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Tuesday, 21 May, 2024
होमदेशहेरोइन की ज़ब्ती में 10 गुना वृद्धि, गुजरात ने ड्रग पैनल से की मांग- ड्रोन्स से नज़र रखें कोस्ट गार्ड

हेरोइन की ज़ब्ती में 10 गुना वृद्धि, गुजरात ने ड्रग पैनल से की मांग- ड्रोन्स से नज़र रखें कोस्ट गार्ड

अमित शाह की अध्यक्षता में नार्को समन्वय केंद्र की बैठक में गुजरात ने स्वीकार किया कि उसके सामने चुनौतियां हैं. कर्नाटक और महाराष्ट्र ने भी विदेशियों के वीज़ा अवधि से ज़्यादा रुकने पर ध्यान आकृष्ट किया.

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नई दिल्ली: गुजरात सरकार ने स्वीकार किया है कि अपने लंबे समुद्र तट की वजह से, वो बहुत सी ‘समुद्री चुनौतियों’ का सामना कर रहा है और पिछले दो वर्षों में हेरोइन की ज़ब्तियों में दस गुना इज़ाफा देखा गया है. सरकार ने अब सुझाव रखा है कि भारतीय कोस्टगार्ड को तटीय निगरानी और रोक के लिए ड्रोन्स के इस्तेमाल पर विचार करना चाहिए.

ये सुझाव नार्को समन्वय केंद्र (एनकॉर्ड) की शीर्ष स्तरीय कमेटी की तीसरी बैठक में दिया गया, जो नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने 27 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित की थी, और जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी. दिप्रिंट ने उस मीटिंग की मिनट्स देखी हैं.

गुजरात सरकार ने ये भी कहा कि मेडिकल वीज़ा लेकर देश में आने वाले विदेशियों पर क़रीबी नज़र रखी जानी चाहिए, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक ने ऐसे विदेशियों का पता लगाने और उन्हें वापस भेजने की अहमियत पर रोशनी डाली, जो ड्रग्स के अवैध व्यापार में संदिग्ध हैं, और जो अपनी वीज़ा अवधि के बाद भी रह रहे थे.

बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, विभिन्न मंत्रालयों के सचिव, संबंधित केंद्रीय एजेंसियों के प्रमुख, अर्ध-सैनिक बलों के महानिदेशक, सभी राज्यों तथा केंद्र-शासित क्षेत्रों के मुख्य सचिव और राज्यों के पुलिस महानिदेशक शरीक हुए.

एनकॉर्ड का गठन केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2016 में किया था, जिसका उद्देश्य ड्रग क़ानूनों का बेहतर कार्यान्वयन और अवैध ड्रग व्यापार-विरोधी एजेंसियों के बीच, प्रभावी समन्वय स्थापित करना था.

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बैठक में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि समुद्री रास्ते से ख़ासकर पश्चिमी क्षेत्र में, ड्रग्स के अवैध व्यापार को रोकने के मामले में अच्छा प्रदर्शन देखा गया है.

मीटिंग में कहा गया है, ‘अनुमान है कि 70 प्रतिशत से ज़्यादा अवैध ड्रग व्यापार, समुद्री मार्गों से किया जाता है. भारतीय कोस्ट गार्ड, भारतीय नौसेना और देश भर की पोर्ट्स अथॉरिटीज़, समुद्री मार्गों से होने वाले ड्रग्स के अंतर्राष्ट्रीय अवैध व्यापार की जांच कर सकती है, जैसा कि मुंद्रा पोर्ट पर देखा गया है, और उससे निपटने के लिए उपयुक्त प्रणालियां विकसित कर सकती हैं.’

ज़्यादा रुकने वाले विदेशियों का पता लगाना, उन्हें वापस भेजना

बैठक में महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों ने आग्रह किया कि एक प्रणाली स्थापित की जाए जो निश्चित अवधि से ज़्यादा रुक रहे, ऐसे विदेशियों का पता लगाकर उन्हें वापस भिजवाए, जो ज़्यादातर ‘अवैध ड्रग व्यापार’ में लिप्त हैं. दोनों राज्य ऐसे व्यक्तियों के लिए एक हिरासत केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं.

पंजाब सरकार ने भी स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में ड्रग का ख़तरा राज्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया था.

