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Monday, 23 December, 2024
होमहेल्थकोविड के साथ डेंगू, मलेरिया या सीज़नल फ्लू भी हो तो क्या करें? स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए दिशानिर्देश

कोविड के साथ डेंगू, मलेरिया या सीज़नल फ्लू भी हो तो क्या करें? स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए दिशानिर्देश

मंत्रालय ने डॉक्टरों से कहा है कि मौसमी बीमारियों और कोविड-19 के सह-संक्रमण की संभावना को देखते हुए, एक ‘उच्च संदेह सूचकांक’ बनाकर रखें और ‘निरंतर जागरूकता’ फैलाएं.

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नई दिल्ली: सर्दियों की आहट के साथ ही, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्लू) ने, कोविड-19 के साथ डेंगू, मलेरिया, मौसमी इनफ्लुएंज़ा (एच1एन1), लेप्टोस्पाइरोसिस, और चिकुनगुनिया जैसी दूसरी मौसमी बीमारियों के सह-संक्रमण को संभालने के लिए, दिशानिर्देश जारी किए हैं.

मंगलवार को मंत्रालय ने कहा कि ये बीमारियां, न सिर्फ कोविड डायग्नोसिस के लिए क्लीनिकल चुनौतियां पेश करती हैं, बल्कि मरीज़ों के नतीजों पर भी इनका असर पड़ता है, चूंकि इनके लक्षण भी कोविड जैसे ही होते हैं.

13 अक्तूबर तक, भारत में कोविड-19 के कुल 71,75,880 मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें 1,09,856 मौतें हुईं हैं और 62,27,295 मरीज़ ठीक हुए हैं.


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टेस्टिंग प्रक्रियाएं

स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन्स के मुताबिक़, मॉनसून सीज़न से पहले और बाद में, इन बीमारियों के लिए एक ‘उच्च संदेह सूचकांक’ बनाया जाना चाहिए.

गाइडलाइन्स में कहा गया है, ‘सतर्कता व चौकसी, उच्च संदेह सूचकांक और सह-संक्रमण की संभावना की निरंतर जागरूकता से, डॉक्टरों को सह-संक्रमण के मामलों के विपरीत परिणामों को पलटने, और क्लीनिकल नतीजों को सुधारने में सहायता मिलेगी’.

गाइडलाइन्स में कहा गया है, कि इसके लिए कोविड जांच प्रक्रिया तो वही रहेगी, लेकिन संदेह होने पर संभावित सह-संक्रमण के लिए, आगे जांच करानी होगी.

सह-संक्रमण के मामलों में, क्रॉस रिएक्शंस यानी ग़लत निगेटिव या पॉज़िटिव रिपोर्ट सामने आ सकते हैं. इसलिए गाइडलाइन्स में ऐसी हर मौसमी बीमारी के मामले में, संभावित सह-संक्रमणों के लिए पुष्टिकरण टेस्ट करने का सुझाव दिया गया है.

इनमें वो टेस्ट शामिल हैं जिन्हें इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आसीएमआर) ने कोविड-19 डायग्नोसिस के लिए, नेशनल वेक्टर बॉर्न डिज़ीज़ कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) ने मलेरिया, डेंगू और चिकुनगुनिया के लिए, और नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (एनसीडीसी) ने मौसमी इनफ्लुएंज़ा, लेप्टोस्पाइरोसिस और स्क्रब टाइफस के लिए निर्दिष्ट किया है.

मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘(कोविड) टेस्टिंग प्रोटोकोल का एमओएचएफडब्लू/आईसीएमआर की गाइडलाइन्स के मुताबिक़, पालन किया जाएगा. लेकिन, इसके अलावा जब भी संदेह होगा, तो संभावित सह-संक्रमण के लिए और टेस्ट भी किए जाएंगे’.

गाइडलाइन्स में कोविड इलाज वाली सुविधाओं को, मलेरिया, डेंगू और स्क्रब टाइफस के लिए, रैपिड डायग्नोस्टिक किट्स की उपलब्धता सुनिष्चित करने को भी कहा गया है. डॉक्टरों को भी सलाह दी गई है, कि कोविड के जिन हल्के या गंभीर मामलों में, इलाज का असर नहीं दिख रहा है, उनमें बेक्टीरियल इनफेक्शन पर नज़र रखें.

संक्रमण के ऐसे मामलों का क्लीनिकल प्रबंधन और रोकथाम

गाइडलाइन्स में कहा गया है, कि सभी माध्यमिक और टरशियरी हॉस्पिटल को, डेंगू और कोविड के गंभीर मामलों को संभालने के लिए तैयार रहना चाहिए. हल्के से मध्यम डेंगू और कोविड जैसे अन्य संक्रमित मरीज़ों की, क़रीबी निगरानी होनी चाहिए, बेहतर है कि वो निगरानी अस्पताल में हो, क्योंकि ऐसे मरीज़ तेज़ी से गंभीर स्थिति में आ सकते हैं.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा: ‘मलेरिया और डेंगू दूसरे इनफेक्शंस के साथ रह सकते हैं, इसलिए मलेरिया/डेंगू संक्रमण होने से, ये संभावना ख़ारिज नहीं होती, कि मरीज़ कोविड-19 से पीड़ित नहीं है. इसी तरह, अगर बुख़ार के किसी मामले को कोविड-19 बताया जाए, ख़ासकर बारिशों या बारिशों के बाद के मौसम में, और उन इलाक़ों में जहां ये बीमारियां फैली हुई हैं, तो ऐसे में मलेरिया/डेंगू का एक ऊच्च संदेह सूचकांक होना चाहिए’.

जिन इलाक़ों में कोविड-19 के केस मौजूद हैं, वहां अगर मौसमी इनफ्लुएंज़ा और कोविड सह-संक्रमण, इनफ्लुएंज़ा जैसी बीमारी (ईली), या सीवियर अक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेसेज़ (सारी) के मामले दिखें, तो कोविड-19 और मौसमी इनफ्लुएंज़ा दोनों की जांच कराई जानी चाहिए.

उन इलाक़ों में जहां मॉनसून के दौरान और उसके बाद, लेप्टोस्पाइरोसिस का प्रकोप फैलता है, वहां सह-संक्रमण की संभावना का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसमें सांस की बीमारी की शक्ल लेने की प्रवृत्ति होती है

गाइडलाइन्स में सह-संक्रमण से बचने के लिए रोकथाम के उपाय भी सुझाए गए हैं. इनमें एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम द्वारा निगरानी शामिल है. बड़े जमावड़ों से बचना, सोशल डिस्टेंसिंग रखना और हाथों की सफाई जैसे, बुनियादी रोकथाम उपाय करने पर भी बल दिया गया है. इसके अलावा, ये सुनिश्चित करने की भी ज़रूरत है, कि ख़ासकर स्वास्थ्य सुविधाओं के आसपास, मच्छर पलने वाली जगहें ख़त्म की जाएं, और साथ ही हेल्थकेयर वर्कर्स और दूसरे जोखिम वाले समूहों को, आक्रामक तरीक़े से मौसमी इनफ्लुएंज़ा के लिए टीके लगाए जाएं.


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