scorecardresearch
Thursday, 2 May, 2024
होमदेश105 साल का ‘दूल्हा’ पहुंचा अदालत — ‘थारा फूफा अभी ज़िंदा है’ फिल्म को लेकर रोहतक में चल रहा ड्रामा

105 साल का ‘दूल्हा’ पहुंचा अदालत — ‘थारा फूफा अभी ज़िंदा है’ फिल्म को लेकर रोहतक में चल रहा ड्रामा

दुली चंद का कहना है कि हरियाणवी फिल्म पेंशन उनकी असल लड़ाई पर आधारित है. ओलंपियन नीरज चोपड़ा, उस ओटीटी ऐप के ब्रांड एंबेसडर हैं, जहां फिल्म रिलीज़ होगी, अदालत द्वारा तलब किए गए लोगों में शामिल हैं.

Text Size:

गुरुग्राम: जब 105 साल के दुली चंद सफेद धोती-कुर्ता और चमकीले रंग का ‘साफा’ (पगड़ी) और धूप का चश्मा पहनकर बारात लेकर रोहतक कोर्ट में पहुंचे, तो वहां खड़े लोग दंग रह गए कि वे दूल्हे की तरह तैयार होकर क्यों आए हैं.

चंद एक सामाजिक कार्यकर्ता नवीन जयहिंद के साथ घोड़ा-बग्गी में सवार होकर अदालत पहुंचे थे, जिससे लोगों का मनोरंजन हुआ.

गौरतलब है कि 105-वर्षीय रोहतक निवासी जल्द ही रिलीज़ होने वाली हरियाणवी फिल्म ‘थारा फूफा ज़िंदा है’ पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका दायर करने के लिए वहां गए थे, जो उनके अनुसार, उनकी ज़िंदगी पर आधारित है. उन्होंने आरोप लगाया कि कंटेंट उनकी अनुमति के बिना लिया गया.

इस बीच, फिल्म का ट्रेलर यूट्यूब पर पहले ही रिलीज़ हो चुका है.

इस पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने बुधवार को हरियाणवी स्टेज ऐप भारत का पहला ओटीटी मंच (जो स्थानीय बोलियों में दुनिया का पहला ऐसा प्लेटफॉर्म होने का दावा करता है) के निदेशक, कार्यकारी निदेशक संजय भसीन और हरीश छाबड़ा सहित पांच पक्षों को समन जारी किया. इनमें ब्रांड एंबेसडर नीरज चोपड़ा, विश्वास चौहान उर्फ कॉमिकविश्वास, अभिनेता को बुलाया गया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

पांचों पक्षों को शुक्रवार को याचिका पर जवाब देने को कहा गया है. बाद में जयहिंद ने कहा कि प्रतिवादियों के वकील अदालत में पेश हुए और याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा.

जयहिंद के साथ संयुक्त रूप से दायर अपनी याचिका में दुली चंद ने कहा कि ‘थारा फूफा ज़िंदा है’ अधिकारियों को यह बताने के लिए अगस्त 2022 में उनके द्वारा शुरू किया गया एक अभियान था, जब सरकारी रिकार्ड में उन्हें मृत दिखाकर उनकी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी गई, जबकि वे ज़िंदा हैं.

अभियान के हिस्से के रूप में दुली चंद दूल्हे की तरह तैयार होकर नवीन जयहिंद के साथ बग्गी पर बैठे, जबकि कई अन्य लोग नाच रहे थे और उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था — ‘थारा फूफा ज़िंदा है’.

जयहिंद ने बताया कि अभियान ने न केवल दुली चंद की वृद्धावस्था पेंशन को फिर से शुरू करने में मदद की, बल्कि उन्होंने पेंशन बंद होने के बाद इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे लगभग 2,000 वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने के लिए भी यही तरीका अपनाया.

पूर्व आईपीएस अधिकारी से लेखक बने राजबीर देसवाल ने बारीकियों को समझाते हुए कहा कि आमतौर पर ‘फूफा’ का इस्तेमाल उन लोगों को शांत करने के लिए किया जाता है जो किसी न किसी कारण से नाखुश होते हैं. उन्होंने कहा, “फूफा हरियाणवी परिवारों में एक नकचढ़ा चरित्र है जो अक्सर शादियों के दौरान उनके सम्मान की कमी का हवाला देकर परेशान हो जाते हैं.”

दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर दुली चंद ने कहा कि वे यह कानूनी लड़ाई आर्थिक लाभ के लिए नहीं बल्कि आत्मसम्मान के लिए लड़ रहे हैं. चंद ने कहा, “अगर प्रतिवादी अपनी आय का एक हिस्सा गांवों या गौशालाओं में संचालित व्यायामशालाओं को देने के लिए सहमत हों तो हमें कोई दिक्कत नहीं होगी.”

दुली चंद और नवीन जयहिंद द्वारा दायर निषेधाज्ञा याचिका में कहा गया है कि 2021 में हरियाणा सरकार ने चंद को वृद्धावस्था पेंशन देना बंद कर दिया और उन्हें पता चला कि उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में “मृत” दिखाया गया है.

याचिका में कहा गया है, “याचिकाकर्ता ने कई कार्यालयों का दौरा किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अगस्त 2022 में वे अपनी समस्या लेकर याचिकाकर्ता नंबर 2, सामाजिक कार्यकर्ता नवीन जयहिंद से मिले. उसी महीने में दोनों ने दुली चंद को ज़िंदा घोषित करने के लिए सरकार के खिलाफ अभियान चलाया क्योंकि उन्हें बिना कोई कारण बताए मृत घोषित कर दिया गया था. 8 सितंबर, 2022 को आंदोलन को नाम दिया गया था, ‘थारा फूफा ज़िंदा है’ और यह तुरंत लोकप्रिय हो गया क्योंकि इसे सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा काफी कवर किया गया था.”

दिप्रिंट के पास याचिका की एक प्रति है.

इसमें आगे आरोप लगाया गया कि उत्तरदाताओं ने बिना अनुमति के उपर्युक्त आंदोलन को “हाईजैक” करने की कोशिश की है और आंदोलन के कई तथ्यों का इस्तेमाल ‘थारा फूफा ज़िंदा है’ के नाम से हरियाणा स्टेज ऐप पर रिलीज़ होने वाली फिल्म में किया जा रहा है.

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से इस क्षेत्रीय फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने का आग्रह किया.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: कैसी ज़िंदगी जी रहे भारत के बुजुर्ग; भजन, पूजा-पाठ के अलावा करने को है और भी बहुत कुछ


 

share & View comments