मीटिंग में कहा गया है, ‘हाल ही में, राज्य भर में ड्रग्स से जुड़े 50,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और इस सिलसिले में क़रीब 65,000 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. विशेष टीमें गठित की गईं हैं जिनका काम आतंक के नए तत्वों, भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों और ड्रग व्यापार में लिप्त जम्मू-कश्मीर के आतंकवादियों के खिलाफ सुबूत जुटाना है.

पंजाब गृह विभाग के प्रमुख सचिव ने भी कहा, कि 2012 में राज्य में नुस्ख़े की दवाओं के अवैध व्यापार के खिलाफ बेहतरीन कार्यप्रणालियां तैयार की गईं थीं. मीटिंग में कहा गया है, ‘ऐसे अवैध व्यापार में लगी छह फार्मेसियों के ड्रग लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं, और राज्य में ऐसी 12 दवाओं के निर्माण लाइसेंस भी कम किए गए हैं.’

इस बीच कर्नाटक डीजीपी ने विदेशी नागरिकों के, वीज़ा अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी टिके रहने के मुद्दे पर ज़ोर दिया.

मीटिंग में कहा गया है, ‘उन्होंने बताया कि ऐसे अधिकांश विदेशी, ख़ासकर अफ्रीकी मूल वाले, छात्र वीज़ा लेकर राज्य में आए थे, और फिर यहीं रुक गए. वो छोटे-मोटे अपराधों में लिप्त होकर गिरफ्तार हो जाते हैं, और फिर ज़मानत की शर्तों का हवाला देकर, वीज़ा अवधि के बाद भी रुके रहते हैं. ऐसे व्यक्तियों को तुरंत वापस भेजने के लिए, कोई प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘देखा गया है कि ये विदेशी ज़्यादातर छात्र समुदाय के बीच ड्रग बेंचने के काम में शामिल होते हैं. कर्नाटक ने ऐसे विदेशियों के लिए एक हिरासत केंद्र बनाने के लिए क़दम उठाए हैं, जो अपनी वीज़ा अवधि पूरी होने के बाद भी देश में रुके हुए हैं.’


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महाराष्ट्र में ड्रग ज़ब्तियों में ज़बर्दस्त उछाल

महाराष्ट्र डीजीपी ने बैठक के सूचित किया कि राज्य में हर साल एनडीपीएस (स्वापक ओषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम) के तहत दर्ज मामलों की संख्या में ज़बर्दस्त उछाल देखने को मिल रहा है.

मीटिंग में लिखा है, ‘हाल ही में राज्य में हेरोइन/कोकेन की ज़ब्ती में ढाई गुना की वृद्धि देखी गई. उन्होंने अनुरोध किया कि डार्कनेट ज़ब्तियों में हाल में हुए इज़ाफे को देखते हुए, कंट्रोल्ड डिलीवरी ऑपरेशंस (पता चल जाने पर अवैध ड्रग्स को ज़ब्त करने की प्रक्रिया) का संचालन करने की शक्तियां राज्य जीपी (सरकारी वकील) को सौंप दी जाएं.’ डार्कनेट छिपे हुए इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स होते हैं, जिनके ज़रिए बेनाम संचार किया जा सकता है, और जिनका अवैध ड्रग व्यापार में इस्तेमाल बढ़ रहा है.

मीटिंग में आगे कहा गया है, ‘उन्होंने ये भी आग्रह किया कि ऐसे विदेशियों का पता लगाने, और उन्हें वापस भेजने के लिए एक प्रणाली स्थापित की जाए, जो वीज़ा अवधि समाप्त होने के बाद भी रुके रहते हैं, और ज़्यादातर अवैध ड्रग व्यापार में लिप्त होते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि महाराष्ट्र ऐसे व्यक्तियों के लिए एक हिरासत केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है’.

असम के डीजीपी ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला, कि एनएससीएन (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैण्ड) और केवाईकेएल (मणिपुर का कांगलेइ यावोल कुन्ना लूप) जैसे आतंकवादी संगठन, नार्को-आतंकवाद के काम में लिप्त पाए गए थे.

