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Sunday, 9 March, 2025
होमदेशमणिपुर में ‘फ्री मूवमेंट’ आदेश के खिलाफ कुकी प्रदर्शनकारियों का विरोध, 1 की मौत, 16 घायल

मणिपुर में ‘फ्री मूवमेंट’ आदेश के खिलाफ कुकी प्रदर्शनकारियों का विरोध, 1 की मौत, 16 घायल

प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी, पेट्रोल बम फेंके और पथराव किया, जिसके बाद पुलिस ने कथित तौर पर उन्हें तितर-बितर करने के लिए गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे.

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नई दिल्ली: मणिपुर के कैथेलमनबी, कांगपोकपी जिले में शनिवार दोपहर कूकी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पों में एक 19 वर्षीय युवक की मौत हो गई, जबकि 16 अन्य घायल हो गए. इसके अलावा, 27 पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं.

स्थिति बेकाबू होने पर प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग लगा दी, पेट्रोल बम फेंके और पत्थरबाजी की. हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े.

कूकी प्रदर्शनकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस निर्देश का विरोध कर रहे थे, जिसमें राज्य में स्वतंत्र रूप से आवाजाही की अनुमति दी गई थी.

गोली लगने से मारे गए 19 वर्षीय युवक की पहचान लालगौ सिंगसिट के रूप में हुई है.

हालांकि, कूकी समाज के संगठनों का दावा है कि उनकी मौत पुलिस की गोलीबारी में हुई, लेकिन पुलिस का कहना है कि इस मामले की जांच की जाएगी.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “प्रदर्शनकारी की मौत गोली लगने से हुई, लेकिन यह जांच का विषय है कि वह गोली पुलिस ने चलाई थी या भारी हथियारों से लैस असामाजिक तत्वों ने.”

शनिवार रात एक्स (पहले ट्विटर) पर मणिपुर पुलिस ने पोस्ट किया, “सुरक्षा बलों ने अशांत और हिंसक भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान जबरदस्त संयम दिखाया और असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए न्यूनतम बल का उपयोग किया…”

कांगपोकपी जिले के कांगपोकपी, चम्फाई और साइटू-गमफाजोल उपखंडों में, विशेष रूप से एनएच-02 के आसपास, तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिससे लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है.

पिछले सप्ताह, गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में 8 मार्च से सड़कों पर लोगों की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे. यह निर्णय उन्होंने राज्य की सुरक्षा स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद लिया था.

मई 2023 में पूर्वोत्तर राज्य में भड़की जातीय हिंसा के बाद से मणिपुर गहराई से विभाजित है. कुकी समुदाय पहाड़ियों में केंद्रित है, जबकि मैतेई समुदाय घाटी में रहता है. घाटी, जहां हवाई अड्डा, प्रमुख अस्पताल, स्कूल और कॉलेज स्थित हैं, कुकी समुदाय के लिए पूरी तरह से दुर्गम बनी हुई है, और मैतेई भी पहाड़ियों की ओर नहीं जा पा रहे हैं. इस जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 250 लोगों की जान जा चुकी है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं.

मणिपुर 9 फरवरी से राष्ट्रपति शासन के अधीन है, जब राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

इसकी शुरुआत कैसे हुई?

उक्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने एक राज्य परिवहन बस को रोक लिया, जो एक काफिले के साथ मैतेई बहुल इंफाल घाटी से सेनापति (पहाड़ी क्षेत्र) जा रही थी. यह काफिला राज्य में लोगों की बिना रोक-टोक आने-जाने की सुविधा देने के लिए था.

“कुकी समुदाय के सदस्यों के साथ इस यात्रा को लेकर लंबी चर्चा हुई थी, इसके बावजूद उन्होंने बड़ी संख्या में एकत्र होकर बस को रोक दिया. उनका आरोप था कि पुलिस मैतेई समुदाय के लोगों को पहाड़ियों में ले जा रही है. हालांकि, बस खाली थी और उसमें कोई मैतेई नहीं था,” अधिकारी ने बताया.

