नई दिल्ली: तहव्वुर हुसैन राणा को वापस लाने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक टीम अमेरिका पहुंच गई है, दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
यह तब हुआ जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा की प्रत्यर्पण रोकने की अर्ज़ी खारिज कर दी. इस अर्ज़ी में कहा गया था कि अगर उसे भारत भेजा गया तो वहां की जेलों में उसे यातना दी जा सकती है, जो संयुक्त राष्ट्र के यातना विरोधी समझौते के खिलाफ होगा.
कनाडाई नागरिक राणा, जो पाकिस्तानी मूल का है, को भारत द्वारा 2008 में मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले में उसकी कथित संलिप्तता के लिए तलाश किया जा रहा है, जिसमें कम से कम 174 लोगों की जान चली गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
दिप्रिंट ने पहले बताया था कि एनआईए ने संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय अधिकारियों के साथ औपचारिकताएं पूरी करने और राणा को एक विशेष विमान के जरिए भारत लाने के लिए एक टीम बनाई है. एनआईए और मुंबई पुलिस द्वारा लगाए गए मामलों में उस पर मुकदमा चलाया जाएगा.
पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुके राणा 1997 में कनाडा चले गए थे और फिर अमेरिका चले गए, जहां उन्होंने एक इमिग्रेशन फर्म बनाई, जिसके बारे में भारतीय एजेंसियों का कहना है कि इसका इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी डेविड हेडली द्वारा मुंबई में घातक आतंकवादी हमले के लिए प्रमुख इमारतों की रेकी करने के लिए किया गया था.
संघीय जांच ब्यूरो ने हेडली को कथित तौर पर भौतिक सहायता प्रदान करने के आरोप में राणा को एक साल से भी कम समय में गिरफ्तार कर लिया था. जबकि हेडली को उसकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया था, राणा को पर्याप्त सबूतों की कमी के कारण 2011 में बरी कर दिया गया था.
हालांकि, दोनों को डेनिश अखबार जाइलैंड्स-पोस्टेन पर एक असफल हमले की योजना के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद जनवरी 2013 में राणा को 14 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी.
उन्हें जून 2020 में जेल से रिहा कर दिया गया था, लेकिन भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर अगले दिन उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. तब से, वह लॉस एंजिल्स की जेल में बंद हैं.
राणा का प्रत्यर्पण अमेरिका में करीब दो साल की न्यायिक कार्यवाही के बाद हुआ है. इसे पहली बार मई 2023 में एक प्रत्यर्पण अदालत ने मंजूरी दी थी, जिसके खिलाफ उसने नवंबर 2024 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचने से पहले विभिन्न स्तरों पर अपील की थी. इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था, उसके बाद सोमवार को उसके आपातकालीन आवेदन को खारिज कर दिया गया, जिससे भारत में उसके प्रत्यर्पण को रोकने के उसके सभी विकल्प समाप्त हो गए.
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