मीटिंग में लिखा गया है, ‘इस बारे में सभी जानकारी एनसीबी (नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) के साथ साझा की गई है, और कुछ मामले एनआईए (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) को भी ट्रांसफर किए गए हैं. डीजीपी असम ने एनसीबी से अनुरोध किया, कि प्रमुख जंक्शनों पर वेहिकल स्कैनर्स लगाने की प्रक्रिया में तेज़ी लाई जाए, जिससे कि अंतर-राज्यीय यातायात की निगरानी करके, ड्रग ट्रैफिकिंग के किसी भी निशान का पता लगाया जा सके. उन्होंने ये भी अनुरोध किया कि ये स्कैनर्स आगामी अरुणाचल प्रदेश-असम हाईवे पर स्थापित किए जाएं.’


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‘कसारगोड नेटवर्क, पर्यटकों की निगरानी’

दिल्ली पुलिस आयुक्त (सीपी) ने इस आवश्यकता पर बल दिया कि केंद्रीय रसायन व ऊर्वरक मंत्रालय पोटेशियम परमेगनेट (कोकेन समेत कुछ ड्रग्स बनाने में इस्तेमाल) के निर्माण का नियंत्रण और निगरानी करे. उन्होंने छोटे कोरियर ऑपरेटर्स के केवाईसी के मामले में, नियमों के अभाव पर भी प्रकाश डाला, जिनका अवैध ड्रग व्यापारियों द्वारा, निषिद्ध माल और ड्रग्स की ढुलाई के लिए इस्तेमाल बढ़ रहा है.

केरल, तमिलनाडु, और कर्नाटक में काम कर रहे ड्रग्स के ‘कासरगोड नेटवर्क’ के बारे में, दिल्ली के सीपी ने कहा कि इसमें श्रीलंका के तमिल लोग शामिल हैं, जिनके वीज़ा अवधि के बाद भी रुके रहने का पता लगाया जाना चाहिए.

मीटिंग के अनुसार कमिश्नर ने कहा, ‘इसी तरह, रूस और कुछ मध्य एशियाई देशों से गोवा में आने वाले सैलानियों पर भी नज़र रखनी ज़रूरी है. हिमाचल प्रदेश के मलाना में हर साल एक ख़ास सीज़न के दौरान, इटली और इज़राइल से बहुत से लोग आते हैं, जो ड्रग्स के धंधे में लिप्त पाए गए हैं. ऐसे लोगों की गतिविधियों पर नज़र रखी जानी चाहिए’.

उन्होंने आगे भी बताया कि एक हालिया स्टडी में पता चला है, कि ऐसे 80,000 से अधिक विदेशी हैं, जो वीज़ा अवधि पूरी होने के बाद भी भारत में रह रहे हैं. उनमें अधिकतर अफगानी, नाईजीरियन, और दक्षिण अफ्रीकी नागरिक हैं, जिनमें से बहुत से संदिग्ध ड्रग ट्रैफिकर्स हैं.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बैठक को सूचित किया, कि 2021 में एनडीपीएस के तहत 16 ज़ब्तियां की गईं. एनआईए डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि इनमें से 10 में, नार्को-आतंक का एंगल भी देखा गया.

मीटिंग में कहा गया, ‘देखा गया है कि एलईटी और बब्बर खालसा जैसे आतंकी संगठनों की, नार्को-आतंकवाद में संलिप्तता बढ़ रही है. अकेले 2021 में 4,000 किलोग्राम से अधिक हेरोइन ज़ब्त की जा चुकी है. बहुत से अनुरोध पत्र अमल में लाए जाने के इंतज़ार में हैं. इस ख़तरे से निपटने के लिए एनआईए, डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) और एनसीबी क़रीबी समन्वय से काम कर रहे हैं’.

मीटिंग में कहा गया, ‘उन्होंने अनुरोध किया कि सोशल मीडिया मूल के आतंकी साक्ष्यों की अल्प-कालिक उपलब्धता के मद्देनज़र, अगर नार्को आतंकवाद का कोई एंगल है, तो ड्रग क़ानून प्रवर्त्तन एजेंसियों को जांच की शुरुआत में ही, एनआईए को अपने साथ शामिल कर लेना चाहिए. फिलहाल, बरामद ड्रग्स को नष्ट करने के लिए कमेटी गठित करने की शक्ति, एनआए महानिदेशक में निहित नहीं हैं, जिसे उन्होंने शीघ्र दिए जाने का अनुरोध किया’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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