नई दिल्ली: विश्व में कोरोनवायरस महामारी से मौत के मामले मंगलवार को कुल 10 लाख या एक मिलियन के पार चले गए हैं. जबकि हजारों लोग प्रतिदिन संक्रमित हुए. हालांकि, वहीं भारत में मामलों की संख्या किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक गति से बढ़ रही है, यहां मौत के मामले अन्य देशों से अपेक्षाकृत कम हैं.
अमेरिका और ब्राजील के बाद सोमवार तक भारत कोविड से मौत के मामले में दुनिया के टॉप तीन देशों में से था. जबकि अमेरिका ने 2.02 लाख मौत के मामले दर्ज किए, ब्राजील ने 1.41 लाख. इस बीच भारत में 94,503 लोग मारे गए हैं. जबकि इसने सोमवार को ब्राजील से 13 लाख से अधिक मामले दर्ज किए हैं.
यह रुझान उलझाऊ प्रतीत होता है. भारत का उच्च जनसंख्या घनत्व इसे वायरस के लिए मुफीद बनाता है. यहां सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों को लागू करना कठिन है तब जब 1.3 बिलियन लोग निकटस्थ क्षेत्रों में रहते हों- बड़े परिवार, विशेषकर भारत की घनी झुग्गियों में- प्रायः छोटे-छोटे कमरों में रहने के लिए जाने जाते हैं जहां दूरी बनाकर रख पाना लगभग असंभव है, और पीक समय में अत्यधिक सार्वजनिक परिवहन का रेला एक निर्मम दबाव बनाता है.
इसके अलावा, बुनियादी स्वच्छता की जरूरतों तक पहुंच की कमी जैसे- स्वच्छ पानी, जिसका मतलब अक्सर हाथ धोने को आबादी के कई वर्गों के लिए लागू करना आसान नहीं है.
किसी भी एक कारण की ओर इशारा करना मुश्किल है कि भारत क्यों कम मौतों का साक्षी बन रहा है. इसकी युवा जनसांख्यिकी एक संभावित कारण हो सकती है क्योंकि कोविड-19 बुजुर्ग मरीजों के लिए अधिक घातक साबित हुआ है.
यह तथ्य भी हो सकता है कि भारत में महामारी का आगमन अपेक्षाकृत देर से हुआ और इस तरह दूसरों के अनुभवों से सीखने का मौका भी मिला हो.
वहीं साथ ही, यह भी कि वे लोग जो भारत के पेश आंकड़ों को नकारते हैं और इशारा करते हैं कि यह सही तस्वीर पेश करने वाले नहीं हो सकते.
कोविड के मामलों की संख्या
मामलों के हिसाब से केवल अमेरिका में कोविड के मामले भारत से अधिक हैं, भारत के 59.9 लाख मामलों की तुलना में 69.6 लाख मामले हैं.
पिछले दो सप्ताह में, अकेले भारत ने विश्व में सबसे अधिक 11,14,466 नए संक्रमण के मामले जोड़े हैं. इस बीच अमेरिका ने ठीक इसी अवधि में 5,61,356 नए मामले या भारत के लगभग आधे मामले जोड़े हैं.
भारत की कुल मृत्यु दर मंगलवार के अमेरिका की 633 और ब्राजील में 668 के मुकाबले प्रति मिलियन लगभग 70 थी. जबकि देश की मृत्यु दर- कोविड-19 मरीज जिनकी मृत्यु हुई, 1.56 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका का 2.85 प्रतिशत और ब्राजील का 2.99 प्रतिशत है.
हालांकि, भारत ही ऐसा देश नहीं है जहां कम मृत्यु दर है. दक्षिण एशिया के देशों में सभी ने मृत्यु दर के मामले में अभी तक बेहतर प्रदर्शन किया है. उदाहरण के लिए बंगलादेश और पाकिस्तान ने क्रमशः 31 और 29 लोगों की मृत्यु की रिपोर्ट किए हैं.
इसी प्रकार का ट्रेंड अफ्रीका में भी दर्ज किया गया है. अपने भीड़भाड़ वाली झुग्गियों और अत्यधिक भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे के साथ, अफ्रीका में सालभर के भीतर 3 लाख लोगों की कोविड-19 से मृत्यु का अनुमान जताया है. हालांकि, यह अभी लगभग 35,000 है, या 2020 के खत्म होने में बचे 3 महीने में 12 प्रतिशत मृत्यु अनुमानित है. अफ्रीका में संक्रमण की संख्या सोमवार तक 14 लाख थी.
भारत की तरह देशों में मृत्युदर कम क्यों है?
भारत में कोविड से कम मृत्यु दर में कई समाजशास्त्रीय कारकों का योगदान माना जाता है. पहला भारत की जनसांख्यिकी है. पश्चिम के देशों की तुलना में दक्षिण एशियाई देशों की जनसंख्या का युवा होना है.
भारतीय जनसंख्या की औसत आयु 26.8 वर्ष है जबकि अमरीका और ब्राजील की क्रमशः 38.5 वर्ष और 33.2 वर्ष है. अन्य दक्षिण एशियाई देशों में पाकिस्तान की औसत आयु 22 वर्ष और बांग्लादेश, 27.9 वर्ष.
रिसर्च से सामने आया है कि युवा कोविड-19 मरीजों की संक्रमण से मरने की संभवावना कम है.
