नई दिल्ली: दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यात्रा करने वालों को लंबे ट्रैफिक जाम से निजात पाने के लिए करीब 18 महीने और इंतजार करना होगा क्योंकि 29 किलोमीटर लंबे द्वारका एक्सप्रेस-वे के लिए चल रहा काम अंतत: सितंबर 2020 तक पूरा होने के आसार है. आठ लेन वाला यह हाईवे पिछले 15 सालों से निर्माणाधीन है.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा में आने वाला एक्सप्रेस-वे का एक हिस्सा इस साल अगस्त तक पूरा होने की संभावना है, जबकि दिल्ली वाले हिस्से में काम सितंबर 2022 तक पूरा होने के आसार हैं.
यह प्रोजेक्ट, जिसे नार्दन पेरिफेरल रोड भी कहा जाता है, को सबसे पहली बार 2006 में हरियाणा सरकार की ओर से प्रस्तावित किया गया था. इसे चार हिस्सों में बांटा गया— इसमें से दो चरण दिल्ली में पड़ने वाले हिस्से के लिए थे जबकि बाकी दो चरण हरियाणा के हिस्से में शामिल थे.
29 किलोमीटर लंबा ये हाईवे— जिसका 18.9 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा और 10.1 किलोमीटर हिस्सा दिल्ली में है—महिपालपुर स्थित शिव मूर्ति से शुरू होगा और द्वारका सेक्टर 21 और गुरुग्राम बॉर्डर से गुजरते हुए खेड़की धौला पर जाकर खत्म होगा.
गुरुग्राम और दिल्ली के बीच वैकल्पिक संपर्क मार्ग उपलब्ध कराने के अलावा 9,000 करोड़ रुपये की लागत वाला यह एक्सप्रेस-वे न केवल मौजूदा दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे पर ट्रैफिक जाम घटाने में मददगार होगा बल्कि द्वारका और दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज जैसे इलाकों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा.
प्रोजेक्ट के तहत हरियाणा में आने वाले हिस्से के लिए टेंडर लार्सन एंड टुब्रो को दिया गया था, जबकि दिल्ली वाले हिस्से पर जे कुमार इंफ्रा प्रोजेक्ट्स काम कर रहा है.
नाम न बताने की शर्त पर एनएचएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि एनएच-8 के दिल्ली-गुड़गांव सेक्शन, जो स्वर्णिम चतुर्भुज प्रोजेक्ट के दिल्ली-जयपुर-अहमदाबाद-मुंबई हिस्से में आता है, में हर दिन 3 लाख से ज्यादा कारों की आवाजाही होती है.
अधिकारी ने कहा, ‘यह इस 8-लेन वाले हाईवे की डिजाइन कैपेसिटी से बहुत ज्यादा है और यही गंभीर जाम की वजह हो सकता है.’
एनएचएआई के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि एनएचएआई को यह प्रोजेक्ट 2017 में मिला क्योंकि भूमि अधिग्रहण को लेकर हरियाणा और दिल्ली सरकारों के बीच समन्वय में समस्याएं आ रही थीं और वे मामले को आपस में नहीं सुलझा पा रहे थे.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा के हिस्से में हाईवे का निर्माण कार्य नवंबर 2019 में शुरू हुआ, जबकि दिल्ली वाले हिस्से पर हाल ही में सितंबर 2020 में शुरू हुआ है.
पहले अधिकारी ने कहा, ‘काम शुरू होने के बाद से प्रोजेक्ट पूरा होने के लिए हमने दो साल की समयसीमा रखी है. इसलिए, द्वारका एक्सप्रेस-वे का हरियाणा में आने वाला हिस्सा अगस्त 2021 तक पूरा हो जाना चाहिए, जबकि दिल्ली वाला हिस्सा सितंबर 2022 तक पूरा हो जाना चाहिए.
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द्वारका एक्सप्रेस-वे के फायदे
द्वारका एक्सप्रेस-वे से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एनएच-8 के ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी और द्वारका और दक्षिणी दिल्ली के कुछ हिस्सों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी सुनिश्चित हो पाएगी.
एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक्सप्रेस-वे नई दिल्ली को पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास अटारी से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-1 पर भी पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों से आने वाले भारी यातायात से राहत दिलाएगा.
उन्होंने आगे कहा, ‘नया द्वारका एक्सप्रेस-वे एनएच-1 पर वाहनों का बोझ घटाएगा और इस पर जाम की स्थिति से राहत मिलेगी. इसके अलावा यह हवाई अड्डे को सीधी कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा.’
एनएचएआई सूत्रों ने बताया कि एक्सप्रेस-वे में 5 किलोमीटर लंबी अंडर-ब्रिज रोड भी होगी, जो इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 के लिए सीधी कनेक्टिविटी सुविधा प्रदान करेगी. एक्सप्रेस-वे के 29 किलोमीटर लंबे हिस्से में 23 किलोमीटर सड़क या तो एलिवेटेड होगी या टनल के अंदर से गुजरेगी.
अधिकारी ने कहा कि द्वारका एक्सप्रेस-वे पहला ऐसा हाईवे होगा जिसमें हरियाणा वाले एक हिस्से में आठ लेन की सड़क डिवाइडर के बिना होगी जबकि दिल्ली वाले हिस्से में आठ-लेन डिवाइडर के साथ होंगी.
उन्होंने यह भी कहा कि द्वारका एक्सप्रेस-वे रोजगार बढ़ाने का मौका भी देगा.
उन्होंने कहा, ‘यह बात तो जगजाहिर है कि जहां हाईवे बनते हैं, विकास भी तेजी से होता है. यह पहली बार है जब इस तरह का प्रोजेक्ट शहरी क्षेत्र में चल रहा है.’
हालांकि, अधिकारी ने यह भी कहा कि एक्सप्रेस-वे का असली फायदा तो तभी मिलेगा जब पूरी परियोजना 2022 में पूरी हो जाएगी.
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चुनौतियां
एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि द्वारका एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट की पूरी संरचना को देखते हुए इसके लिए बहुत ज्यादा श्रम-कौशल की जरूरत है.
इसके लिए दिए जाने वाले विशेष प्रशिक्षण में बार-बेंडिंग और कंक्रीट की कास्टिंग जैसे काम शामिल थे.
उन्होंने कहा, ‘यह एक ईपीसी परियोजना— इंजीनियरिंग, प्रॉक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट है.’
एनएचएआई सूत्रों ने कहा कि एक लंबा समय— 2017 से 2019 तक प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरणीय मंजूरी, वन संबंधी मंजूरी, पौधारोपण और भूमि अधिग्रहण में लगा.
हरियाणा के हिस्से में नवंबर 2019 में शुरू हुआ एक्सप्रेस-वे का काम कोविड-19 महामारी के कारण मार्च 2020 में ठप पड़ गया.
कोरोनावायरस ने एक अलग ही तरह की चुनौती सामने रख दी क्योंकि क्योंकि लॉकडाउन के कारण ज्यादातर मजदूर अपने गांव लौट गए और फिर जुलाई 2020 में ही जाकर काम फिर पटरी पर आ पाया.
अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि, हमने अपनी पूरी ताकत लगा दी है और एक्सप्रेस-वे के काम के गति पकड़ने से मैं संतुष्ट हूं.’
ऊपर उद्धृत एनएचएआई के दूसरे अधिकारी ने कहा कि जब से काम फिर शुरू हुआ सबसे बड़ी चुनौती मजदूरों का प्रशिक्षण और कोविड संबंधी मानकों का पालन और निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा संबंधी दिशानिर्देशों को ख्याल रखने की रही है.
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