अधिकारी ने कहा।, इसी तरह, चुराचांदपुर से इंफाल घाटी के लिए एक और बस भेजी गई थी, ताकि कुकी समुदाय के लोग हवाई अड्डे तक पहुंच सकें. वह बस भी खाली थी, लेकिन उसे कहीं नहीं रोका गया.

प्रदर्शनकारियों ने एनएच-2 (इंफाल-दीमापुर राजमार्ग) को भी अवरुद्ध कर दिया, टायर जलाए और सरकारी व निजी वाहनों में तोड़फोड़ की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें तितर-बितर किया.

इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है.

“एक मामला दर्ज कर लिया गया है और उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। घायल लोग उपचार करा रहे हैं. तीन पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनमें से एक की आंख में गंभीर चोट आई है,” अधिकारी ने कहा.

‘सुरक्षा बलों द्वारा समुदाय पर ज्यादतियां’

कुकी जो परिषद ने शनिवार को जारी एक बयान में झड़पों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार की मुक्त आवाजाही पहल का “दृढ़ता से विरोध किया जाएगा जब तक कि कुकी-जो समुदाय के लिए एक राजनीतिक समाधान नहीं निकलता, जिससे क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित हो.”

बयान में कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा हाल ही में “कुकी-जो क्षेत्रों में मेइती लोगों को भेजने की कार्रवाई, बार-बार चेतावनी के बावजूद, क्षेत्र में तनाव को बढ़ा रही है.”

उन्होंने कहा कि झड़पों के दौरान एक व्यक्ति की पुलिस गोली से मौत हो गई और 50 से अधिक महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गईं, जो समुदाय के खिलाफ सुरक्षा बलों की ज्यादतियों को दर्शाता है.

बयान में कहा गया, “सुरक्षा कर्मियों ने जबरदस्ती उपाय अपनाए, जिससे प्रदर्शनकारियों का संकल्प और मजबूत हुआ.”

परिषद ने सरकार के “मुक्त आवाजाही” लागू करने के निर्णय की कड़ी निंदा की.

“सरकार का निर्णय चल रहे संघर्ष और कुकी-जो लोगों की भावनाओं के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाता है,” बयान में कहा गया.

उन्होंने कहा कि हालांकि शांति की अवधारणा का सभी द्वारा स्वागत किया जाता है, लेकिन इसे “किसी विशेष समुदाय की कीमत पर जबरदस्ती थोपने” से हासिल नहीं किया जा सकता.

बयान में कहा गया, “वास्तविक शांति आपसी सम्मान और समझ पर आधारित होती है. अनिच्छुक पक्षों पर शांति थोपने से असंतोष और आगे के संघर्ष पैदा हो सकते हैं, जिससे सद्भाव के लक्ष्य को ही नुकसान पहुंचेगा. एक स्थायी शांति को प्रभावित समुदाय की रुचि और आकांक्षाओं पर विचार के माध्यम से बढ़ावा देना चाहिए.”

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के लिए यह जरूरी है कि वह आगे के अशांति को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा की रक्षा के लिए बुनियादी मुद्दों को संबोधित करे.

‘आदेश न मानने का काम’

मेइतेई हेरिटेज सोसाइटी ने भी शनिवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि ये झड़पें बहुत चिंता की बात हैं और कुकी समुदाय ने यह जानबूझकर नियमों का उल्लंघन किया है, जो केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के राजमार्गों को फिर से खोलने के फैसले को सीधी चुनौती देता है. यह कदम मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए उठाया गया था.

बयान में कहा गया, “नेशनल हाईवे को बाधित करके प्रदर्शनकारियों ने खुलेआम भारतीय राज्य के अधिकार को ठुकरा दिया है और घाटी जिलों में रहने वाले सभी समुदायों के लोगों को बंधक बना रखा है.”

संगठन ने आगे कहा, “भारत को मुट्ठीभर उग्रवादियों और उनके समर्थन से चलने वाले समूहों के सामने झुकना नहीं चाहिए. जो भी भारतीय संप्रभुता और कानून-व्यवस्था को चुनौती देगा, उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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