इटली में, जहां औसत आयु 45.5 वर्ष है, देश की बुजुर्ग आबादी को कोविड-19 के तेज दस्तक के लिए प्राथमिक कारकों में से माना गया है.
‘यह (जनसांख्यिकी) निश्चित रूप से कम मौत की दरों में योगदान करने वाली है, जैसा कि सामान्य तौर पर पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित दक्षिण एशियाई क्षेत्र में देखा गया है. या इस समय कुछ अतिरिक्त जैविक घटक हों जो कि क्लीयर नहीं हो सकते हैं.’ गौतम मेनन, संक्रामक रोग विशेषज्ञ और सोनीपत स्थित अशोक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने दिप्रिंट को बताया.
कोविड-19 के संबंध में बीसीजी टीकों पर क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं, लेकिन कई विशेषज्ञ इसकी भूमिका संदेहास्पद मानते हैं.
मेनन ने कहा, ‘मेरी जानकारी के अनुसार इस विचार को अभी तक समर्थन देने के लिए कोई निर्णायक सामग्री नहीं है और वास्तव में कुछ ऐसे आंकड़े हैं, जो इस पारस्परिक संबंध के विरूद्ध बात करेंगे.’
उदाहरण के लिए ब्राजील में यूनिवर्सल BCG टीकाकरण हुआ है, जो BCG टीकाकरण को अनिवार्य करता है, लेकिन वहां मौत के मामले भारत से दोगुना हैं.
कोविड-19 को लेकर अनुसंधान की बाढ़ ने ये भी सुझाव दिए हैं कि डेंगू वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी, जो कि भारत सहित कम से कम 100 देशों की महामारी है, सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ कुछ स्तर की सुरक्षा प्रदान कर सकती है.
हाल ही में अमेरिका और ब्राजील के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है लेकिन अभी पीर रिव्यू होना है, उन्होंने इसके लिए गणितीय माडल का इस्तेमाल किया है कि ब्राजील के ‘राज्यों में, जिनमें 2019-2020 में आबादी के एक बड़े हिस्से को डेंगू बुखार हुआ था, जहां कोविड-19 के मामले और मौत कम रिपोर्ट किए गए हैं.’ हालांकि, इस सिद्धांत को अभी तक अंतिम तौर पर सिद्ध नहीं किया गया है.
भारत की कम मृत्यु दर के बारे में एक स्पष्टीकरण यह है कि देश के हेल्थकेयर अधिकारियों को उपचार रणनीतियों के बारे में जानने का समय मिला क्योंकि वायरस ने यहां बाद में कहर बरपाया.
कोरोनावायरस के मामले सबसे पहले 2019 के अंत में चीन में वुहान सामने आए थे.
भारत में पहले तीन कोविड-19 के मामले केरल में 30 जनवरी से 3 फरवरी के बीच दर्ज किए गए थे, लेकिन संक्रमण उन महीनों के दौरान अन्य क्षेत्रों में नहीं फैला था. मार्च में भारत ने कोविड-19 मामलों में वृद्धि देखनी शुरू की.
भारत में 27 मार्च तो 4 मौतें दर्ज होने तक, इटली ने 80,000 मामले और 8,000 से अधिक मौतों की सूचना दी थी, जबकि अमेरिका में 68,000 कोविड-19 संक्रमणों में से 991 लोगों की मौत हुई थी.
मेनन ने कहा कि मुझे लगता है कि ऐसा मानने के पीछे दम है कि हमने दूसरे के अनुभव का सही ढंग से इस्तेमाल किया जिसके बाद भारत में महामारी ने दूसरे देशों की तुलना में धीमे पहुंची, जैसे इटली और यूके, जो कोविड की पहली लहर में बुरी तरह चपेट में आए.
25 मार्च को शुरुआती लॉकडाउन जो पूरे देश में लगाया गया, माना जाता है कि जिसने इसे धीमी गति से फैलने में मदद की, जिसने भारत को परीक्षण केंद्रों और क्वारेंटाइन सुविधाओं का विस्तार करने में मदद की.
भारत के कोविड-19 आंकड़े को कम रिपोर्ट करने के आरोप लगे हैं और कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत के मौत को रिकार्ड करने का ढांचा महामारी से ही गड्डमड्ड है.
फिर भी, भारत का आंकड़ा ब्राजील और अमेरिका में मौत से काफी कम है. यदि कथित रूप से मारे गए लोगों को कम बताने के सरकारी आकड़ों को जोड़ा गया तो भी यह संभव है कि भारत की मृत्यु दर सबसे खराब विशेषज्ञ पूर्वानुमान से अभी भी कम होगी.
उदाहरण के लिए, वाशिंगटन विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ, मीट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन द्वारा किए गए एक स्वास्थ्य अध्ययन ने 1 दिसंबर तक भारत में 4 लाख से अधिक कोविड से मौत की भविष्यवाणी की थी अगर लोग सोशल डिस्टेंसिंग के निर्देशों का पालन नहीं करते तो.
फिलहाल, भारत प्रतिदिन सैकड़ों नई मौतों की रिपोर्ट कर रहा है. यद्यपि इसकी मृत्यु दर कम है लेकिन भारत हाल के दिनों में अमेरिका और ब्राजील की तुलना में अधिक मौतें दर्ज कर रहा है. पिछले दो सप्ताह में कोविड-19 ने भारत में 14,766 लोगों की जान ली है जबकि अमेरिका और ब्राजील में यह आंकड़ा क्रमशः 10,263 और 9,735 है.
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