scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमहेल्थकोविड की उत्पत्ति पर स्टडी के लिए तेजी से समय बीत रहा है, WHO के वैज्ञानिकों ने गिनाईं 6 प्राथमिकताएं

कोविड की उत्पत्ति पर स्टडी के लिए तेजी से समय बीत रहा है, WHO के वैज्ञानिकों ने गिनाईं 6 प्राथमिकताएं

डब्ल्यूएचओ की चीन टीम के वैज्ञानिकों, जिन्हें कोविड की उत्पत्ति का अध्ययन करने का जिम्मा सौंपा गया था- ने कहा है कि घटती एंटीबॉडीज को देखते हुए अज्ञात स्रोत बने पशुओं और इंसानों में शुरुआती संक्रमणों के बारे में तत्काल पता लगाया जाना चाहिए.

Text Size:

बेंगलुरू: संयुक्त विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की चीनी टीम के सदस्यों, जिन्हें सार्स-कोव-2 वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने का जिम्मा सौंपा गया था, ने दुनियाभर के नेताओं और वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह किया है कि आखिर वायरस कहां से आया, यह पता लगाने के लिए जारी रिसर्च कार्यों में तेजी लाई जाए.

वैज्ञानिकों की टीम ने इससे पहले मार्च में वुहान की यात्रा के बाद एक रिपोर्ट पब्लिश की थी और इसमें निष्कर्ष निकाला था कि कोरोनावायरस की उत्पत्ति जानवरों से प्राकृतिक ट्रांसमिशन के कारण होने की संभावना सबसे ज्यादा है.

हालांकि, साइंस जर्नल नेचर में बुधवार को प्रकाशित एक कमेंट्री पीस में इस टीम ने कहा कि उनकी मार्च की रिपोर्ट ‘एक अवरुद्ध प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की दिशा में पहला कदम थी.’

इन वैज्ञानिकों ने वायरस की उत्पत्ति के बारे में पता लगाने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाने के लिए छह प्राथमिकताएं निर्धारित कीं और साथ ही चेताया है कि उत्पत्ति के कारणों को समझना वैश्विक प्राथमिकता है और इसमें किसी भी तरह की देरी आगे चलकर तमाम महत्वपूर्ण जैविक अध्ययनों को असंभव बना देगी. ऐसा इसलिए क्योंकि अज्ञात संक्रमित जानवरों और शुरुआत में संक्रमण की चपेट में आए इंसानों में सार्स-कोव-2 वायरस की एंटीबॉडी कमजोर हो जाएंगी.


यह भी पढ़ें: केरल में सबसे ज्यादा 31,445 मामलों के साथ देश में Covid के 46,164 नए मामले आए, 607 की मौत


‘समय तेजी से बीत रहा है’

अपने कमेंट्री पीस में वैज्ञानिकों ने इस बात का उल्लेख किया कि चूंकि एंटीबॉडी घट गई हैं, जानवरों और शुरुआती संक्रमण के शिकार इंसानों से महत्वपूर्ण ब्लड सैंपल लेना अत्यावश्यक है और इसके लिए समय बहुत तेजी से बीत रहा है.

महामारी का मूल स्रोत पता लगाने के संबंध में वैश्विक अध्ययन के दूसरे चरण को जारी रखने के साथ टीम ने छह प्राथमिकताओं की सिफारिश की है.

इनमें वैश्विक स्तर पर शुरुआती कोविड मामलों का पता लगाने के लिए अतिरिक्त ट्रेसिंग स्टडी, उन जगहों की पहचान के लिए एंटीबॉडी सर्वे करना, जहां लोगों के बीच संक्रमण के मामले कभी सामने नहीं आ पाए, सामुदायिक सर्वेक्षण जिनसे इंसानों में मामलों की पहचान से पहले वुहान की मार्केट तक पहुंचने वाले जानवरों की आपूर्ति के मार्ग का पता लगेगा, चीन और उसके आसपास जंगली चमगादड़ों और अन्य संभावित प्राकृतिक स्रोतों या वायरस के मध्यवर्ती स्रोत का अध्ययन और आकलन, शुरुआत के सभी मामलों का विस्तृत विश्लेषण और नए सुरागों के आधार पर आगे की कार्रवाई आदि शामिल हैं.

शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि उत्पत्ति की खोज एक ‘महत्वपूर्ण मोड़’ पर है और ट्रेसबैक अध्ययन करने की जैविक व्यवहार्यता हर बीतते दिन के साथ घट रही है.

इस सबसे बचने के लिए इन वैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक समुदाय और विश्व के नेताओं को एक साथ आने और ‘जो थोड़ा समय बचा है’ उसमें रिसर्च के अगले चरण मे तेजी लाने को कहा.


