नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने पिछले दो दिन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 97 लोगों को गिरफ्तार किया है. इस कार्रवाई को ‘मासूम’ नाम दिया गया है. यह एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘बेगुनाह’ और यह ‘मिटिगेशन ऑफ एडोलिसेंट सेक्सुअली ऑफेंसिव ऑनलाइन मटीरियल’ का लघु रूप भी है.
दिप्रिंट को पता चला है कि बुधवार को ऑपरेशन लॉन्च किए जाने के बाद से राष्ट्रीय राजधानी के अलग अलग पुलिस थानों में 160 मुक़दमे दर्ज किए गए हैं.
डीसीपी आईएफएसओ केपीएस मल्होत्रा ने कहा, ‘ये कार्रवाई पूरी दिल्ली में की जा रही है जिसका संचालन इंटेलिजेंस फ्यूज़न एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) कर रही है. ऑपरेशन मासूम का कोर्डिनेशन स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने किया जिसमें सभी ज़िलों ने उसे प्रवर्तन सफलता बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राष्ट्रीय राजधानी के तमाम पुलिस थानों में मुक़दमे दर्ज किए गए हैं’.
पुलिस के अनुसार चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री से जुड़े मामलों में उल्लंघनों का विवरण, आईएफएसओ को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) से प्राप्त होता है.
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US संस्था भेजती है भारत को आंकड़े
एनसीआरबी ने एक अमेरिका स्थित नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉयटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) से क़रार किया हुआ है जो एक निजी और ग़ैर-मुनाफा संस्था है जिसे अमेरिकी कांग्रेस ने 1984 में स्थापित किया था. एनसीएमईसी ने फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ समझौता किया हुआ है जिसके तहत वो उनकी सामग्री को छानती है और जब भी कोई उल्लंघन होता है तो उसे संबंधित अथॉरिटीज़ के संज्ञान में लाती है. एनसीएमईसी ऐसे यूज़र्स का आईपी पता भी खोजती है जो इस तरह की सामग्री अपलोड करते हैं.
एनसीएमईसी भारत में बच्चों के खिलाफ आपत्तिजनक यौन सामग्री के बारे में जानकारी और साइबरटिपलाइन शिकायतें, एनसीआरबी को मुहैया कराती है. साइबर टिपलाइन एक अमेरिकी पहल है जो बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण पर निगाह रखती है.
एनसीएमईसी की ओर से ये शिकायतें ऐसी आपत्तिजनक यौन सामग्री अपलोड करने वाले व्यक्ति के विवरण के साथ एनसीआरबी को भेज दी जाती हैं जो उन्हें फिर राज्य की नोडल एजेंसियों के साथ साझा करती हैं.
चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ शहर की नोडल एजेंसी है.
डीसीपी मल्होत्रा ने कहा, ‘आईएफएसओ यूनिट में एनसीआरबी से मिले विवरण का किसी संगठित रैकेट की पहचान के लिए विश्लेषण किया जाता है. आईएफएसओ यूनिट तमाम इनपुट्स का विश्लेषण करती है और संदिग्धों की पहचान करती है. उसके बाद आगे की क़ानूनी कार्रवाई के लिए उस सारी जानकारी को संबंधित अधिकारियों में फैला दिया जाता है’.
आईएफएसओ ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ अभियान 2019 में शुरू किया था और उस समय भी उसे एनसीएमईसी और एनसीआरबी से जानकारियां हासिल हुई थीं.
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