नई दिल्ली: भारत के 1983 विश्व कप के नायक यशपाल शर्मा का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 66 वर्ष के थे.
सुबह की सैर से लौटने के बाद यशपाल को दिल का दौरा पड़ा. उनके परिवार में पत्नी, दो पुत्रियां और एक पुत्र है.
खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने यशपाल शर्मा के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘ 1983 विश्व कप विजेता सदस्य श्री यशपाल शर्मा के निधन से दुखी हूं.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘उनका शानदार क्रिकेट करियर था और 1983 विश्व कप में भारत के दूसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी थे. वह एक अंपायर और राष्ट्रीय चयनकर्ता भी थे. उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा.
वहीं सचिन तेंदुलकर भी यशपाल शर्मा के निधन से दुखी हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘यशपाल शर्मा जी के निधन से स्तब्ध हूं और गहरा दुख हुआ है. 1983 विश्व कप के दौरान उन्हें बल्लेबाजी करते हुए देखने की यादें ताजा हैं. भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा.’
Saddened by the passing away of ace cricketer & 1983 World Cup winning member Sh Yashpal Sharma.
He had an illustrious career & was India's second-highest run getter at the 1983 World Cup. He was also an umpire and national selector. His contribution won’t be forgotten.
ॐ शांति pic.twitter.com/fhra6UcngV
— Anurag Thakur (@ianuragthakur) July 13, 2021
37 टेस्ट मैच और 1606 रन
यशपाल ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 37 टेस्ट मैचों में 1606 रन बनाए जबकि 42 वनडे में उन्होंने 28.48 की औसत से 883 रन बनाए हैं. इस दौरान 4 हाफ सेंचुरी लगाई. इसमें दो सेंचुरी के साथ ही 9 हाफ सेंचुरी बनाई हैं.
उन्हें अपने जुझारूपन के लिये जाना जाता है. विश्व कप 1983 में इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में उनकी अर्धशतकीय पारी क्रिकेट प्रेमियों को हमेशा याद रहेगी.
यशपाल शर्मा विकेटकीपर के साथ मीडियम फास्ट बॉलर भी थे. उन्होंने टेस्ट और वनडे में 1-1 विकेट भी लिया.
वनडे की अपनी 40 पारियों में वह कभी शून्य पर आउट नहीं हुए.
उन्होंने क्रिकेट करियर की शुरुआत 13 अक्टूबर 1978 को वनडे मैच से की थी. यह मैच सियालकोट में पाकिस्तान के खिलाफ खेला गया था. इसके अगले साल उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट में भी डेब्यू किया. यह मैच 2 अगस्त 1979 को लॉर्ड्स में खेला गया था.
वह 2000 के दशक के शुरुआती वर्षों में राष्ट्रीय चयनकर्ता भी रहे थे. यशपाल शर्मा ने क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कुछ दिनों तक अंपायरिंग भी की थी.
पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि वह अपने पूर्व साथी के निधन से सकते में है. दो सप्ताह पहले ही 1983 विश्व कप विजेता टीम एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर यहां इकट्ठा हुई थी.
साथी खिलाड़ियों को विश्वास नहीं हो रहा
वेंगसरकर ने कहा, ‘यह अविश्वसनीय है. वह हम सभी में सबसे अधिक फिट था. हम जब उस दिन मिले थे तो मैंने उससे उसकी दिनचर्या के बारे में पूछा थ. वह शाकाहारी था. रात को खाने में सूप लेता था और सुबह की सैर पर जरूर जाता था. मैं सकते में हूं. ’
उन्होंने कहा, ‘एक खिलाड़ी के रूप में उसके लिये टीम हित सर्वोपरि था और कभी हार नहीं मानता था. मुझे दिल्ली में पाकिस्तान के खिलाफ 1979 का टेस्ट मैच याद है. हम दोनों ने साझेदारी निभायी थी जिससे हम मैच बचाने में सफल रहे थे. मैं उसे विश्वविद्यालय के दिनों से जानता था. मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है.’
यशपाल शर्मा ने रणजी ट्राफी में तीन टीमों पंजाब, हरियाणा और रेलवे का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 160 प्रथम श्रेणी मैचों में 8,933 रन बनाये जिसमें 21 शतक शामिल हैं. उनका उच्चतम स्कोर नाबाद 201 रन रहा.
वह अंपायर भी थे और दो महिला वनडे मैचों में उन्होंने अंपायरिंग भी की. वह उत्तर प्रदेश रणजी टीम के कोच भी रहे थे.
यशपाल के एक अन्य पूर्व साथी कीर्ति आजाद ने कहा, ‘उस दिन जब हम मिले तो उन्होंने मुझसे कहा कि मेरा वजन कम हो गया. हमारे लिये यादगार दिन था. मुझे विश्व कप 1983 का पहला मैच याद है. हमारा सामना वेस्टइंडीज की मजबूत टीम से था जिसके पास तूफानी गेंदबाजों की फौज थी. यशपाल ने अपनी योजना बनायी और हम मैच जीत गये. ’
आजाद ने कहा, ‘उन्होंने सेमीफाइनल में भी शानदार पारी खेली और बॉब विलिस को छक्का जड़ा था. आजकल लोग कहते हैं कि रविंद्र जडेजा का निशाना सटीक है लेकिन अपने जमाने में यशपाल भी ऐसा करते थे. वह क्षेत्ररक्षण करते समय चुस्त रहते थे और जब भी स्टंप पर थ्रो करते थे तो उनका निशाना सटीक बैठता था. ’
(पीटीआई इनपुट्स के साथ)
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