांग में आयोजित एशियाई बीच खेलों में गोल्ड जीतने वाली टीमों का भी हिस्सा थीं. 2013 एशियाई इंडोर और मार्शल आर्ट गेम्स इंचियोन में आयोजित हुए, 2016 दक्षिण एशियाई खेल गुवाहाटी और शिलांग में आयोजित हुए और 2017 एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप ईरान में आयोजित हुई.
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‘आवेदन दाखिल करते समय लागू होने वाले नियम लागू’: HC
13 अगस्त, 2020 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष दायर एक परमादेश रिट में खिलाड़ी के वकील, आफताब सिंह खारा ने तर्क दिया कि उनके आवेदन को सत्यापित करने में एकेएफआई की ओर से देरी की वजह से सरकारी नौकरी के उनके अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.
परमादेश रिट एक याचिका है जिसमें अदालत से सरकारी अधिकारियों को अपने दायित्वों को पूरा करने या विवेक के दुरुपयोग को सुधारने का निर्देश देने की मांग की जाती है.
याचिका में कहा गया है कि यह देरी महासंघ के शीर्ष पद के लिए चुनाव को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित चुनौती के कारण हुई है.
उनके वकील ने कविता देवी बनाम हरियाणा राज्य (2013) के मामले का हवाला देते हुए तर्क दिया कि हाई कोर्ट फेडरेशन को आवेदन को सत्यापित करने का निर्देश दे सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य ने 2014 में उनकी साख का सत्यापन किया था, जिसके आधार पर उन्हें नकद पुरस्कार और भीम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो हरियाणा सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च खेल सम्मान है.
17 जुलाई, 2021 को उन्होंने हाई कोर्ट के समक्ष एक और आवेदन दायर किया, जिसमें कहा गया कि हरियाणा सरकार ने नौकरी के लिए उनका आवेदन स्वीकार कर लिया है और इसे 18 सितंबर, 2020 को मुख्य सचिव को भेज दिया गया है. राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में 18 फरवरी, 2021 को एक जवाब में इसकी पुष्टि की.
हालांकि, ग्रुप-ए की नौकरी के लिए उनकी उम्मीदें तब धराशायी हो गईं जब राज्य सरकार ने 26 फरवरी, 2021 को टीम स्पर्धाओं में गोल्ड या सिल्वर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए नौकरियों के लिए अपनी नीति में संशोधन किया. नई नीति के तहत, वह अब ग्रुप-बी की नौकरी के लिए पात्र थीं.
लेकिन उनके वकील ने तर्क दिया कि चूंकि उन्हें पिछली नीति के अनुरूप अन्य लाभ प्राप्त हुए थे, इसलिए वह अभी भी ग्रुप-ए की नौकरी के लिए पात्र थीं और अन्य खिलाड़ियों को 2018 में अधिसूचित नीति के तहत सरकार में नियुक्त किया गया था.
उनके वकील और अन्य पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी ने गुरुवार को एक आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकील ने प्रस्तुत किया था कि “वर्तमान याचिकाओं में उठाया गया एकमात्र कानून का प्रश्न इस प्रकार है. क्या वह नीति जो नियुक्ति के लाभ का दावा करने के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा आवेदन पत्र जमा करने की तिथि पर लागू थी, लागू होगी या बाद में संशोधित नीति लागू होगी.”
हाई कोर्ट ने कहा कि कानून का यह प्रश्न इस अदालत द्वारा पहले ही “CWP-19244-2019 – अरविंद और अन्य बनाम हरियाणा राज्य और अन्य मामले में एक आदेश पारित करके 05.09.2023 को तय किया गया था और कानून का प्रश्न उठाया गया था. वर्तमान याचिकाएं भी वैसी ही हैं”.
उक्त मामले में अपने फैसले में हाई कोर्ट ने माना कि “यह कानून का एक स्थापित सिद्धांत है कि आवेदन दाखिल करने के समय जो भी नियम लागू होते हैं, उन्हें लागू किया जाना चाहिए, न कि नियमों में बाद के संशोधनों को लागू किया जाना चाहिए”.
अदालत ने यह भी कहा था, “याचिकाकर्ता(ओं) के दावे को अंतिम रूप देने में कोई भी देरी याचिकाकर्ता(ओं) पर किसी भी तरह से प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी और नियमों में बाद के संशोधन से याचिकाकर्ता(ओं) का अधिकार नहीं छीना जाएगा. असंशोधित नियमों के तहत विचार किया जाए, खासकर, जब याचिकाकर्ता(ओं) की उपलब्धि के अनुसार लाभ देने के लिए असंशोधित 2018 नियमों के तहत पहले ही अधिकार बनाया जा चुका है.”
खारा ने शुक्रवार को दिप्रिंट को बताया कि वे खुश हैं कि उनकी मुवक्किल को कबड्डी में उसके सराहनीय ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर वही नौकरी मिलेगी जिसकी वे हकदार हैं.
उन्होंने कहा, राज्य को खिलाड़ियों को नौकरियां और अन्य लाभ प्रदान करने के लिए खेल के क्षेत्र से विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करना चाहिए. उन्होंने कहा, “अब, आईएएस अधिकारी फैसले लेते हैं और वे भी अक्सर बदलते रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप नीतियों के निर्माण और उनके कार्यान्वयन में एकरूपता की कमी होती है.”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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