यह भी पढ़ें: TB से भारत की लड़ाई में नई अड़चन- राज्यों के पास ऐसी मशीनें जो वो इस्तेमाल नहीं कर सकते


मूल मिशन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अपने लेख में वैज्ञानिकों ने जनवरी 2021 में चीन के अपने 28-दिवसीय मिशन की मूल योजना को भी रेखांकित किया, जो 2019 में समुदायिक स्तर पर सांस की बीमारी के बारे में व्यापक अध्ययन, मरीजों की फाइलों और मृत्यु प्रमाणपत्रों की समीक्षा, शुरुआती प्रकोप का रिकंस्ट्रक्शन करना, हुनान सीफूड मार्केट आने वाले उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला की मैपिंग और ट्रेसिंग, मवेशियों, पालतू जानवरों और वन्यजीवों सहित तमाम जानवरों का परीक्षण करना और वायरल जीनोमिक से जुड़े प्रकाशित और अप्रकाशित डेटा के विश्लेषण और समीक्षा पर केंद्रित थी.

टीम ने कहा कि इस बात पर आम सहमति थी कि वायरस दिसंबर 2019 में वुहान में फैल रहा था और वहां की मार्केट और चीन में महामारी के शुरुआती हिस्से के बीच एक मजबूत संबंध था.

वैज्ञानिकों ने माना कि चीन से जिस रॉ डेटा की आवश्यकता थी उसे चीनी टीम की तरफ से 174 मामलों में मरीजों की गोपनीयता का हवाला देते हुए साझा करने से इनकार कर दिया गया लेकिन टीम ने यह निष्कर्ष निकाला कि उनमें संक्रमण के पहले या शुरुआती मामले होने की संभावना नहीं थी.

उन्होंने आगे उल्लेख किया कि यद्यपि लैब से वायरस लीक होने की परिकल्पना उनके मूल मिशन का हिस्सा नहीं थी लेकिन उन्होंने महसूस किया कि इसकी अनदेखी करना काफी अहम होगा.

अपनी जांच में संभवत: किसी पशु से वायरस की उत्पत्ति का निष्कर्ष निकालने के साथ वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि ट्रांसमिशन के चार संभावित कारणों के पक्ष में या इनके खिलाफ कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं था- जिसमें जंगली जानवरों से नेचुरल जूनोटिक स्पिलओवर, खेती में इस्तेमाल होने वाले जानवरों से जूनोटिक ट्रांसमिशन, दूषित भोजन खाने से जूनोटिक ट्रांसमिशन और लैब से लीक की परिकल्पना शामिल हैं.

लेखकों ने इस लेख में अपनी जांच की प्रकृति, बाद में हुई इसकी आलोचनाओं और रिपोर्ट की मीडिया कवरेज और चीन में अपनी टीम के काम के बारे में विस्तार से टिप्पणी की है.

उनके मुताबिक, मार्च में रिपोर्ट जारी होने से पहले ही कुछ सरकारों ने डब्ल्यूएचओ को औपचारिक बयान भेज दिया था कि चीन ने दुनिया के साथ पर्याप्त डेटा साझा नहीं किया, लैब-लीक सिद्धांत पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा या चीन की अंतरराष्ट्रीय राजनीति ने नतीजों में एक बड़ी भूमिका निभाई है.

उन्होंने अपनी जांच का बचाव करते हुए कहा कि वुहान में प्रमुख वैज्ञानिकों के साथ ‘स्पष्ट चर्चा’ की गई थी और सभी सबूतों की जांच से टीम ने निष्कर्ष निकाला कि यह निर्धारित करने वाला कोई सुराग नहीं है कि वायरस किसी प्रयोगशाला से लीक हुआ है या नहीं.

शोधकर्ताओं ने मार्च में अपनी रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद आई कई रिपोर्टों का हवाला दिया, जिसमें नए डेटा शामिल किए गए और जो लैब से लीक होने की परिकल्पना का समर्थन करते थे.

फिर उन्होंने एक स्पष्टीकरण भी दिया कि उन मामलों में से प्रत्येक में लैब से लीक होने की परिकल्पना को पुष्ट तौर पर साबित करने के लिए पर्याप्त डेटा का अभाव क्यों है और इन अध्ययन के लेखकों से डब्ल्यूएचओ को इसका समर्थन करने वाला कोई डेटा मुहैया कराने को भी कहा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: BJP की जन आशीर्वाद यात्रा- 5 दिन में 22 राज्यों में घूमने वाले 39 मंत्रियों को क्या हैं उम्मीदें


 

share & View comments